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दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में फायरिंग मामले में दो गिरफ्तार

दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में फायरिंग के मामले में दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। मारे गए हमलावरों द्वारा इस्तेमाल की गई कार भी जब्त की गई है। उस फ़ायरिंग में एक गैंगस्टर और उस पर हमला करने वाले दो हमलावर मारे गए थे। हमलावर वकील के भेष में घुसे थे और उन्होंने जेल से पेशी पर लाए गए गैंगस्टर पर फायरिंग कर दी थी। इस मामले में सुरक्षा चूक पर बड़ा सवाल उठा। यह सवाल भी उठा कि आख़िर हमलावर अदालत में कैसे घुस गए और क्या यह किसी की मिलीभगत से ऐसा हुआ?

इस हमले के दो दिन बाद पुलिस की इस मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। रिपोर्ट है कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उमंग और विनय नाम के दो बदमाशों को गिरफ़्तार किया है। पुलिस के अनुसार इनमें से एक आरोपी टिल्लू गैंग से जुड़ा है। रिपोर्ट है कि उनकी गिरफ़्तारी अदालत के उस गेट की सीटीटीवी फुटेज के आधार पर हुई है जहाँ फायरिंग हुई थी। जांच में यह भी पता चला है कि हत्या की साज़िश सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया ने मंडोली जेल के अंदर से रची थी। हालाँकि, इसके बारे में पुलिस ने और ज़्यादा जानकारी नहीं दी है कि इन दोनों का उस फायरिंग में किस तरह का जुड़ाव रहा है।

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रोहिणी कोर्ट परिसर में शुक्रवार को वकीलों के भेष में दो हमलावर घात लगाए बैठे थे। जैसे ही पुलिस द्वारा सुनवाई के लिए गैंगस्टर जितेंद्र मान 'गोगी' को अदालत में लाया गया, हमलावरों ने उस पर ताबड़तोड़ गोलियाँ चला दी थीं। इसके बाद पुलिस ने हमलावरों को मार गिराया। 

कुख्यात गैंगस्टर जितेंद्र गोगी कई आपराधिक मामलों में शामिल रहा था। वह तिहाड़ में जेल में बंद था। रिपोर्ट के अनुसार जितेंद्र मान से दुश्मनी रखने वाले 'टिल्लू' गैंग ने इस घटना को अंजाम दिया। टिल्लू गैंग का नेतृत्व सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया करता है। 

पुलिस के मुताबिक़ गोगी और उसका प्रतिद्वंद्वी सुनील उर्फ ​​टिल्लू सालों से अलीपुर और सोनीपत में रंगदारी का रैकेट चलाते रहे हैं। दोनों गिरोहों के बीच लगातार हो रहे कलह का अंत अक्सर खूनखराबे में होता रहा है। पिछले छह वर्षों में दोनों गिरोहों के 10 से अधिक सदस्य मारे गए हैं। 

अदालत में शुक्रवार को चले उस पूरे घटनाक्रम ने कोर्ट परिसर में सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए।

कुछ महीने पहले ही गोगी का सहयोगी कुलदीप उर्फ ​​फज्जा कड़कड़डूमा कोर्ट में पेश होने पर पुलिस हिरासत से भागने में सफल रहा था। तब से काउंटर इंटेलिजेंस की एक टीम गोगी और उनके सहयोगियों की अदालती सुनवाई के दौरान उनके साथ थी। 

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अदालत परिसर में फायरिंग सुरक्षा में बड़ी चूक का मामला है। ऐसा इसलिए कि अदालत परिसर में घुसने से पहले हर किसी की अच्छी तरह तलाशी ली जाती है। कुख्यात गैंगस्टरों के लाए जाने पर तो चौकसी और ज़्यादा बढ़ाई जाती है। सुरक्षा पर सवाल इसलिए भी है कि यह देश की राजधानी दिल्ली की एक अदालत का मामला है। और सबसे बड़ी बात यह है कि काउंटर इंटेलिजेंस की एक टीम गोगी और उनके सहयोगियों की अदालती सुनवाई के दौरान उनके साथ रहती थी। ऐसा होने के बावजूद अपराधियों का ऐसा दुस्साहस कैसे हो गया? कैसे इस तरह की सुरक्षा में भी सेंध लगाकर उन्होंने अदालत में फ़ायरिंग कर दी?
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क़मर वहीद नक़वी

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