लाल क़िले जैसी हिंसा से पहले यदि कोई यह कहे कि 'पिक्चर तो अभी बाक़ी है मेरे दोस्त...' तो इसका क्या मतलब निकलता है? यदि वह यह कहे कि '26 जनवरी को कुछ अभूतपूर्व होगा और भगवान ही जानता है कि क्या होगा', तो इसका क्या अर्थ है। ऐसे शब्द उस शख्स ने कहे जो लाल क़िले की हिंसा के दौरान वहीं मौजूद था- पंजाबी फ़िल्मों के अभिनेता दीप सिद्धू। यह वह शख्स हैं जिनपर हिंसा के बाद चौतरफ़ा उंगली उठ रही है। लाल क़िले की हिंसा को लेकर दर्ज की गई एफ़आईआर में से एक में दीप सिद्धू का नाम भी है।
किसी किसान नेता ने दीप सिद्धू को लाल क़िले के लिए ज़िम्मेदार ठहराया तो किसी ने दीप सिद्धू को केंद्र सरकार और केंद्रीय एजेंसियों का 'दलाल' क़रार दिया। उन्होंने सीधे-सीधे आरोप लगाया कि दीप सिद्धू किसान आंदोलन को पटरी से उतारने में जुटे थे। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें कई मौक़ों पर इसके संकेत मिलते रहे थे जब किसान नेताओं के फ़ैसले के उलट वह विचार रखते थे।
मंगलवार को दिन में हिंसा से पहले सोमवार रात जब युवाओं ने सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के मंच को क़रीब छह घंटे तक हाइजैक कर लिया तो किसानों को दीप सिद्धू ने संबोधित किया था। वह विरोध का नेतृत्व करने वालों में से एक थे। तब सिद्धू ने कहा था, 'हमारा नेतृत्व दबाव में है। हमें उन पर अधिक दबाव नहीं डालना चाहिए। लेकिन हम उन्हें ऐसा निर्णय लेने के लिए कह सकते हैं जो सभी को स्वीकार्य हो। उन्हें मंच पर आना चाहिए। यदि वे नहीं आते हैं, तो हम एक निर्णय लेंगे। आप सभी को यह तय करना चाहिए कि उस मामले में फ़ैसला किसे लेना चाहिए।'
गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाले जाने का फ़ैसला हो जाने के बाद 20 जनवरी को यानी लाल क़िला हिंसा से क़रीब एक हफ़्ता पहले फ़ेसबुक लाइव में सिद्धू ने बड़ी बात कही थी। पंजाब से दिल्ली आ रहे ट्रैक्टरों के बीच दीप सिद्धू ने फ़ेसबुक लाइव में कहा था, 'पिक्चर तो अभी बाक़ी है मेरे दोस्त...।'
23 जनवरी को उन्होंने पंजाबी में एक वेब चैनल को दिए इंटरव्यू को साझा किया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, उस साक्षात्कार में उन्होंने कहा, '26 जनवरी को क्या होगा हम इसकी योजना नहीं बना सकते। यह हमारी कल्पना से बाहर होगा। यह अप्रत्याशित होगा। यह ऊपर वाले पर निर्भर है, 26 जनवरी को क्या होता है। हम इंसान कुछ भी नहीं कह सकते।'
दीप सिद्धू पर ये आरोप इसलिए लग रहे हैं कि दिल्ली में मंगलवार को हालात इतने बिगड़ गए थे कि जबरदस्त हिंसा हुई थी। गणतंत्र दिवस समारोह के बीच ही दिल्ली में किसानों ने ट्रैक्टर की रैली निकालनी शुरू कर दी थी।
हिंसा में एक व्यक्ति की जान भी चली गई। पुलिस की ओर से लाठी चार्ज किया गया और आँसू गैस के गोले दागे गए। पथराव की भी घटनाएँ हुईं। 300 से ज़्यादा पुलिस कर्मी घायल हुए। लाल क़िले के एक वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी ख़ुद को बचाने के लिए खाई में कूद रहे हैं। प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों ने लाल क़िले की प्राचीर से पीले रंग का झंडा फहरा दिया।
लाल क़िले से लाइव किए गए एक वीडियो में भी दीप सिद्धू देखे जा सकते हैं।
लाल क़िले की घटना पर सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में दीप सिद्धू ने कहा था कि यह आंदोलन का परिणाम है जो कई महीनों से चल रहा है और एक व्यक्ति पर दोष नहीं लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा था कि निशान साहिब और किसान यूनियन के झंडे भावनाओं के आवेग में फहराए गए।
उन्होंने कहा, ‘मैंने चेताया था कि हमारे नेताओं ने एक निर्णय लिया है जो फिर से युवाओं की भावना है। जब संयुक्त किसान मोर्चा को एक निर्णय लेने के लिए कहा गया जो सभी के लिए स्वीकार्य हो, तो उन्होंने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। दीप सिद्धू इतनी भारी भीड़ को कैसे उकसा सकता है... आपको मेरा एक भी वीडियो नहीं मिलेगा जो किसी को लाल क़िले तक आने के लिए कह रहा है। हर कोई उस पल के आवेग में बह गया था।’
हालाँकि दीप सिद्धू के रवैये को लेकर किसान नेताओं ने उनकी आलोचना की। किसान नेता राजिंदर सिंह ने हिंसा की स्थिति के लिए केंद्रीय एजेंसियों को दोषी ठहराया और कहा कि दीप सिद्धू ने भी ठीक भूमिका नहीं निभाई।
