बीवाई विजयेंद्र
भाजपा - शिकारीपुरा
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आर्थिक मोर्चे पर चल रहे लगातार ख़राब हालात को लेकर केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर है। ऐसे माहौल में जब जीडीपी के 4.5% पर पहुंचने, नौकरियों में छंटनी होने, उद्योग-धंधों के बंद होने की ख़बरें आ रही हैं, बजाज ग्रुप के चेयरमैन राहुल बजाज ने भी सरकार को यह बताने की कोशिश की है कि असल तसवीर क्या है। मुंबई में ‘द इकनॉमिक टाइम्स’ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में राहुल बजाज ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री पीयूष गोयल के सामने कई बातों को रखा। बजाज ने केंद्र सरकार की आलोचना करने को लेकर कारोबारियों में डर होने, लिंचिंग के मामलों में प्रभावी कार्रवाई न होने और भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बापू के हत्यारे गोडसे को देशभक्त कहने के मामले को भी उठाया।
बजाज ने कहा, ‘हमारे उद्योगपति दोस्तों में से कोई नहीं बोलेगा, लेकिन मैं खुलकर बोलूंगा, एक माहौल बनाना होगा…जब यूपीए 2 केंद्र की सत्ता में थी तब हम किसी की भी आलोचना कर सकते थे, आप (सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं, उसके बाद भी हम आपकी खुलकर आलोचना करें, यह कॉन्फिडेंस नहीं है कि आप इसे एप्रीशियट करेंगे।’ कार्यक्रम में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी, आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला और भारती एंटरप्राइजेस के सुनील भारती मित्तल भी मौजूद थे।
जीडीपी के 4.5% तक गिर जाने की ख़बरों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इसे लेकर चिंता जताई थी। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमें समाज में भय के माहौल को बदलकर भरोसे वाला माहौल बनाने की ज़रूरत है, तभी हम 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर से विकास करना शुरू कर सकते हैं। सिंह ने कहा था, ‘जीडीपी के आंकड़े 4.5 प्रतिशत से कम हैं। 8-9 प्रतिशत की विकास दर से बढ़ने वाले देश के लिए ये आंकड़े पूरी तरह अस्वीकार्य हैं और बेहद चिंताजनक भी हैं।’
बजाज के बयान पर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि किसी को भी डरने की ज़रूरत नहीं है। शाह ने कहा कि अगर बजाज कह रहे हैं कि अगर किसी ख़ास तरह का माहौल बन गया है तो हमें इस माहौल को सुधारने की कोशिश करनी होगी। गृह मंत्री ने कहा, ‘मैं इतना ज़रूर कहना चाहता हूं कि किसी को डरने की ज़रूरत नहीं है। ना कोई डराना चाहता है। ना कुछ ऐसा करा है जिसके ख़िलाफ़ कोई बोले तो सरकार को चिंता है। यह सरकार सबसे पारदर्शी ढंग से चली है और हमें किसी भी प्रकार के विरोध का कोई डर नहीं है।’ शाह ने आगे कहा, ‘कोई विरोध करेगा भी तो उसके मेरिट्स देखकर हम अपने आप को इंप्रूव करने का प्रयास करेंगे।’
लिंचिंग की घटनाओं को लेकर बजाज ने कहा, ‘एक हवा बन गई है, इनटॉलरेंस की हवा है, हम डरते हैं…कुछ चीजों को हम बोलना नहीं चाहते हैं पर देखते हैं कि कोई दोषी ही नहीं साबित हुआ अभी तक।’ इस पर अमित शाह ने कहा, ‘लिंचिंग पहले भी होती थी, आज भी होती है, शायद आज पहले से कम ही होती है, पर यह ठीक नहीं है कि किसी का दोष साबित नहीं हुआ है। लिंचिंग वाले बहुत सारे मामले चले और समाप्त भी हो गए। सजा भी हुई है लेकिन मीडिया में छापते नहीं हैं।’ शाह ने टाइम्स ग्रुप के एमडी विनीत जैन का नाम लेते हुए कहा कि विनीत जी यहां पर हैं, अगर ढूंढ कर छापेंगे तो हमारे लिए थोड़ा अच्छा होगा।
राहुल बजाज ने प्रज्ञा ठाकुर के संसद में महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहने का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि उनके लिए प्रज्ञा ठाकुर को माफ़ करना आसान नहीं होगा, इसके बावजूद उन्हें संसद की सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया।
अमित शाह ने बजाज के इस बयान का जवाब देते हुए कहा कि ख़ुद उन्होंने और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने प्रज्ञा ठाकुर के बयान की निंदा की है। शाह ने कहा कि न तो बीजेपी और न ही सरकार इस तरह के किसी बयान का समर्थन करती है और हम इसकी घोर निंदा करते हैं।
इस साल जुलाई में भी राहुल बजाज ने देश के आर्थिक हालात को लेकर सरकार की तीख़ी आलोचना की थी। बजाज ने कहा था कि सरकार चाहे जो कुछ कहे लेकिन सच यह है कि बीते तीन साल से लगातार विकास कम हो रहा है। किसी भी सरकार की तरह ये लोग भी खुशनुमा चेहरा दिखा सकते हैं, पर जो सच है वह है। बजाज ने पूछा था कि क्या विकास आकाश से गिरेगा?
देश के प्रमुख कारोबारी बजाज ने गृह मंत्री और वित्त मंत्री की मौजूदगी में जो कुछ कहा हो, वह भले ही कोई नई बात नहीं हो लेकिन इस बात की तारीफ़ की जानी चाहिए कि उन्होंने सरकार के सामने सच कहने की हिम्मत दिखाई। साथ ही यह भी संकेत दिया कि सरकार की आलोचना करना ग़लत नहीं है और ऐसा किया जाना चाहिए। देश के मौजूदा आर्थिक हालात में कारोबारियों को भय के माहौल से निकालकर उनमें आत्मविश्वास पैदा करने की बात पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी कह चुके हैं। केंद्र सरकार का कहना है कि वह आर्थिक हालात को संभालने के लिए क़दम उठा रही है। लेकिन सवाल यह है कि कारोबारियों को राहत कब मिलेगी और रोज़गार उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार कब ठोस काम करेगी।
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