क्या है मामला?
सरकार ने जिस कंपनी से ये टेस्ट किट बढ़ी हुई कीमत पर ली हैं, उसका नाम है रीयल मेटाबॉलिक्स। वह डिस्ट्रीब्यूटर है।भारत सरकार ने इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के ज़रिए 6.50 लाख टेस्ट किट का आदेश दिया, जिसमें रैपिड टेस्ट किट भी शामिल थे।#IndiaFightsCoronavirus A total of 650,000 kits, including Rapid Antibody Tests and RNA Extraction Kits have been despatched early today from Guangzhou Airport to #India | #2019nCoV #StayHomeSaveLives @MEAIndia @HarshShringla @DrSJaishankar
— Vikram Misri (@VikramMisri) April 16, 2020
दूना मुनाफ़ा!
एनडीटीवी ने एक ख़बर में कहा है कि भारतीय कंपनी मैट्रिक्स ने 245 रुपए प्रति किट की दर पर ये किट्स चीनी कंपनी से आयात किए। लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर रीयल मेटाबॉलिक्स और आर्क फ़ार्मास्यूटिकल्स ने यही किट 600 रुपए की दर पर केंद्र सरकार को दीं। यानी, उसने दूने से अभी अधिक कीमत वसूली।अदालत में चली सुनवाई के दौरान पूरे मामले का खुलासा हुआ। उस सुनवाई के दौरान ही पता चला कि 245 रुपए का किट इन दोनों कंपनियों ने 600 रुपए में दिया है।
क्या कहा अदालत ने?
अदालत ने अपने ऑर्डर में रैपिड टेस्ट किट की कीमत 400 रुपए तय कर दी और कहा कि इससे अधिक कीमत पर यह नहीं बेचा जाना चाहिए, इस कीमत में जीएसटी भी शामिल है।आइसीएमआर की सफ़ाई
बढ़ी हुई कीमत पर आइसीएमआर ने सफ़ाई दी है। उसने कहा है कि किट की कीमत 528 रुपए से 795 रुपए तय की गई थी। यह कीमत किट की क्वालिटी, स्पेशीफिकेशन और सप्लायर की क्षमता पर निर्भर करती है।कई राज्यों से शिकायत मिलने के बाद आइसीएमआर ने इस किट की ख़रीद वोन्डफ़ू से बंद कर दी। शिकायत में कहा गया था कि किट खराब है और इसके नतीजे पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
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