loader

शरजील इमाम के ख़िलाफ़ असम, अलीगढ़ में मुक़दमा दर्ज

असम सरकार ने जेएनयू के छात्र शरजील इमाम के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है। शरजील इमाम सोशल मीडिया पर चल रहे एक वीडियो में यह कहता हुआ देखा जा सकता है कि देश के मुसलमानों को असम को शेष भारत से काट देना चाहिए, तब सरकार उनकी बात सुनेगी।
असम के मंत्री हिमंत विस्वसर्मा ने कहा, 'राज्य सरकार शरजील इमाम के ख़िलाफ़ मामला दर्ज करेगी और क़ानून के तहत कार्रवाई करेगी।' 

सर्मा ने कहा, ‘असम के लोगों को चौकन्ना रहना होगा, हम असम और पूर्वोत्तर को अलग नहीं होने देंगे, हम भारत के अभिन्न अंग हैं।’
ये वही शरजील इमाम हैं, जिनका नाम भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने लेकर कहा था कि शाहीन बाग का आन्दोलन देश तोड़ने की साजिश है। पात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह कहा था। 
'न्यू इंडियन एक्सप्रेस' ने ख़बर दी है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने शरजील के ख़िलाफ़ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय परिसर में 16 जनवरी को शरजील ने आपत्तिजनक बातें कही थीं।
एएमयू के वरिष्ठ पुलिस सुपरिटेंडेंट आकाश कुल्हारी ने कहा, ‘उसके भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहा था। एएमयू के अधिकारियों से मिली जानकारी और दूसरे तथ्यों से यह साबित हो गया है कि शरजील इमाम एएमयू में एक विरोध सभा में बोल रहा था जहाँ उसने आपित्तजनक बातें कही हैं।’
एएमयू के प्रवक्ता शफ़ी किदवई ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि शरजील के वीडियो में कुछ बातें हैं, जो आपत्तिजनक हैं। उन्होंने कहा, ‘उस तरह की बातें जो राष्ट्र-विरोधी क्रिया कलाप में आती हों, उनके बारे में हमारी नीति ज़ीरो टॉलरेंस की है। हमने 10 जनवरी को राज्य सरकार को चिट्ठी लिख कर कहा था कि वह ऐसे तत्वों पर निगरानी रखे जो हमारे छात्र समुदाय में किसी तरह घुस कर अपनी जगह न बना ले।’ 

शाहीन बाग़ के आंदोलनकारियों की ओर से बनाये गये ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है कि शरजील इमाम किसी भी आयोजक कमेटी का सदस्य नहीं है और न ही इस तरह की कोई कमेटी अस्तित्व में है। ट्विटर हैंडल पर बयान जारी कर कहा गया है, ‘शाहीन बाग़ के आंदोलन से लाखों लोग जुड़ रहे हैं और यह लड़ाई देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को बचाने के लिए लड़ी जा रही है। यह आंदोलन शाहीन बाग़ की महिलाओं के द्वारा चलाया जा रहा है और इसका किसी ऐसे व्यक्ति से जो यह दावा करता है कि वह शाहीन बाग़ आंदोलन का मास्टरमाइंड है, उससे कोई लेना-देना नहीं है। हम यह फिर से कहना चाहते हैं कि शाहीन बाग़ के आंदोलन में कोई आयोजक कमेटी नहीं है, न तो कोई नेता है और न ही कोई आयोजक।’
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें