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रोहित वेमुला की आत्महत्या के 4 साल बाद शिक्षा संस्थानों की स्थिति क्या बदतर हुई है?

हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के दलित पी. एचडी. स्कॉलर रोहित वेमुला की आत्महत्या के 4 साल बाद क्या देश में दलितों की स्थिति में कोई सुधार हुआ है? क्या उच्च शिक्षा संस्थानी स्थिति बेहतर हुई है? क्या   इसके उलट क्या जेएनयू, एएमयू, बीएचयू जैसे उच्च शिक्षा के संस्थानों की स्थिति पहले से बदतर नहीं हुई है? 
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रोहित वेमुला ने विश्वविद्यालय स्थित एक हॉस्टल में 17 जनवरी, 2016 को गले में फंदा लगा कर खुदकशी कर ली थी। इस पर पूरे देश में बावेला मचा था। रोहित ने आत्महत्या के एक पहले एक चिट्ठी लिखी थी, जो आज भी उतनी ही मौजूं है, क्योंकि स्थिति सुधरी नहीं है, बद से बदतर हुई है। 

पेश है रोहित वेमुला की अंग्रेज़ी में लिखी चिट्ठी का हिन्दी अनुवाद।

गुड मॉर्निंग,

आप जब ये पत्र पढ़ रहे होंगे तब मैं नहीं होऊंगा। मुझ पर नाराज़ मत होना।

मैं जानता हूं कि आप में से कई लोगों को मेरी परवाह थी, आप लोग मुझसे प्यार करते थे और आपने मेरा बहुत ख्याल भी रखा।

मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। मुझे हमेशा से ख़ुद से ही समस्या रही है। मैं अपनी आत्मा और अपनी देह के बीच की खाई को बढ़ता हुआ महसूस करता रहा हूं। मैं एक दानव बन गया हूं।

Higher education institutions worsened after 4 years of Rohit Vemula suicide - Satya Hindi

मैं हमेशा एक लेखक बनना चाहता था। विज्ञान पर लिखने वाला, कार्ल सगान की तरह। लेकिन अंत में मैं सिर्फ़ ये पत्र लिख पा रहा हूं।

मुझे विज्ञान से प्यार था, सितारों से प्यार था, प्रकृति से प्यार था।।। लेकिन मैंने लोगों से प्यार किया और ये नहीं जान पाया कि वो कब के प्रकृति को तलाक़ दे चुके हैं।

हमारी भावनाएं दोयम दर्जे की हो गई हैं। हमारा प्रेम बनावटी है। हमारी मान्यताएं झूठी हैं। हमारी मौलिकता वैध है बस कृत्रिम कला के ज़रिए। यह बेहद कठिन हो गया है कि हम प्रेम करें और दुखी न हों।

Higher education institutions worsened after 4 years of Rohit Vemula suicide - Satya Hindi

एक आदमी की क़ीमत उसकी तात्कालिक पहचान और नज़दीकी संभावना तक सीमित कर दी गई है। एक वोट तक।

आदमी एक आंकड़ा बन कर रह गया है। एक वस्तु मात्र। कभी भी एक आदमी को उसके दिमाग़ से नहीं आंका गया। एक ऐसी चीज़ जो स्टारडस्ट से बनी थी। हर क्षेत्र में, अध्ययन में, गलियों में, राजनीति में, मरने में और जीने में।

मैं पहली बार इस तरह का पत्र लिख रहा हूं। पहली बार मैं आख़िरी पत्र लिख रहा हूं। मुझे माफ़ करना अगर इसका कोई मतलब न निकले तो।

हो सकता है कि मैं ग़लत हूं अब तक दुनिया को समझने में। प्रेम, दर्द, जीवन और मृत्यु को समझने में। ऐसी कोई हड़बड़ी भी नहीं थी। लेकिन मैं हमेशा जल्दी में था। बेचैन था एक जीवन शुरू करने के लिए।

इस पूरे समय में मेरे जैसे लोगों के लिए जीवन अभिशाप ही रहा। मेरा जन्म एक भयंकर हादसा था। मैं अपने बचपन के अकेलेपन से कभी उबर नहीं पाया। बचपन में मुझे किसी का प्यार नहीं मिला।

इस क्षण मैं आहत नहीं हूं। मैं दुखी नहीं हूं। मैं बस ख़ाली हूं। मुझे अपनी भी चिंता नहीं है। ये दयनीय है और यही कारण है कि मैं ऐसा कर रहा हूं।

लोग मुझे कायर क़रार देंगे। स्वार्थी भी, मूर्ख भी। जब मैं चला जाऊंगा। मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता लोग मुझे क्या कहेंगे।

मैं मरने के बाद की कहानियों भूत प्रेत में यक़ीन नहीं करता। अगर किसी चीज़ पर मेरा यक़ीन है तो वो ये कि मैं सितारों तक यात्रा कर पाऊंगा और जान पाऊंगा कि दूसरी दुनिया कैसी है।

Higher education institutions worsened after 4 years of Rohit Vemula suicide - Satya Hindi

आप जो मेरा पत्र पढ़ रहे हैं, अगर कुछ कर सकते हैं तो मुझे अपनी सात महीने की फ़ेलोशिप मिलनी बाक़ी है। एक लाख 75 हज़ार रुपए। कृपया ये सुनिश्चित कर दें कि ये पैसा मेरे परिवार को मिल जाए। मुझे रामजी को 40 हज़ार रुपए देने थे। उन्होंने कभी पैसे वापस नहीं मांगे। लेकिन प्लीज़ फ़ेलोशिप के पैसे से रामजी को पैसे दे दें।

मैं चाहूंगा कि मेरी शवयात्रा शांति से और चुपचाप हो। लोग ऐसा व्यवहार करें कि मैं आया था और चला गया। मेरे लिए आंसू न बहाए जाएं। आप जान जाएं कि मैं मर कर ख़ुश हूं जीने से अधिक।

'छाया से सितारों तक'

Higher education institutions worsened after 4 years of Rohit Vemula suicide - Satya Hindi

उमा अन्ना, ये काम आपके कमरे में करने के लिए माफ़ी चाहता हूं।

आंबेडकर स्टूडेंट्स एसोसिएशन परिवार, आप सब को निराश करने के लिए माफ़ी। आप सबने मुझे बहुत प्यार किया। सबको भविष्य के लिए शुभकामना।

आख़िरी बार

जय भीम

मैं औपचारिकताएं लिखना भूल गया। ख़ुद को मारने के मेरे इस कृत्य के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है।

किसी ने मुझे ऐसा करने के लिए भड़काया नहीं, न तो अपने कृत्य से और न ही अपने शब्दों से।

ये मेरा फ़ैसला है और मैं इसके लिए ज़िम्मेदार हूं।

मेरे जाने के बाद मेरे दोस्तों और दुश्मनों को परेशान न किया जाए।

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क़मर वहीद नक़वी

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