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लक्ष्य से कम टीकाकरण, क्या डरे हुए हैं स्वास्थ्य कर्मी?

क्या टीकाकरण अभियान में लगे स्वास्थ्य कर्मी भी टीका के प्रभाव को लेकर आशंकित हैं? क्या वे ख़ुद टीका लेने से बच रहे हैं और दूसरों पर इसके असर को देखना चाहते हैं? क्या इस वजह से ही दो दिनों में जितने लोगों को टीका लगाने का लक्ष्य रखा गया था, उतने लोगों ने टीका नहीं लगवाया है?

16 जनवरी को शुरू हुए राष्ट्र- व्यापी कोरोना टीकाकरण अभियान के शुरू में ही ये सवाल उठने लगे हैं। 

'द हिन्दू' के अनुसार, कुछ राज्यों के स्वास्थ्य कर्मियों में टीका को लेकर हिचक है, वे 'देखो और इंतजार करो' की नीति पर चल रहे हैं, यानी वे ख़ुद टीका लेने के पहले यह देख लेना चाहते हैं कि जिन्होंने ये टीका लगवाए हैं, उन पर इसका क्या असर पड़ा है। 

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स्वास्थ्य कर्मियों को आशंका

इसे इससे भी समझा जा सकता है कि ऑक्सफ़ोर्ड एस्ट्राज़ेनेका का कोविशील्ड तो लोग लगवा रहे हैं, पर भारत बायोटेक के कोवैक्सीन को लेकर उतने उत्साहित नहीं है। 

बता दें कि भारत बायोटेक ने तीसरे चरण के ट्रायल का डेटा नहीं दिया है, जिससे यह माना जा रहा है कि इस टीका के परीक्षण का तीसरा चरण पूरा नहीं हुआ है। इससे इस पर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन सरकार ने यह टीका देना शुरू कर दिया है। 

तमिलनाडु

'द हिन्दू' के मुताबिक़, तमिलनाडु में टीकाकरण के पहले दिन यानी 16 जनवरी को तय लक्ष्य के सिर्फ 16 प्रतिशत लोगों ने टीका लगवाया। राज्य सरकार के स्वास्थ्य सचिव राधाकृष्णन ने यह माना कि लोग 'इंतजार करो और देखो' की नीति पर चल रहे हैं। उन्होंने 'द हिन्दू' से कहा,

"स्वास्थ्य पेशेवरों के कुछ संगठनों ने भरोसा दिया है कि वे एक-दो दिन बाद ही टीका लगवाएंगे।"


राधाकृष्णन, स्वास्थ्य सचिव, तमिलनाडु

ख़ुद स्वास्थ्य सचिव ने कोवैक्सीन का टीका लगवाया, पर पूरे तमिलनाडु में दो दिनों में 6,156 लोगों ने ही टीका लगवाया, जबकि लक्ष्य 30,000 लोगों को टीका देन का था।

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश में पहले दिन 32 हज़ार लोगों को टीका देने का लक्ष्य रखा गया था, पर सिर्फ 19,108 लोग यानी 61 प्रतिशत लोग ही टीका लेने सामने आए। इसी तरह दूसरे दिन 27,009 लोगों को कोरोना का टीका देने का लक्ष्य रखा गया थआ, पर 13,041 लोग ही इसके लिए राजी हुए। 

केरल

लगभग यही हाल केरल का है। वहाँ पहले दिन 11,138 लोगों को टीका देना था, पर 8,062 लोगों को ही यह दिया जा सका। केरल राज्य मेडिकल बोर्ड के अध्यक्ष संतोष कुमार ने 'द हिन्दू' से कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों में टीका के साइड इफ़ेक्ट को लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं। 

corona vaccine : vaccination campaign falls short of target - Satya Hindi

तेलंगाना

तेलंगाना राज्य लोक स्वास्थ्य निदेशालय के जी. श्रीनिवास राव ने कहा,

"कुछ स्वास्थ्य कर्मियों ने टीका लगवाने से खुले आम इनकार कर दिया, उनके मन में टीका को लेकर कई तरह के डर थे और उन्होंने कहा कि वे दो दिन बाद ही टीका लगवाएंगे।"


जी. श्रीनिवास राव, राज्य लोक स्वास्थ्य निदेशालय, तेलंगाना

इसी तरह पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, ओडिशा और दूसरे राज्यों में लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सका। इन तमाम जगहों पर स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि वे एक-दो दिन बाद टीका लगवाएंगे। 

इसके बावजूद 2,24,031 स्वास्थ्य कर्मियों ने शुरुआती दो दिनों में टीका लगवाए हैं। पहले ही दिन यानी 16 जनवरी को 2,07,229 स्वास्थ कर्मियों ने टीका लगवाया था। 

इनमें 447 मामले ऐसे पाए गए हैं, जिनमें टीका लगाए जाने के बाद कुछ बुरा असर दिखा, तीन लोगों को अस्पताल में दाखिल कराया गया।

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कोवैक्सीन कंसेंट फ़ॉर्म

'द हिन्दू' ने एक दूसरी ख़बर में कहा है कि जो लोग भारत बायोटेक का कोवैक्सीन टीका ले रहे हैं, उनसे एक कंसेंट फ़ॉर्म यानी रज़ामंदी के फ़ॉर्म भरवाया जा रहा है। यह कहा जा रहा है कि सरकार ने इस टीका की अनुमति दे दी है, इसलिए वे इसे भर कर टीका लें।

इसमें यह लिखा हुआ है कि यदि टीका की वजह से कोई बुरा प्रभाव होता है तो कंपनी उसका मुआवजा देगी। इस फॉर्म में यह भी लिखा हुआ है कि टीका की क्लिनिकल कुशलता अभी निश्चित नहीं हुई है और इसके क्लिनिकल ट्रायल का तीसरा चरण अभी चल रहा है। 

केंद्र सरकार के मुताबिक़, भारत में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। अगले कुछ महीनों में ही 30 करोड़ भारतीयों को वैक्सीन लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी शुरुआत स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स से की गई है और सबसे पहले ऐसे 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही है। 
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क़मर वहीद नक़वी

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