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सुप्रीम कोर्ट : एससी/एसटी को नौकरियों में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं हैं सरकारें

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में कहा है कि अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए राज्य सरकारें बाध्य नहीं हैं, क्योंकि यह मौलिक अधिकार नहीं है। अनुसूचित जाति-जनजाति के लोग सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दावा नहीं कर सकते, यह राज्य सरकारों की इच्छा पर निर्भर करता है।

अदालत ने कहा है कि राज्य सरकारें चाहे तो इन समुदायों के लोगों को आरक्षण दे सकती हैं, चाहे तो नहीं दे सकती हैं।  कोई भी अदालत किसी राज्य सरकार को एससी/एसटी समुदाय को आरक्षण देने का आदेश नहीं दे सकती है। अदालत ने कहा है कि यह राज्य सरकार के विवेक पर निर्भर करता है कि वह आरक्षण दे या नहीं या प्रमोशन में आरक्षण दे या नहीं। इसके अलावा राज्य सरकारों पर इस बात की कोई बाध्यता नहीं है कि उन्हें ऐसा करना ही होगा। 

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कोर्ट ने अपने फ़ैसले में साफ़ किया कि राज्य सरकारें सरकारी नौकरियों में एससी और एसटी समुदाय के आरक्षण के प्रतिनिधित्व के बारे में डेटा जुटाने के लिये बाध्य हैं। जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने शुक्रवार को अपने फ़ैसले में कहा, ‘राज्य सरकार आरक्षण देने के लिये बाध्य नहीं है। ऐसा कोई मौलिक अधिकार नहीं है जिसके तहत कोई व्यक्ति प्रमोशन में आरक्षण का दावा कर सके। अदालत किसी भी राज्य सरकार को आरक्षण देने का आदेश नहीं दे सकती है।’ अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को सरकारी नौकरियों में नियुक्ति में आरक्षण देने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है। 
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एससी और एसटी समुदाय को सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व देने के संबंध में सही आंकड़े जुटाने के संबंध में शीर्ष अदालत ने कहा कि आरक्षण देने से पहले इन आंकड़ों को जुटाना ज़रूरी होगा और अगर राज्य सरकारों ने आरक्षण नहीं देने का फ़ैसला किया है तब इसकी ज़रूरत नहीं होगी। अदालत ने यह बातें उत्तराखंड सरकार के लोक निर्माण विभाग में सहायक अभियंता (सिविल) के पदों पर एससी और एसटी समुदाय को आरक्षण में प्रमोशन से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए कहीं। 

इस मामले में उत्तराखंड की राज्य सरकार ने आरक्षण नहीं देने का फ़ैसला किया था जबकि उच्च न्यायालय ने राज्य में एससी और एसटी समुदाय को प्रतिनिधित्व देने से पहले आंकड़े जुटाने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि भविष्य में सहायक अभियंता के पदों पर आने वाली नौकरियों में केवल एससी और एसटी समुदाय के ही लोग होने चाहिए। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के इन निर्देशों को न्यायसंगत नहीं बताया और उन्हें दरकिनार कर दिया। 

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क़मर वहीद नक़वी

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