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फ़ोटो साभार: फ़ेसबुक/हिमांशु यादव

दिल्ली में ‘रेहड़ी जिहाद’ की आड़ में नफरत का कारोबार!

'रेहड़ी जिहाद'। यदि आपने 'सुदर्शन न्यूज़' के आपत्तिजनक 'यूपीएससी जिहाद' शो के बारे में सुना होगा तो इस 'रेहड़ी जिहाद' का अर्थ जानना ज़्यादा मुश्किल नहीं है। घोर दक्षिणपंथी और 'हिंदुत्वादी' अब इस नये शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। जाहिर तौर पर नफ़रत फैलाने के लिए ही! यदि ऐसा नहीं है तो फिर 'दिल्ली में रेहड़ी जिहाद का आतंक' या '...जिहादियों के खिलाफ लठ लेकर सड़क पर उतरे दिल्ली के हिंदू' जैसे शीर्षक से ख़बरें प्रसारित और प्रकाशित क्यों की जा रही हैं?

दरअसल, इस 'रेहड़ी जिहाद' का मामला तब चर्चा में आया जब दिल्ली के उत्तम नगर में ख़ुद को हिंदुत्ववादी कहने वाले लोगों का समूह सड़कों पर उतरा। वे हाथों में लट्ठ लिए हुए थे। उन्होंने सड़क को जाम कर दिया। वे विरोध तो सड़क पर अतिक्रमण कर फल बेचने वालों का कर रहे थे लेकिन नारे मुसलिम विरोधी लगा रहे थे। उसी दिन शाम में बीच सड़क में हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। रिपोर्ट हैं कि उस क्षेत्र में अधिकतर फल विक्रेता मुसलिम हैं। एक लाइव वीडियो में तो हिंदुत्ववादी यह कहते सुने जा सकते हैं कि 'सभी मुसलिम विक्रेताओं को भगा दिया' और 'सभी विक्रेता मुसलिम थे'। जाहिर है, इसका निशाना मुसलिम ही थे!

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मामला तो साफ़ तौर पर प्रशासन से जुड़ा है। देश के क़रीब-क़रीब हर शहर में ऐसी समस्या है। दुकानदार और सड़क किनारे फल-सब्जी विक्रेताओं के बीच में कई बार तू-तू मैं-मैं भी होती रही है और कई बार मारपीट की नौबत भी आ जाती है। ऐसा ही दिल्ली के उत्तम नगर में भी है और ऐसी ही एक घटना क़रीब हफ़्ते भर पहले हुई थी। दुकानदार की रेहड़ी वाले के साथ झड़प हो गई थी। तभी से हिंदुत्ववादी लोगों के प्रोपेगेंडा में यह शामिल हो गया। सोशल मीडिया से लेकर दूसरे माध्यमों पर मुसलिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने का अभियान शुरू हो गया।

नफ़रत फैलाने के रूप में यह इसलिए क्योंकि यदि अवैध कब्जे का मामला था तो प्रदर्शन में मुसलिमों के ख़िलाफ़ नारे क्यों लगे? हनुमाना चालीसा का पाठ क्यों किया गया? इसमें एक और तथ्य है। सड़क पर यदि अवैध कब्जे हैं या फिर फल विक्रेताओं या ई-रिक्शा से सड़क जाम हो जाता है तो यह ज़िम्मेदारी प्रशासन की है। लेकिन अवैध कब्जे या अवैध रूप से सड़क को जाम करने वाले फल विक्रेताओं जैसे लोगों को हटाने में नाकाम रहने वाले प्रशासन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन नहीं हुआ। हिंदुत्ववादियों ने प्रदर्शन का अलग रास्ता अपनाया। 

यह रास्ता कौन सा है, यह हिंदुत्ववादियों द्वारा उछाले गए मुद्दे से ही पता चलता है। 1 लाख 64 हज़ार सब्सक्राइबर वाले यू-ट्यूब चैनल 'मिशन साइबर सिपाही' की इस भाषा से भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है। 

rehri jihad propaganda against muslims for street vendor in delhi uttam nagar - Satya Hindi
वीडियो का थमनेल।

ऐसी ही भाषा में सुदर्शन न्यूज़ की वेबसाइट पर एक ख़बर प्रकाशित की गई है। इस ख़बर को लिखने वाले अभय प्रताप ने तो यह तक लिखा है, 'इलाक़े में रेहड़ी ठेले लगाने वाले मुस्लिम समाज के जो लोग हैं, उसमें बड़ी संख्या में रोहिंग्या भी शामिल हैं तथा ये पहले भी इस तरह की कई अराजक गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं।'

इस लेख में दावा किया गया है, 'जिहादियों के आर्थिक बहिष्कार के लिए मार्च निकाल रहे हिंदुओं के हाथों में इस दौरान लाठियाँ भी थीं तथा वह काफी आक्रोशित थे। इस दौरान प्रदर्शनकारी भारतमाता की जय तथा वंदेमातरम के नारे भी लगा रहे थे।'

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सुदर्शन न्यूज़ की एक ख़बर का स्क्रीनशॉट।

