कल तक जो दिल्ली का ड्रग कंट्रोल विभाग फैबीफ्लू दवा खरीद मामले में क्रिकेटर गौतम गंभीर के गौतम गंभीर फाउंडेशन को क्लीन चिट दे रहा था वही अब उसको दोषी मान रहा है। ड्रग कंट्रोल विभाग के रवैये में यह बदलाव हाई कोर्ट द्वारा अप्रत्याशित आलोचना के बाद आया है। रिपोर्ट के अनुसार विभाग ने गुरुवार को हाई कोर्ट को बताया कि गौतम गंभीर फाउंडेशन कोरोना के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा फेविपिरवीर और मेडिकल ऑक्सीजन की 'अनधिकृत खरीद, जमाखोरी और वितरण' में शामिल था जो क़ानूनी रूप से मंजूर नहीं है। ड्रग कंट्रोलर वाली इस ख़बर के बाद गंभीर ने भगत सिंह के एक कथन को ट्वीट किया है- 'एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।- भगत सिंह'
दो दिन पहले ही यही ड्रग कंट्रोल विभाग की क्लीन चिट वाली रिपोर्ट पर हाई कोर्ट ने जबरदस्त खिंचाई की थी। इसने कह दिया था कि क्लीन चिट देने वाली वह रिपोर्ट उस कागज पर लिखे जाने के क़ाबिल नहीं है। कोर्ट ने उसे कचरा क़रार दिया था। कोर्ट ने रिपोर्ट को इतना ख़राब माना कि ड्रग कंट्रोल विभाग को चेता दिया कि अपना काम ठीक से नहीं कर सकता तो क्या निलंबित कर दूसरे को काम सौंप दिया जाए। हाई कोर्ट ने तो यहाँ तक कह दिया था कि ड्रग कंट्रोल विभाग पर उसका विश्वास डगमगा गया है।
आज यानी गुरुवार को इस मामले में ड्रग कंट्रोल विभाग ने कहा कि गौतम गंभीर के फाउंडेशन के पास दवा का कोई लाइसेंस नहीं है जो क़ानूनी रूप से खरीद करने, इकट्ठा करने और बांटने के लिए ज़रूरी है।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, विभाग ने अपनी जाँच रिपोर्ट में अदालत को बताया, 'ऐसा करके गौतम गंभीर फाउंडेशन ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 और उसके तहत नियमों का उल्लंघन किया है और इसलिए एक ऐसा अपराध किया है जो धारा 27 (बी) (iii) और 27 (डी) के तहत मुक़दमा चलाने योग्य/दंडनीय है।' ऐसे ही आरोपों में विधायक प्रवीण कुमार को भी विभाग ने दोषी ठहराया है।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को गंभीर द्वारा दवा की खरीद की जांच के संबंध में दायर ड्रग कंट्रोलर की स्टेटस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। उसने कहा था कि हर कोई जानता है कि दवा की आपूर्ति कम थी और गंभीर ने बड़ी मात्रा में दवा खरीदी।
फैबीफ्लू दवा की किल्लत को लेकर कोर्ट ने कहा था कि लेकिन जिन लोगों को इसकी ज़रूरत थी उन्हें उस दिन दवा नहीं मिली।
जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की बेंच ने ड्रग कंट्रोलर की वकील नंदिता राव से कहा था, ‘ड्रग कंट्रोलर ग़लत कह रहा है कि दवा की आपूर्ति कम नहीं थी। आप चाहते हैं कि हम अपनी आँखें बंद कर लें।’ अदालत ने कहा था, ‘आपको लगता है कि आप इससे बच जाएँगे। अगर आपको लगता है कि हम इतने भोले हैं, तो बता दें कि हम नहीं हैं। बेहतर होगा कि आप अपना काम करें। यदि आप अपना काम नहीं कर सकते हैं, तो हमें बताएँ, हम आपको निलंबित कर देंगे और किसी और को ये काम करने देंगे।’
अदालत ने ड्रग कंट्रोल विभाग की वकील नंदिता राव से कहा था कि विभाग की ऐसी रिपोर्ट से विश्वास डगमगा गया है और यह अब उस पर है कि वह इस विश्वास को बहाल करे।
उच्च न्यायालय ने मीडिया में गंभीर के इस बयान पर भी आपत्ति जताई थी कि वह इसी तरह का काम करते रहेंगे। कोर्ट ने चेताया था, ‘हम इस कदाचार को रोकना चाहते हैं। यह एक हानिकारक गतिविधि है। पहले फ़ायदा उठाना और फिर एक उद्धारकर्ता के रूप में प्रकट होने की कोशिश करना जबकि उन्होंने स्वयं समस्या पैदा की, लोगों की इस प्रवृत्ति की निंदा की जानी चाहिए। और फिर, वह व्यक्ति इधर-उधर यह कहते हुए जाता है कि वह इसे फिर से करेगा। यदि वह करता है, तो हम जानते हैं कि इससे कैसे निपटना है।’
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