'भारत बंद' का असर पंजाब-हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक सहित देश के अधिकतर राज्यों में रहा। सड़क और ट्रेन यातायात प्रभावित हुए। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि हमारा 'भारत बंद' सफल रहा। उन्होंने कहा, 'हमें किसानों का पूरा समर्थन मिला... हम सब कुछ सील नहीं कर सकते क्योंकि हमें लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक भी रखना है। हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन कोई बातचीत नहीं हो रही।'
किसानों के भारत बंद से देश के अधिकतर हिस्सों में यातायात प्रभावित हुआ। ट्रेन सेवाएँ भी बाधित हुईं। अधिकतर जगहों पर निजी व सरकारी दफ़्तर, दुकान व दूसरे वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, स्कूल-कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थान बंद रहे। 40 से अधिक फार्म यूनियनों का संगठन संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया।
President gives his assent to the three #FarmBills :
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 27, 2020
▪️Farmers' Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020
▪️Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Bill, 2020
▪️Essential Commodities (Amendment) Bill 2020 pic.twitter.com/PmjG4jNopC
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को भारत बंद का एलान किया था, जिसे राजनीतिक दलों से ही नहीं, समाज के तमाम तबकों से भी समर्थन मिला।
कांग्रेस-शासित पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भारत बंद का समर्थन किया था। आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सरकारों ने बंद के प्रति समर्थन का एलान किया। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस तो तमिलनाडु में डीएमके नेतृत्व की सरकार है।
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और राष्ट्रीय जनता दल के विधायक तेजस्वी यादव ने कहा था कि वह इस बंद में शामिल होंगे।
आयोजकों ने भारत बंद के दौरान निजी व सरकारी दफ़्तरों, दुकान व दूसरे वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, स्कूल-कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थानों और हर तरह के सरकारी कार्यक्रमों को बंद रखने की अपील की थी।
लेकिन अस्पताल, दवा दुकान, दूध और दूसरे आपातकालीन सेवाओं को भारत बंद से बाहर रखा गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि भारत बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा।
आंध्र प्रदेश राज्य सरकार के अलावा विशाखापत्तनम इस्पात संयंत्र, राज्य सूचना विभाग व राज्य परिवहन विभाग की यूनियनों ने भी किसानों के भारत बंद का समर्थन किया था।
तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल डीएमके ने राज्य के किसानों, मजदूरों, व्यापारियों समेत समाज के हर तबके के लोगों को बंद में शामिल होने की अपील की थी।
सीपीआईएम का समर्थन
केरल के सत्ताधारी दल वामपंथी लोकतांत्रिक मोर्चा यानी एलडीएफ़ ने भारत बंद में शामिल होने के लिए सभी लोगों से अपील की थी। एलडीएफ़ के संयोजक और भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआईएम की राज्य ईकाई के कार्यकारी सचिव विजय राघवन ने कहा था कि उनकी पार्टी से जुड़े हर विंग के लोग भारत बंद में शामिल होंगे।
कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव बल्लभ ने कहा था कि 'बीजेपी सरकार ने सुनियोजित तरीके से कृषि क्षेत्र पर हमला किया है।' उन्होंने कहा कि 'बीजेपी ने 2014 में सत्ता में आने के तुरन्त बाद ही गरीबों की ज़मीन हथियाने के लिए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश जारी किया।' उन्होंने इस पर चिंता जताई कि 'इस किसान आन्दोलन में 600 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं, पर सरकार कुछ नहीं कर रही है।'
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