loader

8 राज्यों के कई ज़िलों में 10% से ज़्यादा पॉजिटिविटी रेट, ख़तरे की घंटी!

कोरोना संक्रमण के मामले ज़्यादा आने पर पहले जहाँ छह राज्यों में केंद्र से विशेषज्ञों की टीमें भेजी गई थीं वहीं अब केंद्र ने आठ राज्यों को पत्र लिखकर कोरोना को नियंत्रित करने को कहा है। उस पत्र में उन राज्यों के कई ज़िलों में कोरोना पॉजिटिविटी रेट ज़्यादा होने पर चिंता जताई गई है। इसके अलावा केंद्र ने चार अन्य राज्यों-महाराष्ट्र, केरल छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में हर रोज़ संक्रमण बढ़ने पर कोरोना को नियंत्रित करने को कहा गया है। कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंकाओं के बीच संक्रमण में ऐसी बढ़ोतरी चिंता का बड़ा कारण बन जा रही है। 

हर रोज़ संक्रमण के मामले जो क़रीब 34 हज़ार आ रहे थे वह गुरुवार को आई बुधवार के 24 घंटे की रिपोर्ट के अनुसार 45 हज़ार से ज़्यादा मामले आए हैं। यह बढ़ोतरी सरकार के लिए चिंता पैदा करने वाली है। संक्रमण के ये मामले पूरे देश में नहीं बढ़ रहे हैं। जिन राज्यों में बढ़ोतरी हुई भी है वहाँ भी कुछ ज़िलों में पॉजिटिविटी रेट बढ़ गई है। इसी को नियंत्रित करने पर सरकार का ज़्यादा जोर है। 

ताज़ा ख़बरें

पॉजिटिविटी रेट यानी संक्रमित आने वालों की दर का मतलब है कि कोरोना जाँच कराए कुल लोगों में से कितने लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। यानी कितने लोग संक्रमित पाए जाते हैं। मिसाल के तौर पर यदि 100 लोगों ने जाँच करवाई और उसमें से 10 लोग संक्रमित पाए गए तो इसका मतलब है कि पॉजिटिविटी रेट 10 फ़ीसदी है। आम तौर पर कोरोना संक्रमण का पॉजिटिविटी रेट 5 फ़ीसदी से नीचे रहने पर नियंत्रण में माना जाता है। 

लेकिन केंद्र सरकार के अनुसार आठ राज्यों में सबसे अधिक ज़िलों में 10 फ़ीसदी से ज़्यादा पॉजिटिविटी रेट है। इसीलिए सरकार की चिंता है। गुरुवार को स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि उन्होंने इसके लिए आठ राज्यों को पत्र लिखा है और तुरत क़दम उठाकर जानकारी देने को कहा है। 

जिन राज्यों को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा पत्र भेजा गया है, वे हैं- अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, केरल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, ओडिशा और सिक्किम। हालाँकि भूषण ने कहा कि हालाँकि देश में दैनिक नए मामलों की गति में काफ़ी कमी आई है, लेकिन मामले की हफ़्ते दर हफ्ते पॉजिटिविटी को लेकर निरंतर निगरानी की आवश्यकता है। 

अरुणाचल प्रदेश के 25 ज़िलों में से 19 में सबसे अधिक पॉजिटिविटी रेट 10% से ज़्यादा है। भूषण ने कहा कि पिछले चार हफ्तों में राज्य में सकारात्मकता दर बढ़ रही है। असम के 33 में से 29 ज़िलों में 4 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 100 से अधिक नए मामले सामने आए।

केंद्र ने सख्त रोकथाम उपायों, परीक्षण में वृद्धि और टीकाकरण में तेजी लाने की आवश्यकता पर बल दिया। 10% से अधिक की सकारात्मकता दर वाले देश भर के ज़िलों में से 60% ज़िले उत्तर-पूर्व के राज्यों में हैं। गृह सचिव अजय भल्ला ने बुधवार को उन्हें 'टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण और कोविड नियमों के पालन' की पांच स्तरीय रणनीति का पालन करने के लिए कहा था। 

centre told 8 states with high covid positivity rates to act immediately  - Satya Hindi

बता दें कि क़रीब हफ्ते भर पहले ही देश के छह राज्यों में केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की टीमें भेजी हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले हफ़्ते शुक्रवार को कहा था कि उन टीमों में अलग-अलग मामलों से जुड़े अलग-अलग विशेषज्ञ शामिल हैं। ये टीमें केरल, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मणिपुर में कोरोना को नियंत्रित करने और उसे रोकने के उपाय करने में राज्यों की सहयता करने के लिए भेजी गईं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि ये टीमें कोरोना से जुड़े हर पहलू पर ध्यान देंगी। चाहे वह जाँच हो या निगरानी और कंटेनमेंट को लेकर संचालन, कोरोना प्रोटोकॉल का पालन हो या, अस्पताल बेड, एंबुलेंस, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सप्लाई, टीकाकरण आदि वे सब पर नज़र रखेंगी।

देश से और ख़बरें

केंद्र की ओर से टीमें भेजने की जल्दबाज़ी तब दिखाई गई है जब देश के कई राज्यों में अब डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं। यह डेल्टा प्लस उस डेल्टा वैरिएंट का ही एक म्यूटेंट है जिसे दुनिया भर में अब सबसे बड़ा ख़तरा माना जा रहा है। डेल्टा वैरिएंट को भारत में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माना गया। 

भारत में जब दूसरी लहर अपने शिखर पर थी तो हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा संक्रमण के मामले रिकॉर्ड किए जा रहे थे। देश में 6 मई को सबसे ज़्यादा 4 लाख 14 हज़ार केस आए थे। यह वह समय था जब देश में अस्तपाल बेड, दवाइयाँ और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ भी कम पड़ गई थीं। ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं। अस्पतालों में तो लाइनें लगी ही थीं, श्मशानों में भी ऐसे ही हालात थे। इस बीच गंगा नदी में तैरते सैकड़ों शव मिलने की ख़बरें आईं और रेत में दफनाए गए शवों की तसवीरें भी आईं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें