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भारतीय मूल की अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल फ़ोटो साभार- फ़ेसबुक

पीएम मोदी से मिले 14 अमेरिकी सांसद, कहा - कश्मीर में शुरू करें फ़ोन सेवा

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये 55 दिन से ज़्यादा का वक़्त गुजर चुका है लेकिन अभी तक राज्य के सिर्फ़ कुछ ही इलाक़ों में टेलीफ़ोन सेवाओं को शुरू किया गया है। इन 55 दिनों में यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच से निकलकर संयुक्त राष्ट्र तक और दुनिया के दूसरे देशों में भी पहुँच गया है।

कश्मीर के हालात को लेकर चिंतित अमेरिकी कांग्रेस के सांसदों ने वहाँ के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात कर फ़ोन सेवाओं को बहाल करने की मांग की है। भारतीय मूल की अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल ने 13 अन्य सांसदों के साथ पीएम मोदी से मुलाक़ात की और कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर भी चिंता व्यक्त की। 

सांसदों ने एक बयान जारी कहा कि वे उन हज़ारों लोगों की ओर से पीएम मोदी से मिले हैं जो जम्मू-कश्मीर में रह रहे अपने परिवारों से बात नहीं कर पा रहे हैं। बयान में कहा गया है, ‘हमने पीएम मोदी से अपील की है कि वह संचार सेवाओं पर लगे प्रतिबंध को हटा दें और मानवाधिकारों की ओर ध्यान दें।’ केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का फ़ैसला किया था और तभी से वहाँ कई तरह के प्रतिबंध लगा दिये गये थे। 
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इस बीच कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने ख़बर दी थी कि कश्मीर में प्रतिबंधों में आंशिक ढील दिये जाने के बाद श्रीनगर सहित कई इलाक़ों में लोग सड़कों पर उतरे थे और उन्होंने केंद्र के फ़ैसले के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था। शुरुआत में भारत सरकार ने ऐसे किसी प्रदर्शन से इनकार किया था लेकिन बाद में उसने प्रदर्शन होने की बात स्वीकार कर ली थी। 

अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद से ही पाकिस्तान ने इस मुद्दे को दुनिया भर के कई देशों के सामने उठाया लेकिन चीन और तुर्की के अलावा उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली है। भारत कह चुका है कि अनुच्छेद 370 को हटाना पूरी तरह उसका आतंरिक मामला है और पाकिस्तान बेवजह इस मुद्दे पर दुनिया भर के लोगों को गुमराह कर रहा है। 

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अमेरिकी सांसदों की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘भारत अमेरिका का महत्वपूर्ण सहयोगी है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक है। इसलिए, भारत सरकार नेतृत्व क्षमता दिखाते हुए कश्मीर में लगाये गये प्रतिबंधों को हटाये। जम्मू-कश्मीर के लोग भी वे सभी अधिकार पाने के हक़दार हैं जितने भारत के दूसरे लोग।’ 

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बयान में यह भी कहा गया है कि मीडिया पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर के लाखों लोग मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं और कई लोगों को हिरासत में रखा गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इस वजह से संयुक्त राष्ट्र में और दूसरे लोग जम्मू-कश्मीर में रह रहे अपने प्रियजनों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। 

प्रमिला के अलावा पीएम मोदी से मिलने वालों में कांग्रेस सदस्य गिल्बर्ट आर. सिसनेरोस, जूनियर जूडी चू, कैरोलिन मैलोनी, गेराल्ड कोनोली, इल्हान उमर, बारबरा ली, अल ग्रीन, जो लोफ़ग्रेन, एंडी लेविन, माइक लेविन, जेम्स पी. मैकगवर्न, जैन शाकोव्स्की और कैटी पोर्टर शामिल हैं। 
केंद्र सरकार का कहना है कि वह घाटी में धीरे-धीरे हालात सामान्य करने की कोशिश कर रही है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से कहा है कि वह राज्य के हालात सामान्य करने की दिशा में क़दम उठाए और उसे रिपोर्ट दे। कश्मीर से आ रही ख़बरों के मुताबिक़, घाटी में स्कूल पूरी तरह नहीं खुले हैं और लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। कहा जा रहा है कि लोग केंद्र सरकार के इस फ़ैसले से बेहद नाराज हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी

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