अजीब विडंबना है। ऐसे समय जब उत्तरी सिक्किम के नाकू ला में चीनी सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार कर भारतीय इलाक़े में घुसपैठ की कोशिश की और उन्हें रोकने की कोशिश में झड़प हुई, दोनों देशों के बीच सकारात्मक बातचीत हुई है। दोनों देश अग्रिम पंक्ति से अपने-अपने सैनिकों को जल्द वापस बुलाने पर राजी हो गए हैं।
पीपल्स लिबरेशन आर्मी और भारतीय सेना के बीच कमांडर स्तर की नौवीं दौर की बातचीत को काफी सकारात्मक, व्यवहारिक और संचरनात्मक माना गया है, जिसमें दोनों पक्ष सैनिकों को जल्द बुलाने पर सहमत हो गए हैं।
15 घंटे की बातचीत
सरकार ने एक बयान में कहा है कि चुशुल-मोल्डो सीमा पर 15 घंटे की लंबी बातचीत से दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और समझदारी बढ़ी है और दोनों पक्ष इस पर सहमत हैं कि इस मुद्दे पर अब तक की कामयाबी को बरक़रार रखा जाए।
सरकार ने कहा है,
“
"दोनों देश अग्रिम पंक्ति से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया जल्द शुरू करने पर राज़ी हो गए हैं। दोनों पक्ष इस पर भी सहमत हैं कि उनके नेता आपसी बातचीत को और आगे ले जाएं।"
नौवें दौर की बातचीत के बाद जारी सरकारी बयान का अंश
संयम बरतने पर राजी
बयान में यह भी कहा गया है कि दोनों सेना इस पर तैयार हैं कि अग्रिम पंक्ति पर संयम बरता जाए और पश्चिमी सेक्टर में भारत-चीन सीमा पर स्थिति पर नियंत्रण रखा जाए और शांति बरक़रार रखी जाए।
पीपल्स लिबरेशन आर्मी और भारतीय सेना के कमांडरों के बीच नौवें दौर की इस बातचीत में भारत की ओर से सेना के 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी. जी. के. मेनन और चीन की तरफ से दक्षिणी शिनजियांग मिलिट्री रीजन कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने भाग लिया। दसवें दौर की बातचीत जल्द ही होगी।
यह बातचीत 24 जनवरी को हुई।
उत्तरी सिक्किम में झड़प
इसके ठीक पहले 20 जनवरी को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों के सैनिकों में झड़प हुई थी, जिसमें चार भारतीय सैनिक घायल हो गए थे। यह वारदात तब हुई जब उत्तरी सिक्कम के नाथू ला में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी।
लेकिन स्थानीय कमांडरों ने आपसी बातचीत से इस मामले को सुलझा लिया। इसके बाद जारी बयान में सरकार ने कहा कि मीडिया में इस घटना को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया है।
गलवान घाटी की झड़प
इसके पहले 15 जून को गलवान घाटी में पैट्रोलिंग प्वाइंट 14 के पास दोनों देशों की सेनाओं में तीखी झड़प हुई थी। हालांकि किसी पक्ष ने गोली नहीं चलाई, पर लोहे के रॉड और दूसरे धारदार हथियारों से एक-दूसरे पर हमले किए थे। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। चीन ने अपने सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की थी, पर संख्या नहीं बताई थी।
उसके बाद कई दौर की बातचीत हुई है, जो नाकाम रही है। इसके पहले भी चीन इस पर राजी हो गया था कि वह सैनिकों को वापस बुला लेगा, पर उसने ऐसा नहीं किया।
जिच किस पर है?
दोनों देशों के बीच जिच इस पर बनी हुई है कि सैनिकों की वापसी कहाँ से हो कहाँ तक हो। चीन का कहना है कि दोनों देश मौजूदा स्थिति से अपने सैनिक हटाए, वहीं भारत का कहना है कि चीन को अप्रैल 2020 की स्थिति तक लौटना होगा। इस पर सहमति नहीं बन पाई है।
पिछले दिनों दोनों देशों की सेनाओं ने लद्दाख से 10 हज़ार सैनिक वापस बुला लिए थे, लेकिन वे सैनिक अंदरूनी इलाक़े में तैनात थे। वास्तविक नियंत्रण रेख की अग्रिम पंक्ति से सैनिकों को वापस नहीं बुलाया गया। दोनों देश सैनिकों को वापस बुलाने पर इसलिए राजी हो गए थे कि कड़ाके की ठंड में शून्य से नीचे के तापमान में उनके सैनिक तैनात थे।
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