loader

जेएनयू में लगे ‘शरजील इमाम जिंदाबाद’ के नारे, वीडियो में दावा

‘असम को काटकर भारत से अलग कर देंगे’ वाले बयान के बाद चर्चा में आये शरजील इमाम के लिये जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में जिंदाबाद के नारे लगाये जाने का वीडियो सामने आया है। एनडीटीवी के मुताबिक़, सोमवार शाम को जेएनयू में छात्रों ने मार्च निकाला। यह मार्च गंगा ढाबे से शुरू होकर चंद्रभागा हॉस्टल तक निकाला गया। मार्च के दौरान ‘शरजील इमाम जिंदाबाद’ के नारे लगाये गये। 

शरजील इमाम पर अब तक पाँच राज्यों में राजद्रोह का केस दर्ज किया जा चुका है। इन राज्यों में असम, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और दिल्ली शामिल हैं। ‘असम को भारत से अलग करने वाला बयान’ शरजील ने 16 जनवरी को अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्याल में दिया था जबकि बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा की ओर से दावा किया गया था कि शरजील ने यह भाषण शाहीन बाग़ के आंदोलन में दिया था। दिल्ली और उत्तर प्रदेश की पुलिस इमाम की तलाश में लगातार दबिश दे रही है। 
ताज़ा ख़बरें

शरज़ील इमाम के फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पर लिखा है कि वह जेएनयू में मॉर्डन इंडियन हिस्ट्री के छात्र हैं। इससे पहले वह आईआईटी बांबे में टीचिंग असिस्टेंट, कोपेनहेगन की आईटी यूनिवर्सिटी में प्रोग्रामर रह चुके हैं। शरज़ील के प्रोफ़ाइल के मुताबिक़, वह वसंत कुंज के दिल्ली पब्लिक स्कूल और पटना के सेंट जेवियर हाई स्कूल में पढ़े हैं। 

शरजील इमाम कुछ समय तक शाहीन बाग़ के आंदोलन से जुड़े थे। शाहीन बाग़ के आंदोलनकारियों के ट्विटर हैंडल से बताया गया है कि शरजील इमाम किसी भी आयोजक कमेटी का सदस्य नहीं है और न ही इस तरह की कोई कमेटी अस्तित्व में है। 

दिल्ली से और ख़बरें
शरजील इमाम का नाम इस महीने की 2 जनवरी को तब अचानक चर्चा में आया था कि जब यह ख़बर आई कि शाहीन बाग़ में चल रहा धरना ख़त्म हो गया है। शरजील इमाम ने अपने फ़ेसबुक अकाउंट पर लिखा था कि शाहीन बाग़ में चल रहे चक्का जाम को राजनैतिक दलों के लोगों द्वारा हिंसा की आशंका और आंदोलन के राजनीतिकरण से बचने के लिए वापस ले लिया है। लेकिन इसका इस आंदोलन से जुड़े लोगों ने खंडन किया था और आंदोलन को जारी रखा था। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें