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पवार के पलटवार से झुकी सरकार? ईडी ने कहा, ऑफ़िस आने की ज़रूरत नहीं

एनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टररेट यानी ईडी ने एनसीपी नेता शरद पवार से कहा है कि उन्हें डाइरेक्टरेट के ऑफ़िस जाने की फ़िलहाल ज़रूरत नहीं है। इसके बाद पवार ने ईडी दफ़्तर जाने का अपना कार्यक्रम स्थगित कर दिया है। 
ईडी ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक यानी एमएससी घोटाले में मंगलवार को एनसीपी नेता शरद पवार के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की। पवार ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि उन्हें तलब करने की ज़रूरत नहीं, वह ख़ुद ईडी के ऑफ़िस जाएँगे। उन्होंने शुक्रवार को ईडी दफ़्तर जाने का फ़ैसला किया और यह जानकारी दे दी कि वह पहुँच रहे हैं, उनसे जो पूछताछ करनी हो, करें। 
एनसीपी कार्यकर्ताओं ने कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किया था, जिसे देखते हुए महाराष्ट्र के कुछ इलाक़ों में निषेधाज्ञा लगा दी गई। शुक्रवार को पवार ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे किसी तरह का विरोध प्रदर्शन न करें। इसके बाद ईडी ने पवार को चिट्ठी लिख कर कहा कि वे उसके ऑफ़िस न आएँ, फ़िलहाल इसकी ज़रूरत नहीं है, जब उनसे पूछताछ की ज़रूरत होगी, उन्हें बुला लिया जाएगा। 
पवार ने इसके बाद ईडी ऑफ़िस जाने के अपने कार्यक्रम को स्थगित करने का एलान करते हुए कहा कि वह एक ज़िम्मेदार नागरिक हैं और ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे किसी को कोई दिक्क़त हो।
पवार ने बुधवार को यह माना था कि एमएससी बैंक मामले में उनका नाम ईसीआईआर में दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा था, ‘मैं एजेंसियों की जाँच में सहयोग करूँगा। शुक्रवार को मैं ईडी के सामने पेश होऊँगा। यह मेरे जीवन में दूसरी बार है। इससे पहले 1980 में मुझे एक आंदोलन के दौरान गिरफ़्तार किया गया था।’

क्या है मामला?

बता दें कि शरद पवार, उनके भतीजे अजित पवार, आनंद राव, जयंत पाटिल सहित क़रीब 70 लोगों के ख़िलाफ़ एमएससी के 25 हज़ार करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में ईडी ने केस दर्ज किया है। 
22 अगस्त को बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार समेत 70 लोगों पर मामला दर्ज करने का आदेश दिया था।
ईडी धन शोधन रोकथाम क़ानून के अंतर्गत दर्ज शिकायत के तहत आरोपों की जाँच कर रही है। आरोप है कि एमएससीबी के शीर्ष अधिकारी, अध्यक्ष, एमडी, निदेशक, सीईओ और प्रबंधकीय कर्मचारी तथा सहकारी चीनी फ़ैक्ट्री के पदाधिकारियों को ग़लत तरीक़े से क़र्ज़ दिए गए।

क्या है राजनीति?

शुक्रवार के इस पूरे घटनाक्रम के राजनीतिक मायने हैं। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने को हैं और उसके तारीखों का एलान तक हो चुका है। शिवसेना-बीजेपी एक तरफ है तो कांग्रेस-एनसीपी दूसरी तरफ। पर्यवेक्षकों का कहना है कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने पवार पर दबाव डालने या उनकी छवि खराब करने के लिए ठीक चुनाव के पहले यह मुद्दा उठाया। ईडी ने पवार व एनसीपी के दूसरे नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवा दी। 
ठीक चुनाव के पहले पूछताछ से छवि तो खराब होती ही, यदि मामला आगे बढ़ता तो उसका राजनीतिक नुक़सान तय था। इसलिए पलटवार करते हुए उन्होंने ख़ुद कहा कि उन्हें ईडी क्या बुलाएगी, वह ख़ुद चल जाएँगे। 
शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र कभी दिल्ली के आगे नहीं झुका है। साफ़ था, वह इसे सीधे मराठी अस्मिता से जोड़ रहे थे और मराठी राष्ट्रवाद को खड़ा करना चाहते थे। वह इसके बहाने तमाम मराठियों को अपने पीछे लामबंद करने की कोशिश करते और बीजेपी को इससे नुक़सान होता।
इस राजनीतिक समीकरण को देखते हुए ही सरकार ने अपने पैर पीछे खींच लिए। ईडी ने ख़ुद पवार को चिट्ठी लिख कर कहा कि आप फ़िलहाल ऑफ़िस मत आइए, ज़रूरत पड़ने पर हम आपको बुलाएँगे। यह पवार की रानजीतिक सूझबूझ का नतीजा है कि बीजेपी को अपना ही दाँव उलटा पड़ा। 
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क़मर वहीद नक़वी

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