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कोवैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट पर भरपाई की जाएगी: गुलेरिया

भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े के बिना ही मंजूरी पर उठे विवाद के बीच एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि यह वैक्सीन बैक-अप की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि इसके इस्तेमाल किए जाने की स्थिति में साइड इफ़ेक्ट यानी दुष्प्रभाव होने पर नुक़सान की भरपाई की जाएगी। 

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई ने एक दिन पहले ही रविवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया की कोविशील्ड के साथ ही भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को 'सीमित इस्तेमाल' की मंजूरी दे दी है। 

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डीसीजीआई द्वारा इसको मंजूरी दिए जाने के बाद शशि थरूर, आनंद शर्मा, जयराम रमेश जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े को लेकर सवाल उठाए थे। इन सवालों पर ही एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बयान दिया है। 

कोविड नियंत्रण के लिए गठित नेशनल टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि टीकाकरण अभियान के पहले चरण में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजे़नेका कंपनी की वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाएगा और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन बैक-अप के तौर पर रहेगी। 

डॉ. गुलेरिया ने कहा है कि ब्रिटेन वाला नये क़िस्म के कोरोना के कारण देश में वायरस के अनियंत्रित होने पर इस कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

'न्यूज़ 18' से बातचीत में डॉ. गुलेरिया ने कहा, 'यदि ब्रिटेन के नये क़िस्म के वायरस की स्थिति विस्फोट हो जाती है या कोवैक्सीन के ट्रायल पूरा होने के बाद जो भी पहले होता है, देश कोवैक्सीन की खरीद शुरू करेगा। कोवैक्सीन प्राप्त करने वाले किसी भी व्यक्ति को साइड इफ़ेक्ट होने के मामले में मुआवजा उसी तरह से मिलेगा जैसे कि क्लिनिकल ट्रायल में मिलता है।'

aiims director says compensation to be offered on covaxin side effects - Satya Hindi

बता दें कि 'द इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में भी डॉ. गुलेरिया ने कहा, 'यह बैक-अप की तरह है। अगर हमें लगता है कि केस नहीं बढ़ रहे हैं तो हम अगले महीने की शुरुआत में भारत बायोटेक का डेटा आने तक सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन का ही इस्तेमाल करेंगे। यदि वह डेटा पर्याप्त रूप से ठीक पाया जाता है तो सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन की तरह ही स्वीकृति मिल जाएगी। परोक्ष रूप से सुरक्षा प्रोफ़ाइल को देखते हुए यह (कोवैक्सीन) एक सुरक्षित टीका है, हालाँकि हम नहीं जानते कि यह कितना प्रभावशाली है।'

डॉ. गुलेरिया के इस बयान से पहले कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा था, 'भारत बायोटेक अव्वल दर्जे का उद्यम है, लेकिन यह हैरान करने वाला है कि तीसरे चरण के ट्रायल से संबंधित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल को कोवैक्सीन के लिए संशोधित किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को स्थिति पर सफ़ाई देनी चाहिए।'

कांग्रेस के एक अन्य नेता आनंद शर्मा ने भारत के ड्रग रेगुलेटर द्वारा भारत बायोटेक की वैक्सीन के 'सीमित उपयोग' की अनुमति देने पर चिंता जताई और सरकार को यह बताने के लिए कहा था कि अनिवार्य प्रोटोकॉल और डेटा के सत्यापन की प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया। शशि थरूर ने भी कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल पूरे होने से पहले इसके इस्तेमाल की मंजूरी दिए जाने पर इसके ख़तरनाक होने की आशंका जताई।
वीडियो में देखिए, भारत में कोरोना का नया ख़तरा
बता दें कि अब भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की मंजूरी पर विवाद और बढ़ गया है। जो सवाल कल मंजूरी दिए जाने के बाद उठाए जा रहे थे वही सवाल अब उस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल करने वालों के बयान से भी उठ रहे हैं। वैज्ञानिक भी यही सवाल उठा रहे हैं और एक वैज्ञानिक ने तो कह दिया कि दुनिया में रूस, चीन के अलावा भारत तीसरा देश है जहाँ की वैक्सीन को मंजूरी दिए जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। अब सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल में शामिल रहे विशेषज्ञों के पास ही कोई डेटा नहीं है। कई जगहों पर तीसरे चरण के ट्रायल में पहला डोज ही दिया गया है और दूसरा डोज दिया जा रहा है। यही वजह है कि सवाल उठ रहे हैं कि किस प्रक्रिया के तहत कोवैक्सीन को मंजूरी मिली। 
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क़मर वहीद नक़वी

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