हर दिन तेज़ हो रहे किसान आंदोलन के मद्देनज़र विपक्षी दलों के नेता बुधवार शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले।
राष्ट्रपति से मिलने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि बिना किसानों और विपक्ष से बातचीत किए इन क़ानूनों को पास कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘सरकार किसानों का विश्वास खो चुकी है और इसीलिए उन्हें सड़क पर आना पड़ा। वे लोग इतनी ठंड में भी अहिंसापूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि किसान डर जाएंगे। जब तक ये क़ानून वापस नहीं होंगे, किसान अपनी जगह से नहीं हटेंगे।’
सीताराम येचुरी ने कहा कि उनकी प्रमुख मांग है कि तीनों कृषि क़ानूनों के साथ ही बिजली से जुड़ा बिल भी वापस लिया जाए। येचुरी ने कहा, ‘राष्ट्रपति को बताया गया कि इन क़ानूनों को अलोकतांत्रिक तरीक़े से पास किया गया।’
एनसीपी मुखिया शरद पवार ने कहा कि इन तीनों कृषि क़ानूनों को जल्दबाज़ी में पास कर दिया गया।
मोदी सरकार भी लगातार कोशिश कर रही है कि किसानों का आंदोलन ख़त्म हो और इसके लिए वह उनसे कई दौर की बातचीत भी कर चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है।
दिल्ली के टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर बैठे किसानों का साफ कहना है कि केंद्र सरकार इन कृषि क़ानूनों को वापस ले वरना वे आंदोलन को और तेज़ करेंगे। पहले बातचीत तक से पीछे हटती रही सरकार अब इन क़ानूनों में संशोधन करने की बात भी स्वीकार करने लगी है लेकिन किसान इसके लिए राजी नहीं हैं। वे चाहते हैं कि सरकार इन क़ानूनों को बिना शर्त और तुरंत वापस ले।
शाह के साथ हुई बैठक
दूसरी ओर, किसानों के उग्र तेवरों के बीच सरकार ने एक बार फिर बातचीत के लिए हाथ आगे बढ़ाया। विवाद का हल निकालने के लिए मंगलवार शाम को गृह मंत्री अमित शाह सामने आए। शाह और किसान नेताओं के बीच दिल्ली स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) के गेस्ट हाउस में काफी देर तक बैठक हुई। बैठक के बाद किसान नेताओं ने बताया कि अमित शाह ने किसानों से कहा है कि सरकार किसानों के सामने एक प्रस्ताव रखेगी।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि शाह के साथ हुई बैठक में कोई हल नहीं निकला है। शाह ने कृषि कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव भी दिया था लेकिन आंदोलनकारियों ने इसे नहीं माना। उन्होंने कहा कि किसान नेता सरकार के आने वाले प्रस्ताव का अध्ययन करेंगे। इस प्रस्ताव को लेकर किसान नेताओं की बैठक बुधवार को दिन में सिंघु बॉर्डर पर होगी।
भारत बंद का रहा असर
किसानों के भारत बंद में किसान संगठनों के साथ ही कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और ट्रेड यूनियनों से जुड़े लोग भी सड़क पर उतरे। कुछ राज्यों में बंद का व्यापक असर रहा।
उत्तर प्रदेश में एसपी कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में उतरे। पार्टी नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री के इशारे पर एसपी के नेताओं को घरों में नज़रबंद करना अलोकतांत्रिक एवं निंदनीय है और कई जिलों में कार्यकर्ताओं ने भारत बंद में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
इंडिया टुडे के मुताबिक़, महाराष्ट्र में किसान संगठनों ने रेल रोको आंदोलन चलाया। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के सदस्यों ने बुलढ़ाना जिले के मल्कापुर स्टेशन पर एक ट्रेन को रोक दिया। इस पर पुलिस ने संगठन के नेता रविकांत तुपकर और उनके समर्थकों को हिरासत में ले लिया। वाम दलों, ट्रेड यूनियन और किसान संगठनों ने भुवनेश्वर में भी प्रदर्शन किया है।
पंजाब में दुकानें, दफ़्तर भारत बंद के समर्थन में बंद रहे। इसके अलावा राज्य में पेट्रोल पंप भी बंद रहे। हरियाणा में इंडियन नेशनल लोक दल और कांग्रेस ने भारत बंद का समर्थन किया। चंडीगढ़ में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने चंडीगढ़ हाईवे पर जाम लगा दिया।
अन्ना हज़ारे का मिला समर्थन
लोकपाल की मांग को लेकर देश में बड़ा आंदोलन खड़ा करने वाले अन्ना हज़ारे मंगलवार को एक दिन की भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। उन्होंने कहा है कि किसानों का यह आंदोलन देश भर में फैलना चाहिए जिससे सरकार दबाव में आए और किसानों के हित में फ़ैसला ले। उन्होंने कहा कि इसके लिए किसानों को सड़कों पर उतरना चाहिए लेकिन किसी को भी हिंसा का सहारा नहीं लेना चाहिए।सुनिए, किसान आंदोलन पर चर्चा-
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