क्या है मामला?
अमेरिकी पत्रिका वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक ख़बर में कहा था कि फ़ेसबुक ने तेलंगाना के बीजेपी विधायक टी राजा सिंह के मुसलिम विरोधी पोस्ट को इसलिए नहीं हटाया क्योंकि इससे कंपनी के व्यापार पर असर पड़ता। खबर के मुताबिक़, फ़ेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डाइरेक्टर अंखी दास ने कहा था कि ऐसा करने से कंपनी के बिजनेस प्रॉस्पेक्ट पर बुरा असर पड़ेगा। ऐसे कम से कम तीन और मामले थे। इसके साथ ही खबर में यह भी कहा गया था कि फ़ेसबुक ने चुनाव में बीजेपी की मदद की थी।कांग्रेस की चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि बीजेपी नेताओं के साथ फ़ेसबुक की मिलीभगत है और कंपनी इन नेताओं के हेट स्पीच को लगातार बढ़ावा दे रही है।
पक्षपात का आरोप
कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि इसके पहले भी निष्पक्षता नहीं बरतने के मुद्दे पर फ़ेसबुक और वॉट्सऐप के अधिकारियों से कई बार कहा चुका है। के. सी. वेणुगोपाल ने कहा कि वो ऐसी ही एक बैठक में मौजूद थे, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।कांग्रेस ने एक महत्वपूर्ण माँग यह की है कि 2014 के बाद से अब तक इस प्लैटफ़ॉर्म पर पोस्ट किए गए सभी हेट स्पीच का पता लगाया जाए और उसकी जानकारी दी जाए।
राहुल गांधी ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा है, 'हम कड़ी मेहनत के बाद हासिल किए गए लोकतंत्र में पक्षपात, फ़ेक न्यूज़ और हेट स्पीच से जोड़तोड़ नहीं करने देंगे। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने ख़बर दी है, हेट स्पीच और फ़ेक न्यूज़ को बढ़ावा देने में फ़ेसबुक की भूमिका पर सभी भारतीयों को सवाल उठाना चाहिए।'
इसके साथ ही उन्होंने मार्क ज़करबर्ग को लिखी गई चिट्ठी अटैच भी कर दी है।
We cannot allow any manipulation of our hard-earned democracy through bias, fake news & hate speech.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 18, 2020
As exposed by @WSJ, Facebook’s involvement in peddling fake and hate news needs to be questioned by all Indians. pic.twitter.com/AvBR6P0wAK
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