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किसान आंदोलन: कोर्ट ने कहा- खुले मन से बात करे सरकार, नोटिस जारी

दिल्ली के बॉर्डर्स पर बैठे किसानों को हटाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत में कृषि क़ानूनों और किसान आंदोलन से संबंधित छह याचिकाएं दायर की गई हैं। कुछ याचिकाओं में मांग की गई है कि अदालत संबंधित संस्थाओं को इस बात के निर्देश दे कि वे किसानों को तुरंत वहां से हटाएं।

सुनवाई के दौरान सीजेआई एसए बोबडे ने केंद्र सरकार से कहा कि अगर आप खुले मन से बातचीत नहीं करेंगे तो यह फिर से फ़ेल हो जाएगी। 

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सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार ऐसा कुछ भी नहीं करेगी जो किसानों के ख़िलाफ़ हो। उन्होंने कहा कि किसान सरकार के साथ बैठें और हर क्लॉज पर चर्चा करें, तभी खुले मन से बात हो सकती है। 

इस पर सीजेआई ने कहा कि ऐसा लगता है कि आपकी बातचीत से बात नहीं बन पा रही है, आप हमें किसानों की यूनियन का नाम दीजिए। जस्टिस बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन की बेंच ने इस मामले में किसान संगठनों को पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी। 

अदालत ने कहा कि हम इस मसले को सुलझाने के लिए एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव रख रहे हैं जिसमें देश भर के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों, सरकार के अलावा बाक़ी संबंधित लोगों को भी शामिल किया जा सकता है। मामले में अगली सुनवाई कल यानी 17 दिसंबर को होगी। 

सुनिए, किसान आंदोलन पर चर्चा- 

बदनाम न करे सरकार

मोदी सरकार के नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली-हरियाणा, हरियाणा-राजस्थान, दिल्ली-यूपी के तमाम बॉर्डर्स पर किसान डटे हुए हैं। किसानों ने केंद्र सरकार को चेताया है कि वह उनके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश बंद करे। 

किसानों के तमाम संगठनों की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल को भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि वे सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह किसानों के सभी संगठनों को बराबर अहमियत दे और सभी से बात करे। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, कृषि मंत्रालय ने किसानों की ओर से पत्र मिलने की पुष्टि की है। इधर, किसानों ने दिल्ली-यूपी की सीमा पर पड़ने वाले चिल्ला बॉर्डर पर फिर से धरना देना शुरू कर दिया है। 

डटे हुए हैं किसान

किसान नेताओं ने अपने पत्र में कहा है कि सरकार इन कृषि क़ानूनों को वापस ले ले। इस बीच किसानों का आंदोलन 21 वें दिन में प्रवेश कर गया है। किसान नेताओं ने कहा है कि क़ानूनों के रद्द होने के बाद ही अब आगे की कोई बातचीत होगी। मंगलवार रात को 4.1 डिग्री में भी किसान और तमाम आंदोलनकारी बॉर्डर्स पर डटे रहे। 
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किसान आंदोलन से परेशान बीजेपी और मोदी सरकार के मंत्री कृषि क़ानूनों को किसानों के हित में बताने में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक बार फिर कहा कि किसानों को इन क़ानूनों को लेकर गुमराह करने की साज़िश रची जा रही है। इस बीच, अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने और कृषि क़ानूनों को निरस्त करने की अपील की है। 

बीजेपी और मोदी सरकार की ओर से किसान आंदोलन के बीच देश भर में किसान चौपाल सम्मेलन किए जा रहे हैं। इन सम्मेलनों में इन क़ानूनों की ख़ूबियों के बारे में बताया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर आंदोलन बढ़ता जा रहा है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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