बता दें कि इस प्रदर्शन से दो दिन पहले यानी 18 जून को एक रेहड़ी वाले रिज़वान को पीटा गया था। 'द वायर' की रिपोर्ट के अनुसार अज्ञात हिंदुत्ववादियों ने घटना को अंजाम दिया। 

पश्चिमी दिल्ली में फल विक्रेताओं के नेता अजय सिंह ने 'द वायर' को बताया, 'यह एक फल विक्रेता और दुकानदार के बीच एक छोटी सी झड़प के कारण शुरू हुआ। हालाँकि, कई असामाजिक तत्व इसमें शामिल हो गए और इस मामले को सांप्रदायिक बना दिया गया। बाद में रिज़वान नाम के हमारे एक विक्रेता को लाठी-डंडों से लैस भीड़ ने निशाना बनाया। वह गंभीर रूप से घायल हो गया और उसे दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया। अपराधियों को गिरफ्तार करने के बजाय, पुलिस अब रेहड़ी-पटरी वालों को परेशान कर रही है।'

रिज़वान ने कहा कि वह रात 9 बजे अपनी रेहड़ी को बाज़ार से हटा रहा था कि 10-15 लोग आए और बिना कुछ कहे पीटना शुरू कर दिया। 19 जून को बुंदापुर पुलिस थाने में दर्ज एफ़आईआर के मुताबिक़ कुछ लोगों का समूह 'जय श्री राम' के नारे लगाते हुए उनका नाम पूछा और जब उन्होंने अपना नाम रिज़वान बताया तो उन लोगों ने पीटना शुरू कर दिया। रिज़वान की पिटाई की घटना के बाद ही हिंदुत्ववादियों ने प्रदर्शन किया था।

इस मामले को लेकर ख़ुद को बीजेपी के नजफगढ़ जिले का नेता बताने वाले हिमांशु यादव ने फ़ेसबुक पर इन ख़बरों को पोस्ट किया है। उन्होंने सुदर्शन न्यूज़ की उन ख़बर और वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा है, 'सुदर्शन न्यूज़ हमेशा से ही बेबाकी के साथ हिंदुओं की आवाज उठाता रहा है हमारे इस मुहिम में साथ देने के लिए आपका हार्दिक आभार सुदर्शन न्यूज़ टीवी।' हिमांशु ने ऐसे कई पोस्ट किए हैं। उनकी ऐसी ही एक पोस्ट को ट्विटर पर शेयर किया जा रहा है। 

सुदर्शन न्यूज़ ने टीवी पर भी प्रदर्शन की उस ख़बर को प्रकाशित किया। इसने इस वीडियो को ट्वीट कर लिखा, 'जिहादियों के ख़िलाफ़ लठ लेकर सड़क पर उतरे दिल्ली के हिंदू, किया जिहादियों के आर्थिक बहिष्कार का एलान'

इस वीडियो न्यूज़ में उत्तम नगर में प्रदर्शन की घटना की रिपोर्टिंग में सुना जा सकता है कि सुदर्शन टीवी का रिपोर्टर और एंकर मुसलिमों को 'जिहादी' जैसे अमर्यादित भाषा से संबोधित कर रहे हैं। 

यह वही सुदर्शन न्यूज़ है जिसने ‘यूपीएससी जिहाद’ नाम से शो प्रसारित किया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था और बीच में ही इस शो को रुकवा दिया गया था। इस शो पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगा था।

केंद्र सरकार ने भी माना था कि सुदर्शन न्यूज़ के कार्यक्रम ‘यूपीएससी जिहाद’ ने प्रोगाम कोड यानी किसी कार्यक्रम के प्रसारण के लिए निर्धारित नियमों का उल्लंघन किया। 15 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ‘यूपीएससी जिहाद’ के कार्यक्रम के प्रसारण पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि ‘आप किसी धर्म विशेष को टारगेट नहीं कर सकते’। अदालत ने पहली नज़र में इस कार्यक्रम को मुसलिम समुदाय को अपमानित करने वाला पाया था। 

केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि इसे लेकर सुदर्शन न्यूज़ को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया और चैनल से जवाब मांगा गया। बता दें कि केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत किसी भी कार्यक्रम में ऐसे दृश्य या शब्द नहीं होने चाहिए जो किसी भी धर्म या समुदाय पर हमला करते हों।

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सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रोक लगाए जाने के बाद सुदर्शन न्यूज़ के एडिटर इन चीफ़ सुरेश चव्हाणके की ओर से अपने कार्यक्रम के बचाव में कोर्ट में हलफ़नामा पेश कर कहा गया था कि वह ‘नागरिकों और सरकार को राष्ट्र विरोधी और समाज विरोधी गतिविधियों के बारे में जगाने के लिए खोजी पत्रकारिता’ कर रहा है। 

'यूपीएससी जिहाद' मामले में इस तरह की कार्रवाई के बाद भी सुदर्शन टीवी 'रेहड़ी वालों' के बहाने मुसलिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने वाला कार्यक्रम कर रहा है और नफ़रत फैलाने वाली भाषा का इस्तेमाल कर रहा है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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