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पॉजिटिव केस कम हुए तो क्या कोरोना संक्रमण ख़त्म हो रहा?

क्या देश में कोरोना संक्रमण अब ख़त्म होने की ओर है? संक्रमण के जितने मामले आ रहे हैं उससे ऐसा सवाल उठना लाजिमी है। पिछले 24 घंटे में कोरोना के क़रीब 11 हज़ार नए मामले आए हैं। दिल्ली में तो 24 घंटे में कोई मौत नहीं हुई है। देश के 707 ज़िलों में से 25 फ़ीसदी ज़िलों में कोरोना संक्रमण का एक भी मामला नहीं आया है, जबकि 64 फ़ीसदी ज़िलों में हर रोज़ 20 से भी कम मामले आ रहे हैं। 3 फ़ीसदी यानी 21 ज़िलों में हर रोज़ 100 से ज़्यादा केस आ रहे हैं। 

पिछले चार महीने में स्थिति काफ़ी ज़्यादा सुधारी है। सितंबर के मध्य में ही सिर्फ़ 9 फ़ीसदी ज़िले थे जहाँ कोई भी नया मामला नहीं आ रहा था जबकि 28 फ़ीसदी ज़िलों में हर रोज़ औसत रूप से कम से कम 100 नये मामले आ रहे थे। देश में हर रोज़ सबसे ज़्यादा जितने कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे थे उसका अब 12 फ़ीसदी ही मामले आ रहे हैं। इसका मतलब साफ़ है कि संक्रमण का फैलना काफ़ी धीमा हो गया है। क्या इसका मतलब है कि संक्रमण ख़त्म होने को है?

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इसका जवाब इतना आसान भी नहीं है। यह इसलिए कि अधिकतर ज़िलों में अभी कोरोना संक्रमण पीक यानी शिखर पर नहीं पहुँचा है। देश में फ़िलहाल कोई भी ज़िला अपने पीक पर नहीं है। 31 जनवरी को पीक यानी शिखर का आधा भी सिर्फ़ 10 ज़िलों में था। इसमें से 9 ज़िले केरल में हैं। एक ज़िला छत्तीसगढ़ में है।

भारत में अभी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर नहीं आई है जबकि दुनिया भर के कई देशों में ऐसा देखा गया है। इसमें अमेरिका व ब्राज़ील के अलावा, इंग्लैंड, स्पेन, इटली, फ्रांस, रूस जैसे यूरोपीय देश भी शामिल हैं। 

ये वे देश हैं जहाँ पहली लहर आने के बाद पूरे देश में लॉकडाउन किया गया था और ज़िंदगियाँ थम सी गई थीं। लेकिन जब हालात सुधरे तो स्थिति ऐसी आ गई कि कई देशों में स्कूल तक खोल दिए गए और स्थिति सामान्य सी लगने लगी। लेकिन जब संक्रमण की दूसरी लहर आई तो फिर से कई देशों में लॉकडाउन लगाना पड़ा। पहले से भी ज़्यादा सख़्त। इंग्लैंड जैसे यूरोपीय देश इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। अमेरिका में तो जब दूसरी लहर आई तो हर रोज़ संक्रमण के मामले कई गुना ज़्यादा हो गए। पहली लहर में जहाँ हर रोज़ सबसे ज़्यादा संक्रमण के मामले क़रीब 75 हज़ार के आसपास थे तो दूसरी लहर में हर रोज़ संक्रमण के मामले 3 लाख से भी ज़्यादा आ गए। 

ये वे देश हैं जो निश्चिंत हो गए थे कि स्थिति अब संभल गई है और लोगों ने मास्क उतारकर फेंक दिए थे। उसके नतीजे भी उन्हें भुगतने पड़े।

