loader

ट्विटर को कई मौक़े दिए लेकिन उसने नियमों को नहीं माना: प्रसाद

नए डिजिटल नियमों को मानने में आनाकानी करने वाले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर को मध्यस्थता के तौर पर मिली सुरक्षा ख़त्म हो गई है। इस पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि ट्विटर को नए डिजिटल या सोशल मीडिया नियमों के पालन करने के कई मौक़े दिए गए लेकिन उसने जानबूझकर सरकार की बात नहीं मानी। उन्होंने साफ कहा कि ट्विटर भारत सरकार की ओर से बनाए गए नियमों का पालन करने में पूरी तरह फ़ेल रहा है। 

कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार ने ट्विटर को नए डिजिटल नियमों के पालन को लेकर ‘अंतिम नोटिस’ भेजा था और कहा था कि अगर ट्विटर सरकार के नियमों को नहीं मानता है तो वह नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे। 

ताज़ा ख़बरें

प्रसाद ने कहा कि भारतीय कंपनियां जब अमेरिका या अन्य किसी दूसरे देश में बिजनेस करने जाती हैं तो वहां के स्थानीय नियमों का पालन करती हैं। तो ऐसे में ट्विटर भारत के नियमों का पालन करने से पीछे क्यों हट रहा है। उन्होंने कहा कि इन नियमों को ग़लत व्यवहार से पीड़ित लोगों की आवाज़ उठाने के लिए बनाया गया है। 

प्रसाद ने उत्तर प्रदेश के लोनी में बुजुर्ग मुसलिम शख़्स के साथ हुई मारपीट की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह इस बात का उदाहरण है कि फर्जी ख़बरों से लड़ने में ट्विटर का क्या रूख है। 

ट्विटर को आईटी एक्ट, 2000 में धारा 79 के तहत मिलने वाली छूट ख़त्म हो चुकी है और अब उस पर भारत के वही क़ानून लागू होंगे जो किसी भी दूसरे पब्लिशर पर लागू होते हैं। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर छोटी सी चिंगारी भी शोला बन सकती है विशेषकर फर्जी ख़बरों की वजह से और इस ख़तरे को देखते हुए ही सरकार ने नए डिजिटल नियम बनाए हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने जी7 समिट में बोलने की आज़ादी के संवैधानिक अधिकार के प्रति अपने संकल्प को फिर से दोहराया है। 

देश से और ख़बरें

क़ानूनी सुरक्षा हटते ही ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने लोनी में एक मुसलिम बुजुर्ग शख़्स के साथ मारपीट और उनकी दाढ़ी काटने के मामले में ट्विटर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली है। पुलिस ने यह एफ़आईआर दंगा भड़काने, नफ़रत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को जबरन भड़काने व अन्य धाराओं के तहत दर्ज की है। यह एफ़आईआर मंगलवार रात को दर्ज की गई है। 

तीन महीने का दिया था वक़्त

केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ़ कम्प्लायेंस अफ़सर, नोडल कांटेक्ट अफ़सर और रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर को नियुक्त करना होगा और हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी। सरकार ने इन अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए तीन महीने का वक़्त दिया था जो 25 मई को ख़त्म हो गया था और उसके बाद से सरकार और ट्विटर के बीच खटपट जारी थी।

 

सरकार का कहना है कि जिन सोशल मीडिया कंपनियों के 50 लाख यूजर्स हैं, उन्हें भारत में रहने वाले और उनकी कंपनी में काम कर रहे शख़्स को ही इन पदों पर नियुक्त करना होगा। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें