हनुमान जी का जन्म कहाँ हुआ था? चौंक गए न? लेकिन यह सवाल पूछा ही नहीं जा रहा है, बल्कि इसके जवाब में जोरशोर से दावे भी किए जा रहे हैं। दावेदार भी कई हैं। और यह सवाल ऐसे समय उठ रहा है जब अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण का काम शुरू हो चुका है। क्या यह महज संयोग है या इसके पीछे कोई राजनीतिक चाल है?
हम विस्तार से बताते हैं कि मामला क्या है।
दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक और आंध्र प्रदेश ने अपने-अपने राज्य में हनुमान जी का जन्म स्थान होने का दावा किया है। कर्नाटक का कहना है कि भगवान राम के इस भक्त का जन्म आन्जनेयाद्रि पर्वत पर हुआ था, जो उत्तर कर्नाटक के हम्पी ज़िले में किष्किंधा में स्थित है। बता दें कि रामचरित मानस और रामायण के दूसरे ग्रंथों में हनुमान को अंजनि पुत्र और किष्किंधा निवासी बताया गया है।
इसरो करेगा जाँच?
दूसरी ओर आंध्र प्रदेश का कहना है कि हनुमान जी का जन्म स्थान अंजनाद्रि पवर्त है जो तिरुमाला की पहाड़ियों पर है। इसके अलावा एक तीसरे स्थान का नाम भी सामने आया है।
आंध प्रदेश में तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर की देखरेख करने वाली समिति तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (टीटीडी) ने एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया है, जिसे 21 अप्रैल तक पूरे मामले का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट सौंप देनी है।
टीटीडी के कार्यकारी अधिकारी के. एस. जवाहर रेड्डी का दावा है कि पौराणिक, पुरातत्व और वैज्ञानिक, सभी सबूत आंध्र प्रदेश के पक्ष में है। उन्होंने कहा है कि कमेटी में राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के उपकुलपति मुरलीधर शर्मा, एस. वी. वैदिक यूनिवर्सिटी के उपकुलपति सन्निधनम शर्मा, इसरो के वैज्ञानिक रमेला मूर्ति, राज्य पुरातत्व विभाग के उप निदेशक विजयकुमार, प्रोफेसर रनिसदशिव मूर्ति, जे. रामकृष्ण और शंकर नारायण इस कमेटी में हैं।
टीटीडी एसवी वैदिक स्टडीज़ परियोजना के निदेशक अकेला विभीषण शर्मा इसके संयोजक हैं।
कर्नाटक का दावा
कर्नाटक सरकार ने इसका विरोध किया है। वह रामायण के हवाला देती है और कहती है कि हम्पी स्थित आंजनेयाद्रि पर्वत वह जगह है, जहाँ राम और लक्ष्मण की मुलाक़ात हनुमान जी से हुई थी। इस पहाड़ की चोटी पर एक हनुमान मंदिर भी है, जिसमें राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियाँ हैं।
कर्नाटक के कृषि मंत्री बी. सी. पाटिल ने कहा है कि भगवान हनुमान का जन्म स्थान इसी इलाक़े में है और राज्य सरकार हनुमान जन्म स्थल के रूप में विकसित करेगी और इसके जरिए पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा।
पर्यटन मंत्री सी. पी. देवेश्वर ने मुख्यमंत्री के. एस. ईश्वरप्पा, बी. सी. पाटिल, कोटा श्रीनिवास पुजारी और अरविंद लिंबावली ने इस पर एक बैठक की और आगे की योजना बनाने पर विचार विमर्श किया गया। सरकार इस पर 50 करोड़ रुपए से ज़्यादा खर्च करेगी।
उन्हें डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट का इंतजार है।
शिवमोग्गा ज़िले का दावा
हनुमान जन्म स्थान के रूप में एक तीसरे स्थान का भी दावा है। कर्नाटक के शिवमोग्गा ज़िले के रामचंद्रपुरा मठ के प्रमुख राघवेश्वर भारती ने दावा किया है कि तटीय कर्नाटक के गोकर्ण में कडल तट पर हनुमान जी का जन्म स्थान है।
वह तर्क देते हैं कि वाल्मीकि रामायण में स्वयं हनुमान सीता से कहते हैं कि उनका जन्म गोकर्ण में हुआ था। वह तर्क देते हैं कि रामायण के ही अनुसार गोकर्ण हनुमान की जन्म भूमि और किष्किंधा कर्म भूमि थी। इसलिए उनका दावा गोकर्ण पर ही है।
नया विवाद, नई राजनीति?
बहरहाल, यह नया विवाद उस समय उठा है जब अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के विवाद का निपटारा हो चुका है और मंदिर बनाने का काम शुरू हो चुका है। इसके लिए विश्व हिन्दू परिषद को 3,400 करोड़ रुपए का चंदा पूरे देश से मिला।
सवाल यह है कि क्या राम जन्मभूमि के बाद अब हनुमान के नाम पर राजनीति की जा रही है। जिस तरह बीजेपी और संघ परिवार से जुड़े दूसरे संस्थान जय श्री राम के नाम पर पूरे देश के हिन्दुओं को एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं, क्या हनुमान के नाम का भी इस्तेमाल इसी तरह होगा। क्या हनुमान जन्म स्थली के पीछे कोई राजनीतिक मुहिम है। इन सवालों के जवाब तो समय पर ही मिल सकेंगे।
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