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'लोकल पर वोकल' : अर्द्ध सैनिक बलों की कैंटीन में विदेशी ब्रांडों पर रोक, फिर आदेश वापस

अर्द्धसैनिक बलों के कैंटीन में लगभग एक हज़ार उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध यह कह कर लगा दिया गया कि ये विदेशी हैं। लेकिन उसमें से कुछ देशी ब्रांड भी थे, लिहाज़ा उस आदेश को वापस ले लिया गया है। 
अर्द्धसैनिक बलों की कैंटीनों से कहा गया कि वे विदेशी ब्रांड न बेचें और घरेलू व स्वदेशी उत्पादों को ही अपने यहां जगह दें। इसके तहत एक हज़ार उत्पादों की बिक्री पर रोक लगी दी गई। लेकिन इसमें न्युटेला, किंडर जॉय, टिक टैक, हॉर्लिक्स ओट्स, यूरेका फ़ोर्ब्स भी शामिल थे, जो भारतीय ब्रांड हैं। 
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कैंटीनों को विदेशी ब्रांड न बेचने की हिदायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस अपील के बाद दी गई, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश आत्मनिर्भर बने और विदेशी उत्पादों की जगह स्वदेशी उत्पाद का प्रयोग लोग करें। उन्होंने कहा था, 'लोकल पर वोकल होने की ज़रूरत है।'
गृह मंत्रालय ने इसे वापस लेते हुए कहा कि यह सूची ग़लती से जारी हो गई थी और इस आदेश को वापस लिया जा रहा है। 

तीन तरह के उत्पाद

केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार ये कैंटीन चलाता है। इन कैंटीनों में तीन तरह के उत्पाद बिकते हैं। वे उत्पाद जो पूरी तरह भारतीय हैं। दूसरे, वे उत्पाद जिनका कच्चा माल विदेशों से आयात होता है, लेकिन उत्पादन भारत में होता है। तीसरे, वे उत्पाद जो सीधे विदेश से आयात होते हैं। 
इन कैंटीनों में खरीददारी करने वालों में लगभग 60-70 प्रतिशत लोग आवश्यक इस्तेमाल की चीजें ही लेते हैं। लगभग 30-40 प्रतिशत लोग ही विदेशी चीजें खरीदते हैं। इन कैंटीनों में साल में लगभग 2,800 करोड़ रुपए के सामानो की बिक्री होती है। 
सीआरपीएफ़, बीएसएफ़, सीआईएसएफ़, इंडो टिबेटन बॉर्डर पुलिस, सशस्त्र सीमा बल, एनएसजी और असम राइफ़ल्स के लोग इन कैंटीनों से सामान खरीदते हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी

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