देश के 101 पूर्व नौकरशाहों ने पत्र लिखकर मुसलमानों का उत्पीड़न किए जाने का मुद्दा उठाया है। यह पत्र सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपालों के नाम लिखा गया है। पत्र में कहा गया है कि देश के कुछ हिस्सों से मुसलमानों के उत्पीड़न की ख़बरें आई हैं और दिल्ली के मरकज़ निज़ामुद्दीन में हुए तब्लीग़ी जमात के कार्यक्रम के बाद इस तरह की ख़बरें ज़्यादा आई हैं। यह पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेजा गया है।
पत्र में दिल्ली सरकार की एडवाइजरी की अनदेखी कर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए तब्लीग़ी जमात की आलोचना की गई है। लेकिन आगे कहा गया है कि मीडिया के एक वर्ग ने इसे सांप्रदायिक रंग देना शुरू कर दिया और पूरे मुसलिम समुदाय को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया, जो कि बेहद ग़ैर-जिम्मेदाराना और निंदनीय है।
पत्र में कहा है, ‘कुछ ऐसी फ़ेक वीडियो क्लिप वायरल हो रही हैं जिनमें दिखाया गया है कि सब्जी और फलों को बेचने वाले मुसलमान विक्रेता इन पर थूक रहे हैं और इस बीमारी को फैला रहे हैं। इसके बाद सब्जी-फल बेचने वाले मुसलमानों से उनका धर्म पूछा जाने लगा और जब उन्होंने अपना मुसलिम नाम बताया तो उन पर हमला किया गया।’
पत्र में मुसलमानों के उत्पीड़न की कई हालिया घटनाओं का जिक्र किया गया है। इसमें मेरठ के एक कैंसर अस्पताल द्वारा दिए गए एक विज्ञापन का भी जिक्र है, जिसमें यह कहा गया था कि मुसलमानों को तभी अस्पताल में भर्ती किया जाएगा, जब वे कोरोना नेगेटिव होने की रिपोर्ट लाएंगे। अहमदाबाद के एक अस्पताल में मुसलमानों के लिए अलग वार्ड बनाने की भी घटना का उल्लेख किया गया है।
पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि ऐसे क़दम उठाए जाने चाहिए जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत में अल्पसंख्यकों को कोई भय नहीं है। पत्र में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) शिवशंकर मेनन, पूर्व चुनाव आयुक्त एस.वाई.क़ुरैशी, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार नितिन देसाई, पूर्व डीजीपी जूलियो रिबेरो, पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह सहित कई अन्य पूर्व नौकशाहों के हस्ताक्षर हैं।
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