बीकेयू हरियाणा के नेता गुरनाम सिंह चड़ूनी ने लाल क़िले मामले में युवाओं को गुमराह करने के लिए दीप सिद्धू की आलोचना की और उन्हें केंद्र सरकार का 'दलाल' बताया। उन्होंने साफ़ किया कि किसानों का आंदोलन धार्मिक नहीं था और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा।
मंगलवार शाम को जारी एक वीडियो में चड़ूनी ने लोगों को दीप सिद्धू से सावधान रहने के लिए चेताया और कहा, 'लाल क़िला में आज जो भी घटना हुई है उसे धार्मिक रंग देना निंदनीय है। हमारा विरोध केवल किसानों और एक जन आंदोलन का है, जो धार्मिक नहीं है। और दीप सिद्धू ने जो भी किया है, हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और हमें लगता है कि वह सरकार के एक दलाल हैं जो कई दिनों से गड़बड़ कर रहे हैं। हर बार, वह किसान नेताओं के ख़िलाफ़ बोलते हैं और गुमराह करते हैं। उन्होंने आज जो कुछ भी किया वह बेहद निंदनीय है क्योंकि हमने लाल क़िला जाने के लिए ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया था।'
किसान नेताओं ने जो इशारा केंद्रीय एजेंसियों और दीप सिद्धू को लेकर किया उसको राजनीतिक दलों ने सीधे सरकार से जोड़ दिया।
सोशल मीडिया पर दीप सिद्धू और बीजेपी के बीच संबंध बताए जाने लगे। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने दो तसवीरों को साझा किया जिसमें से एक में दीप सिद्धू प्रधानमंत्री मोदी के साथ दिख रहे हैं तो दूसरी तसवीर में अमित शाह के साथ। उन्होंने ट्वीट में लिखा कि वह इस पर प्रकाश जावड़ेकर की बातों से सहमत हैं। उन्होंने लिखा कि दोषियों को पकड़ने की शुरुआत इन नामों के साथ कर सकते हैं...।
Agree w/@PrakashJavdekar on this. So to catch the culprits, we can start with this name: Deep Sidhu, campaigner-in-chief for BJP MP SunnyDeol, who admits his role to the media (attached). Judging by these photos, his associates won’t be hard to find either. https://t.co/pPJjzwv9kr pic.twitter.com/Cr2BhgE2Nw
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 27, 2021
दीप सिद्धू ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार सनी देओल के लिए प्रचार किया था। सिद्धू और उनके भाई मनदीप सिंह को इसी महीने एनआईए यानी राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने सिख फ़ॉर जस्टिस से संबंध के लिए समन भेजा था। अपने फ़ेसबुक पेज पर एक वीडियो में दीप सिद्धू एनआईए के समन का ज़िक्र करते हुए बीजेपी और आरएसएस से संबंध के आरोपों पर भी सफ़ाई देते हैं। हालाँकि, वह वीडियो हिंसा से कुछ दिन पहले का है।
उन्होंने एक वेब चैनल को दिए इंटरव्यू में भी कहा था, 'हमें अपने लोगों पर विश्वास करना चाहिए भले ही वह दुश्मन के साथ बैठा हो... यह मेरे साथ भी हुआ। मुझे सिर्फ़ 20 दिनों के लिए सनी देओल के प्रचार के लिए भाजपा-आरएसएस के व्यक्ति के रूप में टैग किया गया है। अब वे केवल एक बैठक में भाग लेने के लिए गुरनाम सिंह चड़ूनी पर संदेह कर रहे हैं। इसमें मतभेद हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि आप दुश्मन के आदमी के रूप में किसी को टैग करें। यह सही तरीक़ा नहीं है।'
दीप सिद्धू का ज़िक्र कर अमित शाह पर निशाना
किसान आंदोलन में हिंसा के लिए कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर सीधे गृह मंत्री अमित शाह को बर्खास्त करने की मांग की है। इसने कहा कि आंदोलन को बदनाम करने की साज़िश रची गई। पार्टी ने कहा है कि देश की राजधानी में किसान आंदोलन की आड़ में हुई सुनियोजित हिंसा और अराजकता के लिए सीधे-सीधे अमित शाह जिम्मेदार हैं। प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने मोदी सरकार और ख़ासकर अमित शाह को घेरा। उन्होंने कहा कि आज़ादी के 73 सालों में यह पहला मौक़ा है कि जब कोई सरकार लाल क़िले जैसी राष्ट्रीय धरोहर की भी रक्षा करने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा, 'किसानों के नाम पर साज़िश के तहत चंद उपद्रवियों को लाल क़िले में घुसने दिया गया। और दिल्ली पुलिस कुर्सियों पर बैठी आराम फरमाती रही।'
सुरजेवाला ने पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू को लेकर भी बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, 'बीजेपी के क़रीबी और मोदी-शाह के चेले दीप सिद्धू की पूरे समय लाल क़िले में मौजूदगी, इस उपद्रव में मौजूदगी किसान आंदोलन को बदनाम करने की एक सुनियोजित साज़िश है।'
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