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जेएनयू पहुँचीं दीपिका पादुकोण, क्यों चुप हैं अमिताभ-शाहरुख़?

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार शाम हुई हिंसा के ख़िलाफ़ प्रदर्शन में फ़िल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण शामिल हुईं। जेएनयू परिसर के पास सैकड़ों की तादाद में जमा छात्र-छात्राएँ और आम जनता जमा हैं। उन्होंने सरकार विरोधी नारे लगाए,  रविवार रात को हुई मारपीट के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की माँग की है। दीपिका पादुकोण भी उनमें शामिल हैं।
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दीपिका पादुकोण के जाने का मतलब?

‘छपाक’ फ़िल्म की हीरोइन का जेएनयू पहुँच कर विरोध प्रदर्शन में शामिल होना बेहद अहम है। इसका सांकेतिक महत्व तो है ही, इसका तुरन्त असर यह होगा कि छात्र-छात्राओं का मनोबल बढ़ेगा, वे इस आन्दोलन में खुद को अकेला नहीं पाएंगे। प्रदर्शनकारियों को यह लगेगा कि बिल्कुल ग्लैमर और तड़क-भड़क की दुनिया में रहने वाले लोग, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे ज़मीनी सच्चाइयों से जुड़े नहीं होते, वे भी इस आन्दोलन में उनके साथ हैं।

कहाँ हैं 'सदी के महानायक'?

दीपिका पादुकोण के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने से यह सवाल भी उठेगा कि सदी के महानायक कहे जाने वाले सुपर स्टार अमिताभ बच्चन कहाँ हैं? क्या उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है या वे देश के बाहर कहीं गए हुए हैं। सच तो यह है कि कुछ दिन पहले ही ‘बिग बी’ ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों दादा साहेब फाल्के पुरस्कार लिया। वे देश में हैं, स्वस्थ हैं। 

अमिताभ बच्चन के बारे में कहा जाता है कि वह कभी किसी विवादास्पद मुद्दे पर मुँह नहीं खोलते हैं, वे कभी कोई स्टैंड नहीं लेते हैं। जब देश के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों पर सुनियोजित हमले हो रहे हों, सदी के महानायक का बिल्कुल चुप रहना लोगों को वाकई खलता होगा।

राजनीति में रह चुके हैं 'बिग बी'

ऐसा नहीं है कि अमिताभ बच्चन फ़िल्म जगत से बाहर बिल्कुल नहीं निकलते हैं। वे राजनीति में हाथ आज़मा चुके हैं। वे अपने मित्र राजीव गाँधी के आग्रह पर कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए, अपने समय के दिग्गज़ हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे मंजे हुए राजनेता को 1984 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद से शिकस्त दी। बोफ़ोर्स कांड में नाम उछलने के बाद उनकी गाँधी परिवार से उनकी अनबन हो गई। उन्होंने राजनीति छोड़ दी। 

सपा का प्रचार किया था अमिताभ बच्चन ने

ये वही अमिताभ बच्चन हैं जिन्होंने समाजवादी पार्टी के लिए कई विज्ञापनों में काम किया। वे विवादास्पद विज्ञापन थे, जिसमें समाजवादी पार्टी का ग़लत प्रचार किया गया था और बेबुनियाद दावे किए गए थे।
इसी तरह नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए अमिताभ बच्चन ने गुजरात सरकार के लिए भी विज्ञापन किया था। उसमें वह कहते हुए दिखते हैं, ‘कुछ दिन तो बिताइए गुजरात में।’ गुजरात दंगों की वजह से मोदी की उन दिनों काफी आलोचना हो रही थी। इस विज्ञापन के लिए अमिताभ बच्चन की बहुत आलोचना की गई थी।   

आज अमिताभ बच्चन चुप हैं। वे एनआरसी के मुद्दे पर चुप रहे, नागरिकता क़ानून पर कुछ नहीं बोले। उनके गृह राज्य उत्तर प्रदेश में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन में कम से कम 19 लोग मारे गए। पर सदी के महानायक ने एक शब्द नहीं कहा।
इसी तरह जेएनयू में नकाबपोश गुंडों ने तांडव किया, 34 लोग बुरी तरह घायल अवस्था में अस्पताल में दाखिल कराए गए। पर अमिताभ बच्चन चुप हैं। उनसे उम्र में छोटी, कम फिल्में करने वाली, कम लोकप्रिय दीपिका पादुकोण ने ख़ुद विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। पर सुपर स्टार ने एक ट्वीट तक नहीं किया, मुँह नहीं खोला। 

इसी तरह शाहरुख ख़ान भी चुप हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पतंग उड़ाने वाले सलमान ख़ान चुप हैं। मोदी का मशहूर इंटरव्यू लेने वाले अक्षय कुमार भी चुप हैं।
लेकिन बॉलीवुड में ऐसे लोग भी हैं, जो इस मुद्दे पर जेएनयू के छात्रों के साथ हैं और खुल कर बोल भी रहे हैं। फ़िल्म इंडस्ट्री से जुड़े वो लोग जिन्होंने छात्रों का साथ दिया है : दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, तापसी पन्नू, सोनम कपूर, आयुष्यमान खुराना, राजकुमार राव, मनोज वाजपेयी, फ़रहान अख़्तर, विशाल भारद्वाज, उर्मिला मातोंडकर और रितेश देशमुख।
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क़मर वहीद नक़वी

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