ऐसे में सवाल है कि भारत में कोरोना संक्रमण के मामले इतने कम क्यों आ रहे हैं? इसका सबसे बड़ा कारण तो यह लगता है कि लोगों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो गई है। हर्ड इम्युनिटी से मतलब है कोरोना संक्रमण से ठीक हुए लोगों की संख्या इतनी ज़्यादा हो जाना और उनमें एंटी बॉडी तैयार हो जाना कि संक्रमण को फैलने के लिए मौक़ा नहीं मिले। 

coronavirus infection in india decreased - Satya Hindi

दिल्ली का सीरो सर्वे इस बात को दिखाता है। दिल्ली में 56 फ़ीसदी लोगों में कोरोना के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी पाई गई है। मतलब ये वे लोग हैं, जिन्हें कोरोना हुआ और उन्हें पता भी नहीं चला और वे ठीक हो गए। इससे पूर्व पहले सीरो सर्वे में 23.48% लोगों में एंटीबॉडी पाई गई थी। दूसरे सीरो सर्वे में 29.1% सैंपल में एंटीबॉडी पाई गई थी। तीसरे सीरो सर्वे में 25.1% लोगों में ही एंटीबॉडी पाई गई। चौथे सीरो सर्वे में 25.53% सैंपल में एंटीबॉडी पाई गई।

दूसरा कारण यह है कि अब कोरोना का टीका लगाया जा रहा है इससे भी संक्रमण फैलने का ख़तरा कम हो रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के अनुसार 9 फरवरी सुबह आठ बजे तक 62.6 लाख लोगों को कोरोना का टीका दिया जा चुका है। 

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इन कारणों से कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी की ख़बर राहत देने वाली हो सकती है, लेकिन निश्चिंत होने की वजह नहीं हो सकती। यह इसलिए कि हर्ड इम्युनिटी को 70 फ़ीसदी से ज़्यादा होने पर प्रभावकारी माना गया है जो अभी भारत में हुआ नहीं लगता है। वैसे भी, कई राज्यों में दूसरी लहर नहीं आई है और इसकी आशंका से इनकार भी नहीं किया जा सकता है।

केरल में मामले बढ़ रहे हैं

देश में केरल एकमात्र राज्य है जहाँ हर रोज़ संक्रमण के मामले बढ़ते दिख रहे हैं। 7 फ़रवरी को ख़त्म हुए सप्ताह में देश में कुल आए नये संक्रमण के मामलों में से क़रीब आधे केरल में आए हैं। इससे पहले 1 दिसंबर को केरल में देश में आ रहे कुल मामलों के 15 फ़ीसदी मामले आ रहे थे और एक जनवरी को 25 फ़ीसदी। अब क़रीब आधे। 

केरल के बाद महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा संक्रमण के नये मामले आ रहे हैं। हर रोज़ क़रीब 20 फ़ीसदी मामले महाराष्ट्र में आ रहे हैं।

निश्चिंत नहीं होने की बात नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वी के पॉल ने भी कही है। उन्होंने कहा है कि नए मामलों और मरीजों की मौत में कमी आई है, लेकिन साथ ही चेताया है कि पिछले राष्ट्रीय सीरो-सर्वेक्षण के आँकड़ों के अनुसार देश की 70 प्रतिशत से अधिक आबादी अभी भी अति संवेदनशील कैटेगरी में है। वी के पॉल ने कोरोना वायरस के टीकाकरण के ज़रिए हर्ड इम्युनिटी को हासिल करने पर भी जोर दिया।

बता दें कि भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा कोरोना संक्रमित देशों में दूसरे स्थान पर है। भारत में अब तक 1,08,58,371 संक्रमण के मामले आ चुके हैं और 1,55,252 लोगों की मौत हो चुकी है। देश में सक्रिय मामलों की संख्या अब 1,41,511 है। सबसे ज़्यादा संक्रमित देश अमेरिका है। वहाँ दो करोड़ 77 लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आ चुके हैं और क़रीब पौने पाँच लाख  लोगों की मौत हो चुकी है। तीसरे स्थान पर ब्राज़ील है जहाँ 96 लाख से ज़्यादा संक्रमण के मामले आए हैं और क़रीब 2 लाख 33 हज़ार से ज़्यादा मौतें हुई हैं।

मतलब साफ़ है। संक्रमण के मामले भले कम हो गए हों, सावधानी तो बरतनी ही होगी। यही बात सरकार ने भी कही है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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