loader

दिल्ली: और किसान जुटेंगे, बीजेपी नेताओं के घरों को घेरने का एलान

मोदी सरकार को पिछले छह साल में कभी ऐसे हालात का सामना नहीं करना पड़ा, जिनसे वह आज गुजर रही है। किसानों के आंदोलन ने उसे घुटनों के बल ला दिया है। मोदी सरकार और बीजेपी संगठन सारी कोशिशें करके थक-हार चुके हैं लेकिन किसान टस से मस होने के लिए तैयार नहीं हैं। 

बुधवार को सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को किसानों ने खारिज तो किया ही, उसे ये भी बता दिया कि आने वाले दिनों में यह आंदोलन और बढ़ा और तेज़ होगा। ऐसे में सरकार के सामने इस आंदोलन से निपटने की जटिल चुनौती सामने आ गई है। 

किसान नेताओं ने जो अहम बातें कही हैं, वे ये हैं। 

ताज़ा ख़बरें
  1. दिल्ली की सड़कों को जाम करेंगे, पूरे देश में आंदोलन तेज़ करेंगे 
  2. जियो के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करेंगे 
  3. 14 दिसंबर को पूरे देश में जिला मुख्यालयों का घेराव होगा 
  4. सभी राज्यों में धरने-प्रदर्शन जारी रहेंगे
  5. ज़्यादा से ज़्यादा लोग दिल्ली कूच करेंगे
  6. 12 दिसंबर तक दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम करेंगे 
  7. अडानी-अंबानी के प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करेंगे 
  8. बीजेपी के मंत्रियों-नेताओं का घेराव और बहिष्कार होगा। 
  9. 12 दिसंबर को पूरे देश में टोल प्लाजा फ्री करेंगे 

विपक्ष भी सक्रिय

इस बीच, बुधवार शाम को विपक्षी दलों के नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले। राष्ट्रपति से मुलाक़ात के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि किसानों और विपक्ष से बातचीत किए बिना इन क़ानूनों को पास कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘सरकार किसानों का विश्वास खो चुकी है और इसीलिए उन्हें सड़क पर आना पड़ा। वे लोग इतनी ठंड में भी अहिंसापूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि किसान डर जाएंगे। जब तक ये क़ानून वापस नहीं होंगे, किसान अपनी जगह से नहीं हटेंगे।’ 

सीताराम येचुरी ने कहा कि उनकी प्रमुख मांग है कि तीनों कृषि क़ानूनों के साथ ही बिजली से जुड़ा बिल भी वापस लिया जाए। येचुरी ने कहा, ‘राष्ट्रपति को बताया गया कि इन क़ानूनों को अलोकतांत्रिक तरीक़े से पास किया गया।’ 

एनसीपी मुखिया शरद पवार ने कहा कि इन तीनों कृषि क़ानूनों को जल्दबाज़ी में पास कर दिया गया। 

Farmers protest in delhi at Singhu border - Satya Hindi

किसानों के उग्र तेवरों के बीच सरकार ने मंगलवार शाम को एक बार फिर बातचीत के लिए हाथ आगे बढ़ाया था। विवाद का हल निकालने के लिए गृह मंत्री अमित शाह और किसान नेताओं के बीच दिल्ली स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ़ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) के गेस्ट हाउस में काफी देर तक बैठक हुई थी। 

तीनों कृषि क़ानूनों को ख़त्म करने के अलावा किसानों की यह भी मांग है कि एमएसपी पर क़ानून बनाया जाए, पराली जलाने से संबंधित अध्यादेश और बिजली बिल 2020 को भी वापस लिया जाए।

भारत बंद में दिखाई ताक़त

किसानों के 8 दिसंबर के भारत बंद में किसान संगठनों के साथ ही कुछ राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और ट्रेड यूनियनों से जुड़े लोग भी सड़क पर उतरे। कुछ राज्यों में बंद का व्यापक असर रहा। बिहार, बंगाल, पंजाब, झारखंड, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में सड़कों पर भारत बंद का असर दिखा। 

उत्तर प्रदेश में एसपी कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में उतरे। पार्टी नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री के इशारे पर एसपी के नेताओं को घरों में नज़रबंद करना अलोकतांत्रिक एवं निंदनीय है और कई जिलों में कार्यकर्ताओं ने भारत बंद में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। 

आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद, मेरठ, जौनपुर, गौतम बुद्ध नगर सहित कई जगहों पर प्रदर्शन किया। पार्टी नेताओं ने कहा कि यूपी पुलिस ने कार्यकर्ताओं को नज़रबंद करके, गिरफ्तार करके डराने की कोशिश की।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें