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कोरोना : भारत में 60 साल से कम उम्र के लोग अधिक क्यों मर रहे हैं? 

कोरोना वायरस संक्रमण से देश में अब तक जिन 1075 लोगों की मौत हुई है, उनमें से लगभग आधे लोगों की उम्र 60 साल से कम है। इससे साफ़ है कि कोरोना से मरने वालों में कम उम्र के लोगों की तादाद बढ़ रही है। 
 यह कोरोना का बदला हुआ ट्रेंड है। इससे पहले 18 अप्रैल तक कोरोना से मरने वालों में एक चौथाई लोग 60 से कम उम्र के थे। यानी, कम उम्र के लोग कोरोना के शिकार ज़्यादा हो रहे हैं। 
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संक्रमण का बदलता ट्रेंड

दूसरी ओर, कोरोना के शिकार हुए लोगों में 75 साल से अधिक उम्र के 9.2 प्रतिशत लोग है। पहले ऐसे लोगों की संख्या 42.2 प्रतिशत थी। 
केंद्र सरकार की स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने कहा है कि 3 मई को लॉकडाउन ख़त्म होने के बाद लाल, नारंगी और हरे रंग के इलाक़ों का निर्धारण नए ढंग से किया जाना चाहिए। अब हरे रंग के क्षेत्रों में उन इलाक़ों को शामिल किया जाएगा जहाँ 21 दिनों से कोरोना संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है। पहले 28 दिनों की सीमा इसके लिए तय थी। प्रीति सूदन ने अपने पत्र में 130 ज़िलों को लाल, 284 ज़िलों को नारंगी और 319 ज़िलों को हरा घोषित किया है। 

ज़्यादा लोग स्वस्थ

स्वास्थ्य सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि पहले हॉटस्पॉट या लाल क्षेत्र, नारंगी क्षेत्र और हरे क्षेत्र में बाँटा गया था। अब इस संक्रमण से लोगों के ठीक होने की रफ़्तार बढ़ रही है, लोग पहले से ज़्यादा और जल्दी ठीक हो रहे हैं, लिहाज़ा, इसका आधार भी बढ़ाना होगा। नए वर्गीकरण में कई नए श्रेणियों को शामिल किया जाएगा। 
अब जिन राज्यों 10 या उससे अधिक रेड ज़ोन हैं, वे हैं, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश। 
बता दें कि भारत में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,993 मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही देश में संक्रमितों की कुल संख्या 35 हज़ार पार कर गई है। इससे मरने वालों की संख्या 1,147 हो गई है। 
पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि कोरोना पीड़ित 105 लोगों की मौत हो गई है, पर इनमें  से सिर्फ 33 की मौत कोरोना के कारण हुई है। बाकी सभी लोग दूसरे किसी न किसी रोग से ग्रस्त थे और उनकी मौत दूसरी वजहों से हुई।  
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क़मर वहीद नक़वी

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