loader

जनसंघ के जमाने से 370 को हटाने का सपना रहा है बीजेपी का

अनुच्छेद 370 को हटाने का सपना बीजेपी आज से नहीं तब से देख रही है, जब वह जनसंघ हुआ करती थी। केंद्र में दुबारा मोदी सरकार आने के बाद से ही यह माना जा रहा था कि सरकार इस बार अनुच्छेद 370 पर आर या पार करेगी। बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अनुच्छेद 370 और 35ए को ख़त्म करने की माँग लंबे अरसे से उठाते रहे हैं। बीजेपी ने कई बार कहा कि 35ए के ज़रिए संविधान को छला गया। धारा 370 और 35ए को हटाने का जिक्र बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र 2019 में भी प्रमुखता से किया था।
कश्मीर हमेशा से ही देश भर के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा रहा है। 2014 में सरकार बनाने के बाद से ही बीजेपी पर दो मुद्दों को लेकर बहुत दबाव रहा है। पहला कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना, दूसरा राम मंदिर निर्माण।
सबसे पहले जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अनुच्छेद 370 का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेंगे। मुखर्जी ने कहा था कि अनुच्छेद 370 देश की एकता और अखंडता पर धब्बा है और वह इस प्रावधान के सख़्त ख़िलाफ़ थे। डॉ. मुखर्जी इस बात पर अडिग रहे कि जम्मू एवं कश्मीर भारत का एक अविभाज्य अंग है।
इसे लेकर मुखर्जी ने आंदोलन शुरू किया और कार्यकर्ताओं के साथ कश्मीर के लिए रवाना हो गए थे। जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य में प्रवेश करने पर मुखर्जी को 11 मई 1953 को हिरासत में ले लिया था लेकिन कुछ समय बाद 23 जून 1953 को उनकी मौत हो गई। लेकिन बीजेपी ने बार-बार मुखर्जी के त्याग का उदाहरण दिया और देश के लोगों से वादा किया कि वह सत्ता में आने पर अनुच्छेद 370 को ख़त्म करेगी। 
बीजेपी कहती रही है कि देश की एकता, अखंडता के लिए शहादत देने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी की विचारधारा से वह किसी क़ीमत पर समझौता नहीं करेगी।
2014 में सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने राज्य में वहाँ की प्रमुख पार्टी पीडीपी के साथ सरकार बनाई। तब लोगों को बीजेपी के इस फ़ैसले पर अचरज भी हुआ था क्योंकि पीडीपी धारा 370 की कट्टर समर्थक थी तो बीजेपी उसकी कट्टर विरोधी। लेकिन फिर भी दोनों दलों ने 40 महीने तक सरकार चलाई और बाद में अलग हो गए। बीजेपी2019 लोकसभा चुनाव से पहले यह संदेश देना चाहती थी कि धारा 370 पर उसके रुख में क़तई नरमी नहीं आई है और वह आतंकवादियों के सख़्त ख़िलाफ़ है। पीडीपी के साथ सरकार बनाने पर उस पर यह आरोप लग रहा था कि वह अलगाववादियों के प्रति नरम है।
ताज़ा ख़बरें
2019 में 30 मई को एनडीए सरकार ने शपथ ली थी। तब से आज तक सिर्फ़ 66 दिनों में ही बीजेपी ने अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए सारी ज़रूरी तैयारी कर ली। गृह मंत्री बनते ही अमित शाह ने इस मुद्दे पर अपने तेवर यह कहकर दिखा दिये थे कि धारा 370 अस्थायी है। 2019 लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए गए अपने संकल्प पत्र में भी पार्टी ने अनुच्छेद 370 को हटाने की बात दोहराई थी। पार्टी ने स्षष्ट किया था कि वह जनसंघ के समय से अनुच्छेद 370 के बारे में अपने दृष्टिकोण को दोहरा रही है। 
देश से और ख़बरें
इसके साथ ही बीजेपी ने कहा था कि वह धारा 35ए को भी ख़त्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। बीजेपी जोर देकर कहती रही है कि धारा 35ए जम्मू-कश्मीर के ग़ैर स्थायी निवासियों के साथ भेदभाव करती है और यह जम्मू-कश्मीर के विकास में भी बाधा है।  साथ ही पार्टी ने कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी तय करने की भी बात कही थी।
सम्बंधित खबरें
अब जब बीजेपी ने जनसंघ के समय से जो वादा किया था, उसे पूरा करने की दिशा में क़दम बढ़ा दिया है तो देखना होगा कि उसे इसका कितना राजनीतिक फ़ायदा मिलता है। अमित शाह ने राज्यसभा में विपक्षी दलों पर हमला करते हुए कहा कि उनकी सरकार और पार्टी वोट बैंक की चिंता नहीं करती। क्योंकि बीजेपी कश्मीर विवाद के लिए हमेशा देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को ज़िम्मेदार ठहराती रही है। बीजेपी ने इसका डंका भी पीटते हुए कहा है कि 370 हटाने के मुद्दे पर उसे एनडीए के बाहर से भी सपोर्ट मिला है। बता दें कि बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस, एआईएडीएमके, आम आदमी पार्टी ने उसे समर्थन दिया है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें