2019 में हवाई अड्डों के लिए लगी बोली की प्रक्रिया में वित्त मंत्रालय और नीति आयोग की आपत्तियों के बावजूद अडानी समूह को छह हवाई अड्डे दे दिए गए। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने कुछ अहम दस्तावेज़ हासिल किए हैं और इनके आधार पर ही यह दावा किया है।
इसके अलावा पिछले साल 31 अगस्त को अडानी समूह ने मुंबई हवाई अड्डे के लिए डील की थी, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (एएआई) ने बीती 12 जनवरी को इसे भी हरी झंडी दे दी है।
दस्तावेज़ों के मुताबिक़, अहमदाबाद, लखनऊ, मैंगलुरू, जयपुर, गुवाहाटी और थिरूवनंतपुरम हवाई अड्डों के निजीकरण के लिए बोली लगाई गई थी। इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से बनाई गई पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रेजल कमेटी ने 11 दिसंबर, 2018 को विमानन मंत्रालय के बोली लगाने के इस प्रस्ताव पर चर्चा की थी।
इस चर्चा के जो मिनट्स ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को मिले हैं, उनके मुताबिक़ वित्त मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि बोली लगाने वाली किसी भी एक कंपनी को दो से ज़्यादा हवाई अड्डे नहीं दिए जाने चाहिए। लेकिन कमेटी की बैठक में वित्त मंत्रालय के इस नोट पर कोई बात नहीं की गई।
इसी दिन नीति आयोग की ओर से भी हवाई अड्डों की बोली के संबंध में चिंता जाहिर की गई थी। आयोग की ओर से कहा गया था कि बोली लगाने वाली ऐसी कंपनी जिसके पास पर्याप्त तकनीकी क्षमता न हो वह इस प्रोजेक्ट को ख़तरे में डाल सकती है।
इसके जवाब में वित्त मंत्रालय के सचिव एससी गर्ग ने अप्रेजल कमेटी की अध्यक्षता करते हुए कहा था कि सचिवों के समूह की ओर से पहले ही फ़ैसला कर लिया गया है कि हवाई अड्डे चलाने के लिए पहले से अनुभव होने को शर्त नहीं बनाया जाएगा। बोली को जीतने के बाद फ़रवरी, 2020 में अडानी समूह की ओर से समझौतों पर दस्तख़त कर दिए गए। इन हवाई अड्डों के लिए बोली जीतने के बाद अडानी समूह का एविएशन इंडस्ट्री में भी प्रवेश हो गया था।
लेकिन इसके एक महीने बाद अडानी समूह ने कोरोना की वजह से एएआई से इन हवाई अड्डों को लेने को फ़रवरी, 2021 तक मुल्तवी करने की मांग की। लेकिन एएआई की ओर से अडानी समूह से इन हवाई अड्डों को नवंबर, 2020 तक अपने हाथ में लेने के लिए कहा गया। इसके बाद तीन हवाई अड्डे- जयपुर, गुवाहाटी और तिरूवनंतपुरम सितंबर में जबकि अहमदाबाद, मेंगलुरू और लखनऊ के हवाई अड्डे नवंबर, 2020 में अडानी समूह को दे दिए गए।
इस बोली प्रक्रिया के दौरान अडानी समूह ने इस फ़ील्ड के कई अनुभवी खिलाड़ियों जैसे जीएमआर समूह, जूरिक एयरपोर्ट और कोचिन इंटरनेशनल एयरपोर्ट को पीछे छोड़ दिया। अडानी समूह को इन सभी छह हवाई अड्डों का 50 साल तक के लिए संचालन का अधिकार मिल गया है।
2018, नवंबर में केंद्र सरकार ने सभी 6 हवाई अड्डों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के आधार पर चलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। एएआई के अनुसार, पीपीपी मोड में चलाने का फ़ैसला विश्व स्तरीय सुविधाएँ देने के लिए लिया गया था। अडानी समूह के मालिक गौतम अडानी को बीजेपी का क़रीबी माना जाता है।
मोदी से नज़दीकी की चर्चा!
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान गौतम अडानी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से क़रीबी को लेकर ख़ूब चर्चा हुई थी। गुजरात में अडानी समूह का काफ़ी बड़ा कारोबार है। लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी को अडानी समूह के हवाई जहाज़ का इस्तेमाल करते देखा गया था। विपक्षी दल यह आरोप लगाते रहे हैं कि मोदी सरकार के समय में गौतम अडानी का कारोबार काफ़ी तेज़ी से बढ़ा है।
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक़, 2017 में भारत के कारोबारियों में गौतम अडानी की संपत्ति सबसे तेज़ी से बढ़ी थी, तब अडानी ने रिलायंस के चेयरमैन मुकेश अंबानी को भी पीछे छोड़ दिया था। अडानी की संपत्ति में 124.6 फ़ीसदी की वृद्धि हुई थी वहीं, अंबानी की संपत्ति 80 फ़ीसदी बढ़ी थी। कहा जाता है कि भारत के साथ-साथ इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी अडानी ग्रुप ने अपने कारोबार का काफ़ी विस्तार कर लिया है।
अपनी राय बतायें