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घर लौट रहे मज़दूरों से रेल भाड़ा वसूलने पर झूठ बोल रही है बीजेपी?

क्या घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों से रेल भाड़ा लेने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी ग़लतबयानी कर रही है ? क्या इसके प्रवक्ता संबित पात्रा लोगों को गुमराह कर रहे हैं?
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ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है कि रेलवे किसी मुसाफ़िर से किराया नहीं वसूल रहा है। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गाँधी पर पलटवार करते हुए यह दावा किया। उन्होंने इसके साथ ही केंद्र सरकार के उस दिशा निर्देश का भी ज़िक्र किया जिसमें कहा गया है कि किसी मुसाफ़िर से भाड़ा नहीं वसूला जाएगा।

रेलवे बोर्ड ने भाड़ा लेने की बात मानी

पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी. के. यादव ने यह साफ़ शब्दों में माना है कि लौट रहे मज़दूरों को मुफ़्त यात्रा की सुविधा नहीं दी जाएगी। उन्होंने इसका कारण भी बताया है।

उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'समस्या यह है कि आप एक बार यात्रा मुफ़्त कर देते हैं तो सभी लोग इसके हक़दार हो जाएंगे। इससे यह होगा कि यात्रा करने वालों की निगरानी करना मुश्किल हो जाएगा। यह सेवा सबके लिए नहीं है, यह सिर्फ़ फँसे हुए मज़दरों और छात्रों वगैरह के लिए है, इसलिए हम मामूली किराया ले रहे हैं।'

यानी रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष यह मानते हैं कि यह मुफ़्त यात्रा नहीं है और इसके लिए भाड़ा वसूला जा रहा है। रेलवे ने अपने दिशा निर्देश में साफ़ कहा है कि वह रेल टिकट राज्यों को देगा और राज्य मुसाफ़िरों से पैसे वसूल कर उसे दे देगा।
BJP lying on rail fares collected from migrant workers - Satya Hindi

रेलवे को भाड़ा हर हाल में चाहिए

गृह सचिव अजय भल्ला ने अख़बार से कहा, 'दो मई को जारी स्टैंडर्ड ऑपरेशनल प्रोसीज़र में रेल मंत्रालय ने साफ़ कर दिया है कि मुसाफ़िर से भाड़ा वसूला जाना है।'रेलवे के इस एसओपी में कहा गया है, 'राज्य सरकार के स्थानीय अधिकारी टिकट मुसाफ़िरों को सौंप देंगे और उनसे भाड़ा एकत्रित कर रेलवे को दे देंगे।'
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष इस बात को और साफ़ करते हैं। वे यह बिल्कुल स्पष्ट कर देते हैं कि रेलवे तो भाड़ा ज़रूर लेगा, भले उसके लिए पैसे मुसाफ़िरों को कोई और दे।उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा,

'हमने देखा है कि 3-4 मॉडल सामने आ रहे हैं। कई जगहों पर नियोक्ता ही कर्मचारियों को घर जाने के पैसे दे रहे हैं, कुछ जगहों पर ग़ैरसरकारी संगठन उनके लिए पैसे का जुगाड़ कर रहे हैं। इसके बाद जिन जगहों से ये मुसाफ़िर ट्रेन पकड़ रहे हैं वे राज्य सरकार भाड़ा चुका रही हैं तो कुछ मामलों में ये मुसाफ़िर जहाँ जा रहे हैं, वहाँ की राज्य सरकार टिकट के पैसे दे रही है।'


वी. के. यादव, अध्यक्ष, रेलवे बोर्ड

झारखंड ने दिया भाड़ा

इसे समझने की कोशिश करते हैं। झारखंड सरकार ने राजस्थान के कोटा से राँची के नज़दीक हटिया तक की ट्रेन चलाने के लिए 5.4 लाख रुपये रेलवे को चुकाया है। झारखंड सरकार को अभी तेलंगाना के लिंगमपल्ली से हटिया तक चलाए गए श्रमिक एक्सप्रेस का भाड़ा चुकाना है।  
एक बात बिल्कुल साफ़ है कि यह रेल यात्रा मुफ़्त नहीं है, रेलवे इसके लिए भाड़ा ले रहा है। यह भाड़ा मज़दूर अपनी जेब से दें, उनका नियोक्ता दे, कोई ग़ैरसरकारी संगठन उन पर दया करे, जहां काम करते हैं वह राज्य सरकार दे या उनके गृह राज्य की सरकार दे। पर रेलवे को पैसे चाहिए।
बीजेपी के झूठ को बयान करते हुए इस टिकट पर ग़ौर कीजिए। 
वसई रोड से गोरखपुर जंक्शन तक के इस टिकट पर छपा है 740 रुपए। यह टिकट 2 मई 2020 को शाम 7.01 पर काटा गया और इस पर यात्रा की तारीख़ है 3 मई 2020। क्या वसई रोड से गोरखपुर के भाड़ा का 15 प्रतिशत 740 रुपए है?
BJP lying on rail fares collected from migrant workers - Satya Hindi
इसे समझने के लिए गुजरात के सूरत से ओड़िशा के पुरी गए मज़दूरों का मामला लिया जा सकता है। सूरत के ज़िला कलेक्टर ध्रुव पटेल ने पत्रकारों से कहा कि उन्होने वहाँ के ओड़िया समुदाय के लोगों से कहा कि वह अपने यहां के प्रवासियों की सूची दें और उन सबसे भाड़ा वसूल कर दें। 
ओड़िया समुदाय का एक प्रतिनिधि एक अधिकारी के साथ रेलवे अधिकारियों से मिला, 1200 टिकट के पैसे दिए और उनसे टिकट ले लिया। उन्होंने ये टिकट मुसाफ़िरों को दे दिए।
रेलवे इन मुसाफ़िरों से स्लीपर क्लास का भाड़ा लेता है। उसके ऊपर से वह सुपरफ़ास्ट का सरचार्ज 30 रुपए लेता है, उसके ऊपर से हर टिकट पर 20 का रिज़र्वेशन चार्ज भी लेता है। मतलब, रेलवे कोई मुरव्वत नहीं कर रहा है, वह पूरा पैसा वसूल रहा है।
इसे इससे भी समझा जा सकता है कि 2 मई को गुजरात के सूरत से ओड़िशा के पुरी गई श्रमिक स्पेशल ट्रेन का भाड़ा प्रति टिकट 710 रुपए लिया गया। जो लोग अहमदाबाद से आगरा कैंट गए, उनसे 250 रुपए लिए गए।
नासिक के कलेक्टर सूरज मंधारे ने इंडियन एक्सप्रेस से इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि नासिक से भोपाल 332 प्रवासी मज़दूर गए और सबसे 250 रुपए प्रति टिकट लिया गया। 
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क़मर वहीद नक़वी

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