डीके शिवकुमार
कांग्रेस - कनकपुरा
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दिल्ली-एनसीआर में बनी प्रदूषण की मोटी परत को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को कड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार की जबरदस्त खिंचाई की है और सुझाव दिया है कि दिल्ली में दो दिन का लॉकडाउन लगा दिया जाए।
अदालत दिल्ली में प्रदूषण से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका दिल्ली के 17 साल के एक छात्र आदित्य दुबे ने दायर की है। सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की स्पेशल बेंच ने याचिका पर सुनवाई की।
सीजेआई रमना ने कहा, “हमने देखा है कि हालात कितने ख़राब हैं। हम अपने घर के अंदर भी मास्क पहन रहे हैं।” सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आते ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण को लेकर शनिवार शाम को 5 बजे आपात बैठक बुला ली है।
दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद प्रदूषण बढ़ गया है। दिवाली पर जमकर पटाखे फोड़े गए जबकि इस पर रोक लगाई गई थी। दिवाली के बाद से दिल्ली और आस-पास के शहरों में जबरदस्त धुएं का गुबार दिख रहा है। सांस संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे लोगों और बुजुर्गों को इससे काफ़ी दिक़्क़त हो रही है। इसने दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता को भी बेहद ख़राब हालत में पहुंचा दिया।
सीजेआई ने केंद्र सरकार से कहा कि वह दिल्ली में हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए इमरजेंसी प्लान लेकर आए। लेकिन केंद्र सरकार ने इसका सारा दोष पंजाब में जल रही पराली के मत्थे जड़ दिया।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार पराली को जलने से रोकने के लिए क़दम उठा रही है लेकिन पिछले पांच-छह दिनों में हमने जो प्रदूषण देखा है, वह पंजाब में पराली के जलने की वजह से हुआ है और वहां की राज्य सरकार को इस दिशा में क़दम उठाना चाहिए।
इस पर सीजेआई ने कहा, “आप इसे ऐसे क्यों बता रहे हैं कि प्रदूषण किसानों की वजह से हो रहा है। वहां से कुछ प्रदूषण होता है लेकिन बाक़ी का क्या? आप दिल्ली में प्रदूषण पर क़ाबू पाने के लिए क्या कर रहे हैं। हमारा राज्य या केंद्र सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। आप हमें 2-3 दिन में प्लान बताइए।”
इसके जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उनके कहने का यह मतलब नहीं था कि ऐसा सिर्फ़ किसानों की वजह से हो रहा है।
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