कृषि क़ानूनों के विरोध में खासी मुखर आम आदमी पार्टी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इन क़ानूनों का जोरदार विरोध किया। अहम बात यह है कि यह विरोध किसी रैली में, किसी बैठक में नहीं हुआ बल्कि संसद के सेंट्रल हॉल में हुआ।
हुआ यूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौक़े पर सेंट्रल हाल में लगी उनकी तसवीर पर फूल चढ़ाने पहुंचे थे। लेकिन तभी दिल्ली से आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और पंजाब के संगरूर से लोकसभा सांसद भगवंत मान ने कृषि क़ानूनों के विरोध में नारेबाज़ी शुरू कर दी। दोनों सांसदों ने नारे लगाए- किसान विरोधी काले क़ानून वापस लो, एमएसपी की गारंटी दो, पूंजीपतियों के लिए बने क़ानून वापस लो, अन्नदाताओं को आतंकवादी कहना बंद करो। दोनों सांसदों ने हाथों में प्लेकार्ड भी लिए हुए थे, जिनमें इन नारों को ही लिखा गया था।
भगवंत मान ने कहा कि लाखों किसान ठंड में मर रहे हैं। अचानक हुई इस नारेबाज़ी से पीएम मोदी बुरी तरह असहज हो गए और कुछ ही सेकेंड्स में वहां से चले गए। मोदी ने पिछले सात साल में संसद में और गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए विरोध पहले भी झेला है, लेकिन आम आदमी पार्टी के सांसदों का यह विरोध कुछ ज़्यादा ही तीख़ा रहा।
मोदी सरकार की बंद आँखों और कानों को खोलने के लिए लोकसभा के सेंट्रल हॉल में गूँजे किसान हितेषी नारे...! pic.twitter.com/l2UYEh8jRg
— Bhagwant Mann (@BhagwantMann) December 25, 2020
किसानों के आंदोलन को लेकर अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की सक्रियता जबरदस्त है। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के बॉर्डर्स पर किसानों के लिए तमाम ज़रूरी इंतजाम किए हैं और आम आदमी पार्टी के नेता भी किसानों का पूरा ख्याल रख रहे हैं।
सोशल मीडिया पर भी पार्टी के नेता किसान आंदोलन का पूरा समर्थन कर रहे हैं। केजरीवाल किसानों के समर्थन में एक दिन का अनशन कर चुके हैं और किसानों के लिए वाहियात बातें कहने पर बीजेपी और मोदी सरकार पर हमला बोल चुके हैं।
केजरीवाल ने कुछ दिन पहले दिल्ली की विधानसभा में कृषि क़ानूनों की कॉपियों को फाड़ दिया था और मोदी सरकार पर जमकर हमले किए थे। उन्होंने जता दिया था कि आम आदमी पार्टी इस मामले में फ्रंट फुट पर खेल रही है।
पंजाब के चुनाव पर है नज़र
पिक्चर साफ है कि केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की नज़र पंजाब के विधानसभा चुनाव पर है। 2017 के विधानसभा चुनाव में पहली बार में ही आम आदमी पार्टी पंजाब में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थी। अब वह किसान आंदोलन से राजनीतिक बढ़त हासिल कर 2022 की शुरुआत में होने वाले पंजाब के चुनाव को पूरी ताक़त से लड़कर वहां सरकार बनाना चाहती है।
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