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प्रगतिशील मुसलमानों की आवाज़ को आगे लाएगा आईएमआईएफ़

प्रगतिशील भारतीय मुसलमानों की आवाज़ को आगे लाने के लिये इंडियन मुसलिम्स फ़ॉर इंडिया फ़र्स्ट (आईएमआईएफ़) का गठन किया गया है। मुसलिम समाज के 200 से ज़्यादा जाने-माने चेहरों ने इसका गठन इसलिये किया है कि प्रगतिशील और आधुनिक मुसलमान एक मंच पर आ सकें और यहां से देश के लिये अपने विचारों को रख सकें। क्योंकि कई बार उन्हें अपने विचारों को रखने के लिये सही मंच नहीं मिल पाता है। आईएमआईएफ़ में शामिल लोग राजनीति, मीडिया, बिजनेस सहित अलग-अलग क्षेत्रों से ताल्लुक रखते हैं। 

आईएमआईएफ़ की ओर से जारी की गई प्रेस रिलीज़ में कहा गया है कि इस संगठन में 175 से ज़्यादा भारतीय मुसलमान शामिल हैं। आईएमआईएफ़ के मुताबिक़, ‘हमारा उद्देश्य सभी समुदायों के बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर काम करना और आधुनिक और पढ़े-लिखे मुसलमानों की आवाज़ को जनता के सामने लाना है। इसके अलावा भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र, मिली-जुली संस्कृति और बहुलतावाद को आगे बढ़ाने के लिये भी प्रयास किये जाएंगे।’ 

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आईएमआईएफ़ ने प्रेस रिलीज़ में कहा, ‘बीते कुछ समय से देखा गया है कि मुसलिम समुदाय की ओर से मीडिया में ऐसे लोग पक्ष रखने के लिये आते हैं, जिनमें स्वयंभू धर्मगुरु और कम पढ़े-लिखे लोग होते हैं। ये लोग मुसलिम समाज की ओर से तर्कहीन चर्चा करते हैं और असंतुलित विचार रखते हैं। इस वजह से समाज की सही आवाज़ और मुद्दे ढंग से सामने नहीं आ पाते और कुछ समय बाद एक नकारात्मक धारणा बन जाती है।’ 

आईएमआईएफ़ चाहता है कि उसके मीडिया पैनल में शामिल लोग मुसलिम समुदाय से संबंधित मुद्दों के बारे में मीडिया को बेहतर जानकारी दें। आईएमआईएफ़ के संस्थापक सदस्यों में से एक शीबा असलम फ़हमी भी हैं। शीबा कहती हैं कि इस संगठन को बनाने का विचार कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ जंग में तब्लीग़ी जमात के प्रकरण के बाद आया। 

शीबा के मुताबिक़, जिस तरह जमात के मुखिया मौलाना साद ने जमातियों से मरकज़ को न छोड़ने के लिये कहा, उससे मुसलिम समाज के पढ़े-लिखे लोगों को शर्मिंदगी हुई है। शीबा ने कहा कि आईएमआईएफ़ कभी भी चुनावी राजनीति में हिस्सा नहीं लेगा और पढ़े-लिखे मुसलमानों की आवाज़ बनेगा। 

शीबा ने देश के ताज़ा हालात को लेकर कहा कि आईएमआईएफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करता है कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके कुछ लोगों द्वारा अपने तुच्छ स्वार्थों को पूरा करने के लिये बनाये गये नफ़रत के माहौल को ख़त्म करने में मदद करें।

रिलीज़ के मुताबिक़, आईएमआईएफ़ के थिंक टैंक का मानना है, ‘भारत में मुसलिम समुदाय नकारात्मक़ ख़बरों के केंद्र में है। कमजोर शिक्षा के कारण, आधुनिक दुनिया और भारत के बहुलतावादी सामाजिक और सांस्कृतिक संस्कारों के बारे में मुसलिम समुदाय के एक बड़े हिस्से के पास बहुत कम जानकारी है। ऐसे में उनके पास नई परिस्थितियों और चुनौतियों के साथ संतुलन बनाने के लिये तार्किक सोच की कमी है।’ आईएमआईएफ़ ऐसे लोगों को आधुनिक शिक्षा और सांस्कृतिक मूल्य सिखाने की रणनीति पर काम कर रहा है, जिससे वे देश के निर्माण में अपना योगदान दे सकें। 

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कोरोना वायरस के कारण लागू हुए लॉकडाउन के बाद आईएमआईएफ़ कई एनजीओ, संस्थाओं के साथ मिलकर ऐसे लोगों की मदद कर रहा है जिन्हें खाने और दूसरी चीजों की ज़रूरत है और साथ ही पीएम केयर्स फ़ंड में भी दान दे रहा है। आईएमआईएफ़ की ओर से कहा गया है कि उसका रास्ता और लक्ष्य लंबा और कठिन है, इसलिये उसे देश के सभी लोगों के समर्थन की ज़रूरत है। 

आईएमआईएफ़ में शामिल मुसलिम समुदाय के प्रमुख चेहरों में पूर्व केंद्रीय मंत्री के. रहमान ख़ान, नई दुनिया अख़बार के संपादक और पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीक़ी, पूर्व चुनाव आयुक्त एस.वाई.क़ुरैशी, इंडिया इसलामिक कल्चरल सेंटर के अध्यक्ष सिराज क़ुरैशी, वरिष्ठ पत्रकार क़मर आग़ा और न्यूज़ चैनल आज तक के पूर्व एडिटोरियल डायरेक्टर क़मर वहीद नक़वी आदि लोग शामिल हैं।

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क़मर वहीद नक़वी

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