loader

पूर्व सीआईसी- शाहीन बाग़ प्रदर्शन को शिफ़्ट किया तो सुरक्षा को ख़तरा

शाहीन बाग़ प्रदर्शन को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त यानी सीआईसी वजाहत हबीबुल्ला ने हलफ़नामा देकर कहा है कि प्रदर्शन को कहीं और शिफ़्ट नहीं किया जाए। उन्होंने इसके पक्ष में कई तर्क दिए हैं। उन्होंने कहा है कि नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ शाहीन बाग़ में प्रदर्शन करने वालों को जबरन दूसरी जगह शिफ़्ट करने का कोई भी प्रयास उनकी सुरक्षा के लिए ख़तरा होगा। उन्होंने कहा है कि उस क्षेत्र में जो ट्रैफ़िक जाम की स्थिति है वह पुलिस द्वारा अनावश्यक रूप से उन सड़कों पर भी बैरिकेडिंग कर देने के कारण है जो शाहीन बाग़ प्रदर्शन से जुड़े नहीं हैं।

सड़कों पर बैरिकेडिंग लगाए जाने से होने वाली परेशानी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने इसका हल निकालने के लिए मध्यस्थ भी भेजे। मध्यस्थों ने बातचीत कर वहाँ के हालात की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी है।

ताज़ा ख़बरें

शाहीन बाग़ में प्रदर्शन और सड़क को बंद किए जाने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएँ डाली गई हैं। इसमें कहा गया है कि सड़क पर बैरिकेड लगाने से आसपास के लोगों को परेशानियाँ हो रही हैं। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की जा रही है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के अनुसार, पूर्व सीआईसी वजाहत हबीबुल्ला ने हलफनामे में कहा है कि उन्होंने 19 फ़रवरी को उस जगह का दौरा किया और पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कई ऐसे रोड देखे जो शाहीन बाग़ के प्रदर्शन से जुड़े हुए नहीं हैं, लेकिन पुलिस द्वारा बैरिकेड लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र में जो ट्रैफ़िक जाम की स्थिति है वह पुलिस द्वारा अनावश्यक रूप से बैरिकेडिंग कर देने के कारण है। 

पूर्व सीआईस ने आरोप लगाया कि पुलिस अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के बजाए ग़लत तरीक़े से प्रदर्शन पर ही आरोप मढ़ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में हज़ारों ऐसी जगह हैं जहाँ अलग-अलग कॉलोनियों के लोगों या ताक़तवर और विशेष अधिकार वाले लोगों द्वारा सड़कों पर रोक लगाई हुई है। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे मामलों में पुलिस कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती है। 

उन्होंने यह भी कहा कि शाहीन बाग़ के किसी भी निवासी या दुकानदार ने प्रदर्शन पर आपत्ति नहीं जताई है।

पूर्व सीआईसी हबीबुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में कहा है कि यदि शाहीन बाग़ को उस जगह से हटाया जाता है तो उनकी सुरक्षा को ख़तरा हो सकता है।

उन्होंने तर्क दिया है कि यह इसलिए कि देश भर में नागरिकता क़ानून, एनपीआर और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों को गालियाँ और धमकियाँ दी जा रही हैं, नफ़रत वाले बयान दिए जा रहे हैं। बता दें कि ऐसे प्रदर्शनों के दौरान ही कई जगहों पर अब तक हिंसा हो चुकी है और इसमें कम से कम दो दर्जन लोगों की मौत हो गई है। जब से विरोध-प्रदर्शन चल रहा है तब से नेता भी आपत्ति जनक बयान दे रहे हैं।

हबीबुल्ला ने यह भी कहा है कि महिला प्रदर्शनकारियों ने उन्हें कोर्ट को यह संदेश देने के लिए कहा है कि वे नागरिकता क़ानून, एनपीआर और एनआरसी के ख़िलाफ़ शांतिपूर्वक असहमति व्यक्त कर रही हैं। यह इसलिए क्योंकि क़ानून और इस क़ानून के पीछे का जो मक़सद है उससे कई ग़रीब और उपेक्षित नागरिकों के दिल में डर बैठ गया है। 

देश से और ख़बरें

उन्होंने कहा है कि वे विरोध इस हताशा में कर रहे हैं क्योंकि नागरिकता क़ानून, एनआरपी और एनआरसी उनके और आने वाली पीढ़ियों के अस्तित्व पर ख़तरे का अहसास दिलाते हैं। उन्होंने कहा कि वे इसलिए भी हताश हैं क्योंकि इतना ज्वलंत मुद्दा होने के बावजूद केंद्र सरकार ने उनसे बातचीत करने तक की कोशिश भी नहीं की है।

बता दें कि सरकार की ओर से तो कोई प्रयास नहीं किया गया है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ओर से प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किए थे। सड़क जाम होने पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन को बातचीत करने और हल ढूंढने के लिए भेजा था। हालाँकि कई दिनों की बातचीत के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकला है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें