दिवाली पर दिल्ली-एनसीआर में जमकर पटाखे फोड़े गए। जबकि इस पर रोक लगाई गई थी। दिवाली की रात और सुबह पूरे शहर में जबरदस्त धुएं का गुबार था। सांस संबंधी दिक्कतों से जूझ रहे लोगों और बुजुर्गों को इससे काफ़ी दिक़्क़त हुई। इसने दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता को भी बेहद ख़राब हालत में पहुंचा दिया।
दिल्ली में कई जगहों पर लोगों ने दिवाली के धुएं के कारण गले में ख़राश होने और आंखों से पानी निकलने की भी शिकायत की है।
दिन में ही आतिशबाज़ी
लोगों ने छुट्टी का दिन होने के कारण दिल्ली-एनसीआर में दिन में ही आतिशबाज़ी शुरू कर दी और शाम होते-होते ही यह शबाब पर पहुंच गई। इस दौरान जमकर शोर हुआ और आसमान में धुएं की चादर बन गई।
लोगों पर नहीं हुआ असर
प्रदूषण के कारण बने हालात को देखते हुए दिल्ली सरकार ने इस बार भी दिवाली के मौके पर पटाखों की खरीद-बिक्री, उत्पादन और भंडारण पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी। हरियाणा सरकार ने भी एनसीआर से सटे हुए 14 जिलों में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन बावजूद इसके गुड़गांव और फरीदाबाद में जमकर पटाखे फोड़े गए।
इसके अलावा पराली के जलाने से जो प्रदूषण बढ़ रहा है, उससे भी हवा ख़राब होती जा रही है। दिल्ली सरकार ने इस बार ‘पटाखे नहीं, दिये जलाओ’ का नारा भी दिया था और लोगों से कहा था कि वे पटाखे ना फोड़ें लेकिन लोगों पर इसका असर नहीं हुआ। दिल्ली सरकार ने कार्रवाई करते हुए 13 हज़ार किलो से ज़्यादा अवैध पटाखों को जब्त कर लिया और नियमों को तोड़ने वाले कई लोगों को गिरफ़्तार भी किया।
एक्यूआई
एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) यानी हवा गुणवत्ता सूचकांक से हवा में मौजूद 'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषण के कणों का पता चलता है। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं जिन्हें आप साधारण आंखों से नहीं देख सकते। 'पीएम10' मोटे कण होते हैं। लेकिन स्वास्थ्य के लिए ये बेहद ही ख़तरनाक होते हैं। कई बार तो ये कण जानलेवा भी साबित होते हैं। 201 से 300 के बीच एक्यूआई को ‘ख़राब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत ख़राब’ और 401 और 500 के बीच होने पर उसे ‘गंभीर’ माना जाता है।
लेकिन दिवाली के बाद एनसीआर में 'पीएम 2.5' के बढ़ने की वजह से हवा ख़राब हो गई। दिल्ली में शाम 4 बजे एक्यूआई 382 था जो शाम 8 बजे तक ‘गंभीर’ स्थिति में पहुंच गया जबकि 9 बजे के बाद फरीदाबाद में यह (424), ग़ाज़ियाबाद में (442), गुड़गांव में (423) और नोएडा में (431) रहा। मतलब साफ है कि हवा बेहद ख़राब होती गई लेकिन लोगों ने पटाखे जलाना नहीं छोड़ा।
सोशल मीडिया पर बहस
पटाखे फोड़ने पर रोक को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफ़ी बहस हुई। कुछ लोगों ने कहा कि हिंदू धर्म के त्योहारों पर ही इस तरह की सीख क्यों दी जा रही है और उन्होंने ख़ुद भी पटाखे फोड़े और दूसरों से भी ज़्यादा से ज़्यादा पटाखे फोड़ने के लिए कहा। निश्चित रूप से इस वजह से आने वाले कुछ दिन तक दिल्ली-एनसीआर में हवा बेहद ख़राब रहेगी।
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