उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में टीकाकरण में नंबर वन होने की ख़बरें या दावे किस हद तक सही हैं? रिकॉर्ड टीकाकरण के दावे की आख़िर हक़ीक़त क्या है?
यदि एक दिन में 26 लाख खुराक लगाने का रिकॉर्ड गुणगान किया जा सकता है, 5 करोड़ से ज़्यादा वैक्सीन लगाने को उपलब्धि गिनाई जा सकती है तो अब तक सिर्फ़ 29.9 फ़ीसदी आबादी को ही एक खुराक लगाये जाने को क्या कहा जाएगा? वह भी तब जब दूसरे कुछ राज्यों में 73 फ़ीसदी से ज़्यादा टीके लगाए जा चुके हैं।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और CM श्री @myogiadityanath जी महाराज के नेतृत्व में कोविड टीकाकरण का महाभियान सतत जारी है।
— Yogi Adityanath Office (@myogioffice) August 3, 2021
आज @UPGovt द्वारा रिकॉर्ड 26,03,631 लोगों का टीकाकरण हुआ है।
प्रदेश में अब तक कुल 5,13,02,185 नागरिकों का टीकाकरण हो गया है। pic.twitter.com/BGNfO7XR0I
राज्यों में टीकाकरण की स्थिति भी कम चिंताजनक स्थिति नहीं है। ख़ासकर ऐसा इसलिए कि राज्यों के बीच काफ़ी असंगत रूप से टीकाकरण हुआ है। हिमाचल प्रदेश में जहाँ 73 फ़ीसदी से भी ज़्यादा वैक्सीन के योग्य आबादी को कम से कम एक टीका भी लगाया गया है वहीं उत्तर प्रदेश 29.5 फ़ीसदी आबादी को ही टीके लगाने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह राज्य देश के राज्यों में नीचे से दूसरे पायदान पर है। पहले पायदान पर बिहार है। ये सभी आँकड़े को-विन वेबसाइट पर दिए गए टीकाकरण के आँकड़ों पर आधारित हैं।
बिहार में टीके लगाने के योग्य सिर्फ़ 28.6 फ़ीसदी आबादी को ही टीके लगाए जा सके हैं। यूपी और बिहार के अलावा जो टीके लगाने में पिछड़े हुए राज्य हैं उनमें पश्चिम बंगाल में 30 फ़ीसदी, झारखंड में 32.3, तमिलनाडु व पंजाब में 33.8, महाराष्ट्र में 37 और असम में 39.8 फ़ीसदी आबादी को कम से कम एक टीका लगाया जा सका है।
इस मामले में बेहतरीन काम करने वाले राज्यों में हिमाचल के अलावा असम को छोड़कर बाक़ी उत्तर पूर्व के राज्यों में 60.3, उत्तराखंड में 58.1, केरल में 55.4, जम्मू कश्मीर में 53.9, गुजरात में 53.2 और मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान व दिल्ली में 50 फ़ीसदी से ऊपर की आबादी को कम से कम एक टीका लगाया जा सका है।
राज्यों में टीके के इस असमान वितरण या टीकाकरण बेहद गंभीर चिंता की वजह होनी चाहिए। यह इसलिए कि दुनिया भर में फिर से कोरोना संक्रमण फैल रहा है और कहा जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है। भारत में भी तीसरी लहर की आशंका जताई गई है। अब तो देश में 40 हज़ार से ज़्यादा संक्रमण के मामले आने भी लगे हैं।
केंद्र सरकार ने पाँच दिन पहले ही कहा है कि 10 राज्यों में पॉजिटिविटी रेट 10% से ज़्यादा है। यानी जितने लोगों की कोरोना जाँच कराई गई है, उनमें से 10 प्रतिशत लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया है। 5 फ़ीसदी से ज़्यादा पॉजिटिविटी रेट होने पर चिंताजनक स्थिति होती है।
केंद्र सरकार ने इन राज्यों को सख़्त क़दम उठाने की सलाह दी है और कहा है कि 45 से 60 और 60 से ऊपर की उम्र के ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को जल्दी से जल्दी कोरोना टीका दे। जिन राज्यों में कोरोना पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत से ज़्यादा पाई गई है, वे हैं, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम, मिज़ोरम, मेघालय और मणिपुर। इन राज्यों में 46 ऐसे ज़िले हैं जहाँ कोरोना पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत से ज़्यादा है और 53 ज़िलों में कोरोना पॉजिटिविटी रेट पाँच से 10 प्रतिशत के बीच है।
अब ऐसे में कोरोना संक्रमण फैलने पर जाहिर है कि जिन राज्यों में टीकाकरण धीमी गति से हुआ है या जहाँ लोगों को टीके कम लगे होंगे वहाँ संक्रमण का ख़तरा ज़्यादा रहेगा।
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