ट्रैक्टर रैली हिंसा के बाद अब पुलिस की सक्रियता तेज दिखने लगी है। पुलिस ने किसान नेताओं पर एफ़आईआर दर्ज की है। इनमें योगेंद्र यादव और कम से कम 9 किसान नेताओं के नाम हैं। इन 10 लोगों में बीकेयू नेता राकेश टिकैत का भी नाम है। एफ़आईआर में जिन किसान नेताओं के नाम शामिल हैं उन सभी के नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं। हिंसा के मामले में अब तक 22 एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी हैं। क़रीब 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज और वीडियो की पड़ताल कर रही है जिससे हिंसा में शामिल लोगों की पहचान की जा सके।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे आने वाले दिनों में पूछताछ के लिए कृषि नेताओं को समन भेजेंगे। एक अधिकारी ने कहा कि हमने पहले ही लगभग 200 प्रदर्शनकारियों को दंगा करने, सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुँचाने और पुलिस कर्मियों पर हमला करने के आरोप में हिरासत में लिया है।
पुलिस ने कहा है कि 'हम उचित सत्यापन करने के बाद गिरफ्तारी कर रहे हैं। हम लाल किला, आईटीओ, नांगलोई और अन्य इलाकों में भी सीसीटीवी देख रहे हैं, जहां हिंसा भड़की थी।'
बीकेयू हरियाणा के नेता गुरनाम सिंह चड़ूनी ने लाल क़िले मामले में युवाओं को गुमराह करने के लिए दीप सिद्धू की आलोचना की और उन्हें केंद्र सरकार का 'दलाल' बताया।
इधर, पुलिस ने कहा है कि आईटीओ और लाल किले में झड़पों के दौरान 300 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हुए हैं। घायल पुलिसकर्मियों को कई अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई तसवीरों में देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी किसानों की तुलना में काफ़ी कम पड़ गए। लाल क़िले के एक वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि पुलिसकर्मी ख़ुद को बचाने के लिए खाई में कूद रहे हैं। किसानों के इस विरोध प्रदर्शन के दौरान ही आईटीओ के पास एक किसान की मौत हो गई है। हालाँकि, लाठीचार्ज में किसानों को भी चोटें आई हैं, लेकिन उनकी संख्या के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। चिल्ला में ट्रैक्टर पलटने से दो किसानों के घायल होने की भी ख़बर है।
बता दें कि दिल्ली में मंगलवार को हालात इतने बिगड़ गए थे कि हिंसा तक हुई। इसमें एक व्यक्ति की जान भी चली गई। इससे पहले गणतंत्र दिवस समारोह के बीच ही दिल्ली में किसानों ने ट्रैक्टर की रैली निकालनी शुरू कर दी थी और हिंसा की ख़बरें आईं। पुलिस की ओर से लाठी चार्ज किया गया और आँसू गैस के गोले दागे गए। पथराव की भी घटनाएँ हुईं।
प्रदर्शन करने वाले कुछ लोगों ने मंगलवार को लाल क़िले की प्राचीर से पीले रंग का झंडा फहरा दिया। पुलिस की बैरिकेडिंग पार करते हुए किसान यहाँ तक पहुँचे थे। किसानों की ट्रैक्टर रैली को जिस रूट की मंजूरी दी गई थी उसमें लाल क़िले का रूट शामिल नहीं था।
दिल्ली पुलिस ने किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने के लिए रविवार को ही मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसने कई शर्तें भी लगा दी थीं। इन शर्तों पर किसानों को आपत्ति थी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण रूट को लेकर किसान नाराज़ थे। एक शर्त यह भी थी कि किसान राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह ख़त्म होने के बाद रैली निकालेंगे। लेकिन किसानों ने उससे पहले ही रैली निकालनी शुरू कर दी।
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