loader

दिल्ली दंगा- ताहिर हुसैन ने दंगाइयों को 'मानव हथियार' जैसा इस्तेमाल किया: कोर्ट 

दिल्ली दंगे में आरोपी बनाए गए आप के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन को दिल्ली के एक कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि उन्होंने दंगाइयों को 'मानव हथियार' जैसा इस्तेमाल किया। दंगे के दौरान आईबी के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में उन्होंने जमानत के लिए याचिका लगाई थी और सोमवार को कोर्ट उस पर सुनवाई कर रहा था। 

दिल्ली पुलिस ने पिछले महीने अदालत में दाख़िल की गई चार्जशीट में कहा था कि हथियारबंद दंगाइयों ने आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के उकसावे पर अंकित को पकड़ लिया और उन्हें घसीटते हुए ले गये। इसके बाद उसकी हत्या कर शव नाले में डाल दिया। चार्जशीट में लिखा है कि अंकित के शव पर धारदार हथियारों के 51 निशान थे। 

ताज़ा ख़बरें

चार्जशीट में पुलिस ने कहा है कि उसने दंगों के प्रत्यक्ष गवाहों के बयानों पर भरोसा किया है, जिन्होंने यह बताया कि ताहिर हुसैन 25 फ़रवरी को मौक़े पर मौजूद थे और उन्होंने चांद बाग पुलिया पर खड़ी भीड़ का नेतृत्व किया था।

इसी मामले में ज़मानत की अर्जी पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव सुनवाई कर रहे थे। 'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि अगर जमानत हुई तो हुसैन जैसा 'शक्तिशाली व्यक्ति' इस मामले में गवाहों को धमकी दे सकता है। 

रिपोर्ट के अनुसार न्यायाधीश ने कहा, "इस स्तर पर, मुझे लगता है कि रिकॉर्ड में पर्याप्त सामग्री मौजूद है कि आवेदक अपराध के स्थान पर बहुत अच्छी तरह से मौजूद था और एक विशेष समुदाय के दंगाइयों को उकसा रहा था और इस तरह उसने अपने हाथों और मुट्ठी का उपयोग नहीं किया, लेकिन 'मानव हथियारों' के रूप में दंगाइयों का इस्तेमाल किया, जो उसके उकसावे पर किसी को भी मार सकते थे।''

हालाँकि इसके साथ ही न्यायाधीश ने साफ़ किया कि आदेश में कही गई हर बात इस आधार पर है कि 'इस स्तर पर रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री का प्रथम दृष्टया विश्लेषण है और जिसका ट्रायल में अभी भी परीक्षण किया जाना बाक़ी है।' यानी कोर्ट ने ही साफ़ कर दिया कि अभी भी जाँच की जानी बाक़ी है। 

अदालत ने कहा कि भले ही घटनास्थल पर हुसैन की मौजूदगी को दर्शाने वाला कोई वीडियो फुटेज या सीसीटीवी फुटेज नहीं था, लेकिन रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत मौजूद थे जो कि प्रथम दृष्टया स्थापित करता है कि वह घटना के स्थान पर मौजूद थे।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता केके मनन और वकील उदित बाली ने हुसैन की ओर से दलील दी कि शर्मा की हत्या से उन्हें जोड़ने वाला कोई भी ठोस सबूत नहीं था, जो क़ानून की नज़र में स्वीकार्य हो।

वकील ने कहा, 'गवाहों के बयान दर्ज करने में देरी हुई। वीडियो फुटेज या सीसीटीवी फुटेज के ज़रिए कोई सबूत नहीं मिला है कि हुसैन घटना के समय अपराध स्थल पर मौजूद थे।' उन्होंने आगे आरोप लगाया कि 25 फ़रवरी को वह अपराध के स्थल पर या उसके आसपास मौजूद नहीं थे और गवाहों द्वारा उनकी कथित उपस्थिति झूठी थी। उन्हें 24/25 फ़रवरी की रात को ख़ुद पुलिस बल द्वारा ताहिर हुसैन को बचाया गया और मुस्तफाबाद स्थित उनके पैतृक घर ले जाया गया और वह अपराध स्थल पर नहीं लौटा।

दिल्ली से और ख़बरें

बता दें कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के बीच ही इसी साल फ़रवरी महीने में उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगा भड़क गया था। सरकारी वकील ने दावा किया कि हुसैन ने हथियार चलाने के लिए कथित रूप से लाठी, डंडा, पत्थर, तेजाब की बोतलें, चाकू, तलवार जैसे लॉजिस्टिक सपोर्ट दंगाइयों को अपने घर की छत पर दिया था।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें