loader

उच्चायुक्त को तलब किए जाने का ब्रिटिश सांसदों ने किया ज़ोरदार विरोध

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आन्दोलन पर ब्रिटिश संसद में हुई बहस का मुद्दा अब तूल पकड़ रहा है। ब्रिटेन के सांसदों ने इस मुद्दे पर भारत स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त को तलब करने पर गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि सांसद अपनी सरकार को ज़िम्मेदार ठहरा रहे थे और भारत को ब्रिटेन के सांसदों के इस लोकतांत्रिक अधिकार का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि ब्रिटेन के कई नागरिकों के रिश्तेदार भारत में रहते हैं और वहाँ की स्थिति पर ब्रिटेन में रहने वाले ये लोग चिंतित हैं। 

बता दें कि तीन महीने से ज़्यादा समय से चल रहे किसान आन्दोलन पर ब्रिटेन के निचले सदन हाउस ऑफ़ कॉमन्स में चर्चा हुई थी। ब्रिटेन के सांसदों ने कहा था कि वे कृषि क़ानूनों पर बहस नहीं कर रहे, इस पर विचार करना भारत सरकार का काम है। लेकिन किसान आन्दोलन से जिस तरह भारत सरकार निबट रही है, वे उससे चिंतित हैं। 

ख़ास ख़बरें

ब्रिटिश उच्चायुक्त तलब

हाउस ऑफ़ कॉमन्स के सांसदों ने कहा कि किसानों पर बार-बार आँसू गैस के गोले छोड़े जाने, वॉटर कैनन के इस्तेमाल और प्रदर्शनकारियों व पुलिस के बीच हुई झड़पों से चिंतित हैं। इसके साथ ही इन सांसदों ने प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाए जाने पर भी चिंता जताई। 

इसके बाद विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश उच्चायुक्त अलेक्स एलिस को तलब किया और ब्रिटिश संसद में हुई बहस पर विरोध जताया।

ब्रिटिश सासंदों का पलटवार

ब्रिटेन के सांसदों ने उच्चायुक्त को तलब किए जाने पर गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि भारत को ब्रिटेन के सांसदों के लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।

लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के विदेश मामलों की प्रवक्ता लॉयला मोरैन ने किसान आन्दोलन से निबटने के भारत के तरीके पर ब्रिटेन में बहस को उचित ठहराया है। उन्होंने कहा,

"लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य के प्रस्ताव पर सांसदों ने अपनी सरकार के मंत्रियों को ज़िम्मेदार ठहाराया कि वे मानवाधिकारों के साथ खड़े नहीं हैं। भारत सरकार को हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं और सरकार की आलोचना करने के अधिकार का सम्मान करना चाहिए।"


लॉयला मोरैन, प्रवक्ता, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी

'रिश्तेदार भारत में रहते हैं'

मोरैन ने कहा कि "ब्रिटेन के कई लोगों का परिवार भारत में रहता है, यह स्वाभाविक है कि वहाँ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के साथ हो रहे व्यवहार पर यहां के लोगों को चिंता हो।" 

संसद में प्रस्ताव रखने वाले लिबरल डेमोक्रेट सदस्य गुरचरण सिंह ने कहा कि "उनकी माँ टेलीविज़न पर विरोध प्रदर्शनों पर हो रही कार्रवाइयों से रोने लगीं, उन्होंने भारत फ़ोन कर पूरे मामले की जानकारी ली। इसके बाद ही उन्होंने ससंद में वह प्रस्ताव रखा और सरकार से सवाल किए।"

शैडो वित्त मंत्री पैट मैकफ़ैडन ने कहा,

"रोज़ी-रोटी छिनने के विरोध में जो लोग शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें विदेशी ताक़तों से नियंत्रित बताया जा रहा है। जो सरकार का विरोध कर रहे हैं, वे देश के प्रति वफ़ादार नहीं हैं, यह मानना ग़लत है।"


पैट मैकफ़ैडन. शैडो वित्त मंत्री, ब्रिटेन

शांतिपूर्ण प्रदर्शन से सख़्ती

बर्मिंघम के सांसद ताहिर अली ने कहा कि "शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के साथ सख़्ती की जा रही है। मोदी के राजनीतिक विरोधियों पर मनमर्जी से गिफ़्तारी का ख़तरा है, दक्षिणपंथी व अतिवादी सरकार सिविल सोसाइटी की आज़ादी को कुचल रही है।"

british parliament members protest againss british high commissioner summon - Satya Hindi

रिश्तों में खटास?

बता दें कि ब्रिटिश संसद में बहस होने के बाद लंदन में तैनात भारतीय उच्चायुक्त ने एक बयान जारी कर इस पर विरोध जताया था और बहस में उठाए गए मुद्दों का जवाब दिया था। उच्चायुक्त के एक बयान जारी कर कहा था कि यह बहस 'एकतरफ़ा' और 'झूठे नैरेटिव पर आधारित' थी। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले नहीं हो रहे हैं, यह इससे साबित होता है कि ब्रिटिश प्रेस समेत विदेशी मीडिया ने किसान आन्दोलन की रिपोर्टिंग की है।

भारतीय उच्चायुक्त ने एक बयान में कहा था, 'हमें बेहद अफसोस है कि एक संतुलित बहस के बजाय, झूठे दावे - बिना किसी पुष्टि या तथ्यों के - किए गए और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और इसके संस्थानों पर संदेह जताया गया।'

इसके बाद विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश उच्चायुक्त को तलब किया और उनसे इस बहस पर विरोध जताया था। विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश संसद में हुई बहस को भारत के 'आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप' और 'वोटबैंक राजनीति' क़रार दिया। लंदन स्थित भारतीय उच्चायुक्त ने इसके पहले ही बयान जारी कर विरोध प्रकट किया था। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें