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‘सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम से सांप्रदायिकता भड़क सकती थी’

आख़िरकार केंद्र सरकार ने भी मान लिया है कि सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम ‘नौकरशाही जिहाद’ या ‘यूपीएससी जिहाद’ से सांप्रदायिकता भड़क सकती थी। सरकारी नौकरियों में मुसलमानों की घुसपैठ का आरोप लगाते हुए सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चव्हाणके ने अगस्त महीने में इस कार्यक्रम का टीजर वीडियो ट्विटर पर डाला था। 

सुरेश चव्हाणके ने जिस ट्वीट में यह वीडियो जारी किया था, उसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को भी टैग किया था। 

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने शीर्ष अदालत से कहा है कि ‘यूपीएससी जिहाद’ के कार्यक्रम ठीक नहीं हैं और इनसे सांप्रदायिकता भड़क सकती थी। मंत्रालय ने कहा कि उसने चैनल से कहा है कि वह भविष्य में इसे लेकर सावधानी बरते। केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि सुदर्शन टीवी ‘यूपीएससी जिहाद’ के कार्यक्रमों का प्रसारण कुछ बदलाव के साथ कर सकता है। 

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मंत्रालय की ओर से दाख़िल किए गए हलफ़नामे में कहा गया है कि चैनल ने उसे दिए अपने जवाब में अभिव्यक्ति की आज़ादी का हवाला दिया है और कहा है कि उसका कार्यक्रम किसी समुदाय विशेष को लेकर नहीं बनाया गया है लेकिन एक संगठन के कामों को उजागर करता है। 

मंत्रालय ने अदालत को बताया कि हालांकि अभिव्यक्ति की आज़ादी एक मौलिक अधिकार है लेकिन सुदर्शन न्यूज़ के जो कार्यक्रम प्रसारित हुए हैं, उनसे यह इशारा मिलता है कि चैनल ने प्रोग्राम कोड का उल्लंघन किया है। मंत्रालय के मुताबिक़, ये कार्यक्रम ठीक न होने के साथ ही आक्रामक भी हैं। 

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मोदी, अमित शाह के साथ सुरेश चव्हाणके।

मंत्रालय ने हलफ़नामे में कहा है कि वह इस मामले की जांच के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट है। इस कमेटी ने ‘यूपीएससी जिहाद’ के बाक़ी कार्यक्रमों में बदलाव करने का सुझाव दिया था। 

‘यूपीएससी जिहाद’ का वीडियो सामने आने के बाद ख़ासा हंगामा हुआ था और दिल्ली हाई कोर्ट ने इसके प्रसारण पर रोक लगा दी थी। जामिया मिल्लिया इसलामिया के छात्रों की ओर से इस मामले में अदालत में याचिका दायर की गई थी। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दे दी थी। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। इस दौरान कार्यक्रम के कुछ एपिसोड प्रसारित हो चुके थे। 

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक 

सितंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस कार्यक्रम के प्रसारण पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि ‘आप एक धर्म विशेष को टारगेट नहीं कर सकते।’ अदालत ने पहली नज़र में इस कार्यक्रम को मुसलिम समुदाय को अपमानित करने वाला पाया था। 

कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि मीडिया ख़ासकर टीवी मीडिया में चल रहे कार्यक्रमों के दौरान धर्म और किसी ख़ास संप्रदाय को लेकर होने वाली बातचीत का एक दायरा क्यों नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मीडिया को किसी भी तरह का कार्यक्रम चलाने के लिए बेलगाम नहीं छोड़ा जा सकता। 

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केंद्र ने दिया था नोटिस

इसके बाद की सुनवाइयों में केंद्र सरकार ने माना था कि ‘यूपीएससी जिहाद’ ने प्रोगाम कोड यानी किसी कार्यक्रम के प्रसारण के लिए निर्धारित नियमों का उल्लंघन किया है। केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि इसे लेकर सुदर्शन न्यूज़ को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है और चैनल से जवाब मांगा गया है। केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत किसी भी कार्यक्रम में ऐसे दृश्य या शब्द नहीं होने चाहिए जो किसी भी धर्म या समुदाय पर हमला करते हों।

सुरेश चव्हाणके के ‘यूपीएससी जिहाद’ के वीडियो पर सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर आईपीएस एसोसिएशन, आईपीएस अफ़सरों और आईएएस अधिकारियों ने आपत्ति जताई थी और इसे नफ़रत फैलाने वाला क़रार दिया था। 

दो समुदायों के बीच नफ़रत फैलाने के मामले में 2017 में सुरेश चव्हाणके गिरफ़्तार भी हो चुके हैं। तब चव्हाणके ने संभल के एक धार्मिक स्थल पर जाकर जल चढ़ाने का एलान किया था। यूपी पुलिस ने चव्हाणके को समुदायों के बीच नफरत फैलाने, सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और चैनल के ज़रिए अफवाह फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 
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क़मर वहीद नक़वी

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