कांग्रेस में नेतृत्व संकट को लेकर 23 वरिष्ठ नेताओं की चिट्ठी के बाद अब रिपोर्ट है कि सोनिया गाँधी ने कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की बात कही है। हालाँकि, इसकी आधिकारिक घोषणा न तो कांग्रेस और न ही सोनिया गाँधी की ओर से की गई है। मीडिया रिपोर्टों में सोनिया गाँधी के क़रीबी सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार सोनिया गाँधी का यह फ़ैसला सोमवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक से पहले आया है। अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस में बढ़ते जा रहे आंतरिक संकट के बीच सोनिया गाँधी का यह फ़ैसला चौंकाने वाला है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सोनिया गाँधी ने तभी कह दिया था कि पार्टी का नेतृत्व करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है जब 10 अगस्त को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) उन्हें फिर से संगठन की बागडोर संभालने का अनुरोध किया था। सोनिया ने केवल एक शर्त पर बहुत मनाने के बाद अंतरिम प्रमुख का पद स्वीकार कर लिया कि पार्टी जल्द ही उनका स्थान ले लेगी।
'हिंदुस्तान टाइम्स' की एक रिपोर्ट के अनुसार, उस समय भी सोनिया गाँधी ने अपनी प्रतिक्रिया में ज़ोर देकर कहा था कि नया अध्यक्ष गाँधी परिवार के बाहर से किसी को होना चाहिए।
समझा जाता है कि सोनिया ने यह फ़ैसला पार्टी नेताओं के एक समूह द्वारा लिखे गए पत्र के जवाब लिया है। कांग्रेस के ही 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा चिट्ठी लिखे जाने का मामला आज ही सुर्खियों में आया है। माना जा रहा है कि उन नेताओं ने क़रीब एक पखवाड़ा पहले यह चिट्ठी लिखी थी। रिपोर्टों के अनुसार, चिट्ठी में उन्होंने संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन की माँग की है और कहा है कि उन सभी को एक साथ मिलना चाहिए और एक नया प्रमुख ढूँढना चाहिए।
वरिष्ठ नेताओं की इस चिट्ठी में 'ईमानदारीपूर्वक आत्म चिंतन' करने की सलाह देते हुए कहा गया है कि सामूहिक नेतृत्व विकसित की जाए। यह भी कहा गया है कि 'युवाओं का धैर्य ख़त्म होता जा रहा है।'
इस चिट्ठी में यह भी माँग की गई है कि पार्टी के अंदर सत्ता का विकेंद्रीकरण किया जाए, राज्य ईकाइयों को अधिक ताक़तवर बनाया जाए और हर स्तर पर जल्द से जल्द चुनाव कराया जाए।
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