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कांग्रेस ने की पेगासस जासूसी मामले की निष्पक्ष जाँच की माँग

कांग्रेस के लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने पेगागस जासूसी मामले की निष्पक्ष व स्वतंत्र जाँच की माँग की है। 

उन्होंने कहा है, "सरकार ने अनधिकृत निगरानी रखे जाने से इनकार किया है। सवाल यह है कि जब पेगासस सिर्फ सरकारी एजेंसियों को बेचा जाता है तो किस देश की सरकार ने भारतीय नागरिकों की जासूसी इसके ज़रिए की है? क्या इसकी स्वतंत्र व निष्पक्ष जाँच नहीं होनी चाहिए?"

बता दें कि 'द वायर' ने एक ख़बर में दावा किया है कि पेगासस जासूसी सॉफ़्टवेअर या स्पाइवेअर का इस्तेमाल कर देश के चोटी के 40 पत्रकारों, सरकार के दो मंत्रियों, विपक्ष के तीन नेताओं, संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति और एक जज की जासूसी की गई है।

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सरकार का जवाब

सॉफ़्टवेअर बनाने वाली इज़रायली कंपनी एनएसओ ने पहले एक मामले में कहा था कि वह यह स्पाइवेअर सिर्फ सरकारों या सरकारी एजेंसियों को ही देती है।

भारत सरकार ने कहा है, "इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कह दिया है कि किसी सरकारी एजेंसी ने किसी की अनधिकृत निगरानी नहीं की है। यदि किसी की निगरानी की गई है तो वह तय प्रोटोकॉल के अनुसार ही की गई है।"

congress for probe into journalists snooping by pegasus - Satya Hindi

क्या कहा राहुल ने?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी कहा, "हम जानते हैं कि वो क्या पढ़ रहे हैं।"

राहुल ने आपने तीन दिन पुराने एक ट्वीट को भी इसमें जोड़ा है, जिसमें उन्होंने पूछा था कि "हैरत में हूं कि तुम लोग क्या पढ़ रहे हैं?"

ओवैसी का हमला

ऑल इंडिया मजलिस-ए- मुत्तहिदा-ए-मुसलिमीन (एआईएमआईएम) के नेता असदउद्दीन ओवैसी ने इस मामले में सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है, "पेगासस स्पाइवेअर का इस्तेमाल हैकिंग है, यह 'अधिकृत इंटरसेप्शन' या टैपिंग नहीं है। हैकिंग एक अपराध है, यह किसी व्यक्ति न की हो या फिर सरकार ने।"

उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में कहा है है, "सरकार को स्पष्ट तौर पर दो चीजें बतानी होंगी। पहली यह कि क्या उसने एनएसओ स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं, दूसरा, क्या आपने न्यूज़ रिपोर्ट्स में लिए गए नामों को इसके दायरे में लिया था या नहीं।"

क्या है पेगासस प्रोजेक्ट?

फ्रांस की ग़ैरसरकारी संस्था 'फ़ोरबिडेन स्टोरीज़' और 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' ने लीक हुए दस्तावेज़ का पता लगाया और 'द वायर' और 15 दूसरी समाचार संस्थाओं के साथ साझा किया। इसका नाम रखा गया पेगासस प्रोजेक्ट। 

'द गार्जियन', 'वाशिंगटन पोस्ट', 'ला मोंद' ने 10 देशों के 1,571 टेलीफ़ोन नंबरों के मालिकों का पता लगाया और उनकी छानबीन की। उसमें से कुछ की फ़ोरेंसिक जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनके साथ पेगासस स्पाइवेअर का इस्तेमाल किया गया था।

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क़मर वहीद नक़वी

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