केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जुमे की नमाज़ के बाद श्रीनगर में हुये प्रदर्शन की ख़बर को ग़लत करार दिया है। मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा, 'रायटर्स और डान ने ये ख़बर छापी है कि श्रीनगर में एक विरोध प्रदर्शन हुआ था जिसमें दस हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया था। ये ख़बर पूरी तरह से मनगढ़ंत और झूठी है। श्रीनगर और बारामूला में कुछ छिटपुट घटनायें हुयी थी जिसमें बीस से ज्यादा लोग शामिल नहीं हुये थे।'
सत्य हिंदी ने बीबीसी, रायटर्स और एल जज़ीरा के हवाले से ख़बर दी थी कि शुक्रवार को जब कर्फ़्यू में नमाज़ के लिये ढील दी गयी थी तो सैकड़ों की संख्या में शौरा इलाक़े में लोग इकठ्टा हो गये थे और वे श्रीनगर के प्रमुख चौराहे की तरफ बढ़ने लगे थे। इस भीड़ को आगे बढ़ने से रोकने के लिये पुलिस को आसू गैस के गोले छोड़ने पडे थे, पैलेट गन का इस्तेमाल करना पडा था और हवा में गोलियाँ चलानी पड़ी थी। अल जज़ीरा चैनेल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि 10 हज़ार लोगों ने प्रदर्शन किया था। बाद में जम्मू कश्मीर के पुलिस महा निदेशक दिलबाग सिंह ने कहा था कि पत्थर फेंकने की कुछ छिटपुट घटनायें हुयी थी, पर कोई अप्रिय घटना नहीं हुयी। पत्थरबाज़ी की घटना पर फ़ौरन क़ाबू पा लिया गया था। दिलबाग सिंह की तरह ही मुख्य सचिव बी वी सुब्रह्मयम ने भी एक अपील जारी कर लोगों से कहा था कि वो अफ़वाहों पर ध्यान न दे।
सरकार के इस दावे के बावजूद बी्बीसी मे अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि शौरा के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज़ में 8 घायलों को भर्ती किया गया था। इसमे एक महिला भी थी। रिपोर्ट के मुताबिक़ एक शख़्स के पैर में गोली लगी थी और कुछ को पैलेट गन से चोट आयी थी।
सत्य हिंदी पहले भी आपको बता चुका है कि 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 में बदलाव और जम्मू कश्मीर को दो हिस्सों में बाँटने के एक दिन पहले से ही पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू है और लोगों के बाहर आने जाने पर पाबंदी है। टेलीफ़ोन लाइन्स कटे हुये हैं, मोबाइल फोन्स और इंटरनेट भी बंद है। शुक्रवार के दिन कर्फ़्यू में थोड़ी ढील दी गयी थी ताकि लोग नमाज़ अदा कर सके। नमाज़ के बाद ही प्रदर्शन की ख़बर आयी थी। भारतीय मीडिया में इस ख़बर को ज्यादा तवज्जो नही दी गयी थी लेकिन एल जज़ीरा, बीबीसी, वीशिंगटन पोस्ट में इस ख़बर को विस्तार से छापा गया था। अल जज़ीरा ने तो प्रदर्शन का वीडियो भी चैनल पर दिखाया था।
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