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मेडिकल पाठ्यक्रमों में ओबीसी को 27%, कमज़ोर वर्गों को 10% आरक्षण

मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रमों में अब अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27% और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के छात्रों को 10% आरक्षण मिलेगा। इन वर्गों को यह आरक्षण ऑल इंडिया कोटा स्कीम के तहत स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यकमों में दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने गुरूवार को इस अहम फ़ैसले का एलान किया। 

यह आरक्षण इस शैक्षणिक वर्ष से ही एमबीबीएस, एमडी, एमएस, बीडीएस, एमडीएस और डिप्लोमा चिकित्सा कार्यक्रमों में मिलेगा। सरकार के इस आदेश से इन समुदायों के 5,550 छात्रों को फ़ायदा मिलेगा। 

सोमवार को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने समीक्षा बैठक भी की थी और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से इस मुद्दे पर तेज़ी से आगे बढ़ने के लिए कहा था। इस मुद्दे को लेकर एनडीए के ओबीसी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को प्रधानमंत्री से मिला था। इस प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, बीजेपी सांसद गणेश सिंह, सुरेंद्र सिंह नागर और अपना दल की सांसद और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल शामिल थीं।
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि इस आदेश से ओबीसी समुदाय के एमबीबीएस में 1500 और स्नातकोत्तर के 2500 छात्रों को फ़ायदा होगा। इसी तरह आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के 550 छात्रों को एमबीबीएस में और 1,000 छात्रों को स्नातकोत्तर में फ़ायदा होगा। 

सरकार ने यह भी कहा है कि वह ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को उनके लिए तय आरक्षण देने के लिए कटिबद्ध है। 

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राजनीतिक मायने भी हैं 

केंद्र सरकार के इस फ़ैसले के राजनीतिक मायने भी हैं। उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहा है और यहां ओबीसी समुदाय की आबादी 42 फ़ीसदी है। 

इसके अलावा केंद्र सरकार ने हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में भी ओबीसी वर्ग को खासी जगह दी है। बीजेपी ने इस बात का जोर-शोर से प्रचार किया है कि आज़ादी के बाद से मोदी सरकार पहली ऐसी सरकार है जिसने इतनी बड़ी संख्या में ओबीसी समुदाय के लोगों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी है। मोदी मंत्रिमंडल में ओबीसी समुदाय से 27 चेहरे हैं। 

निश्चित रूप से पार्टी सरकार के इस फ़ैसले का भी जोर-शोर से प्रचार करेगी और ओबीसी समुदाय के मतदाताओं के मतों को अपनी झोली में खींचने की कोशिश करेगी। 

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क़मर वहीद नक़वी

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