loader

जलवायु परिवर्तन पर रिपोर्ट भारत के लिए ख़तरे की चेतावनी

बढ़ता तापमान भारत के लिए ख़तरा बन रहा है। अगले 12 साल में तापमान और अधिक बढ़ जाएगा। आईपीसीसी की रिपोर्ट में भारत को चेतावनी दी गई है। 
क़मर वहीद नक़वी
जलवायु परिवर्तन या ग्लोबल वार्मिंग से तापमान बढ़ रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन और पनपते उद्योग ग्लोबल वॉर्मिंग को तेज़ कर रहे हैं।रिपोर्ट के अनुसार, यदि दुनिया का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है तो भारत को साल 2015 की तरह जानलेवा गर्म हवाओं का सामना करना पड़ सकता है। साल 2015 में गर्म हवाओं के चलते भारत में 2,500 लोगों की मौत हुई थी। दक्षिण कोरिया में 'इंटरगवर्नमेंट पैनल आॅन क्लाइमेट चेंज' (आईपीसीसी) के 48वें सत्र में सोमवार को यह रिपोर्ट जारी की गई है।
Global warming is biggest challenge for India. - Satya Hindi

क्या है ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन

हमारा वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीन हाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड आदि शामिल हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीन हाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह परत और भी मोटी होती जा रही है। ऐसे में यह परत धरती से टकराकर लौट रही सूर्य की अधिक किरणों को रोकती है और इससे तापमान बढ़ रहा है। इसे ही आमतौर पर ग्लोबल वार्मिंग या जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। ग्रीन हाउस गैसों का प्रमुख कारण एसी, फ्रिज, कम्प्यूटर, स्कूटर, कार आदि हैं।
Global warming is biggest challenge for India. - Satya Hindi

क्यों मोटी हो रही है ग्रीन हाउस गैसों की परत

ग्रीन हाउस गैसों की परत मोटी होने का प्रमुख कारण है कार्बन डाइ ऑक्साइड का बढ़ना। कार्बन डाइ ऑक्साइड तब बनती है जब हम पेट्रोलियम ईंधन जलाते हैं। कोयला भी बहुत ज़्यादा कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस बनाता है। जंगलों की कटाई के कारण कार्बन डाइऑक्साइड की ज़्यादा मात्रा वातावरण में घुल रही है। दूसरी ग्रीनहाउस गैसों मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन भी बढ़ा है। लेकिन कार्बन डाई अॉक्साइड का उत्सर्जन पिछले 10 से 15 सालों में 40 गुना तक बढ़ गया है।
रिपोर्ट में भारत के कोलकाता और पाकिस्तान के शहर कराची के बारे में बताया गया है कि इन शहरों को घातक गर्म हवाओं का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 150 वर्षों में दिल्ली के तापमान में एक सेल्सियस, मुंबई में 0.7 सेल्सियस, कोलकाता में 1.2 सेल्सियस, चेन्नई में 0.6 सेल्सियस तापमान बढ़ा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि शहरों को जलवायु परिवर्तन के नुकसान से बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की ज़रूरत है।
आईपीसीसी की रिपोर्ट में लिखा है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है।
जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में करोड़ों लोग पानी के लिए इन्हीं ग्लेशियरों पर निर्भर हैं। यह फ़िक्र की बात है क्योंकि इन्हीं ग्लेशियरों से खेती और पीने के लिए पानी की ज़रूरत पूरी होती है। जलवायु परिवर्तन के कारण सूखा बढ़ा है और जंगलों में आग लगने की भी कई घटनाएं दुनियाभर में हो चुकी हैं। घटते संसाधनों और बढ़ते औद्योगीकरण ने इस समस्या को और जटिल बना दिया है, जिसे जल्दी सुलझाना बेहद ज़रूरी है। जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप मानसूनी क्षेत्रों में ज़्यादा वर्षा होगी जिससे हमें बाढ़, भूस्खलन जैसी आपदाओं का सामना करना होगा।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें