loader

निशाने पर कौन, ज़ुबैर, ऑल्ट न्यूज़ या समूची पत्रकारिता?

ऑल्ट न्यूज़ के सह- संस्थापक मुहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ उनके एक ट्वीट को लेकर मामला दर्ज़ कर लिया गया है। आरोप यह लगाया गया है कि उन्होंने एक नाबालिग लड़की को कथित तौर पर धमकाया और प्रताड़ित किया है। जिस शिकायत के आधार पर मामला दर्ज़ किया गया है, वह राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने की है। 
छह अगस्त को मुहम्मद ज़ुबैर ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने जगदीश सिंह नामक व्यक्ति को सुझाव देने के लहज़े में पूछा था कि क्या उनकी पोती को पता है कि आपका पार्ट टाइम काम सोशल मीडिया पर लोगों को गालियाँ देना है? उन्होंने उन्हें यह सलाह भी दी थी कि वे अपने प्रोफाइल से वह तस्वीर हटा लें, जिसमें उनकी पोती उनके साथ है। ट्वीट के साथ उन्होंने उस तस्वीर को भी पोस्ट किया था, मगर पोती के चेहरे को धुँधला कर दिया था ताकि उसे कोई पहचान न सके। 

क्या है मामला?

ट्वीट से स्पष्ट है कि न तो वह बच्ची को धमका रहे थे और न ही प्रताड़ित कर रहे थे। उन्होंने उसका नाम नहीं लिखा और तसवीर को भी धुँधला कर दिया था। उनका इरादा साफ़ था और वह यह था कि जगदीश सिंह को ग़ालियाँ न देने से रोका जाए। इसमें किसी को धमकाने जैसी कोई बात ही नहीं थी। उनकी भाषा भी बहुत संयमित और संतुलित थी।  
जगदीश सिंह हिंदुत्ववादी हैं। वह विरोधी विचारों वालों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर ज़हर भी उगलते रहते हैं। ऐसे लोगों में गालियों का प्रयोग बहुत प्रचलित है। मुसलमान उनके निशाने पर सबसे ज़्यादा रहते हैं, चूँकि मुहम्मद ज़ुबैर फ़ेक न्यूज़ का भंडाफोड़ करने वाली इस वेबसाइट के सह-संस्थापक हैं तो उन पर उनकी ख़ास कृपा रहती होगी। 

इस समय ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जो किसी ऐसे व्यक्ति या संगठन की तलाश में रहते हैं जो किसी भी तरह से सरकार या हिंदुत्ववादियों के ख़िलाफ़ मुखर हों और उन्हें किसी बहाने से चुप कराया जा सके। इन लोगों के पीछे हिंदुत्ववादी संगठन हैं और सत्ता का संरक्षण भी उन्हें मिला हुआ है।

तुरंत कार्रवाई

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की त्वरित कार्रवाई भी इसी संदर्भ में देखी जानी चाहिए। इसके अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो संघ की विचारधारा से जुड़े हुए हैं और बीजेपी के लिए काम भी करते रहे हैं। लिहाज़ा, पर्याप्त आधार न होने के बावजूद उन्होंने कुछ लोगों की शिकायत पर मामला दिल्ली पुलिस को सौंप दिया। दिल्ली पुलिस के लिये इस समय पूरी तरह से निष्पक्ष रहना असंभव  माना जा रहा है। लिहाज़ा कोई हैरत नहीं होगी कि जल्द ही वह ज़ुबैर से पूछताछ शुरू कर दे। 
लेकिन ऑल्ट न्यूज़ के दूसरे सह-संपादक प्रतीक सिन्हा ने मानते है कि इस तरह के केस दर्ज करके मुहम्मद ज़ुबैर को प्रताड़ित किया जा रहा है और उनका संस्थान उनके साथ खड़ा है। वह इस मामले से क़ानून के स्तर पर निपटने की बात कह रहे हैं। 

निशाने पर कौन?

वास्तव में ज़ुबैर के साथ हो रहे इस व्यवहार को सही संदर्भो में समझना होगा। उनके ख़िलाफ़ मामले दर्ज़ करना इस बात की एक और मिसाल है कि कैसे उन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है जो फर्ज़ी ख़बरों को बेनकाब कर रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोले हुए हैं। 
यह सब जानते है कि सबसे ज़्यादा फ़ेक न्यूज़ फैलाने वालों में लोग किस विचारधारा और संगठन से जुड़े हैं। ऑल्ट न्यूज़ और उसको चलाने वालों से यही लोग सबसे ज़्यादा नाराज़ भी हैं। फर्ज़ी ख़बरों को बेनकाब करने के मामले में इस वेबसाइट ने अभूतपूर्व काम किया है और लगातार कर रही है।
हाल में उसने न्यूज़ चैनलों द्वारा चीन की भ्रामकर तस्वीरें दिखाने का भंडाफोड़ करके उनकी पोल खोल दी थी। इसके पहले भी बहुत सारे झूठों का खुलासा करती रही है। ज़ाहिर है कि उन्हें ये वेबसाइट चुभती रहती है और वे इसका इंतज़ार ही कर रहे थे कि कोई मौक़ा मिले और इसे निपटाया जाए। 
यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि जगदीश सिंह सोशल मीडिया पर गालियों से भरी पोस्ट डालता रहता है और उसे न ट्वीटर रोकता है, न फ़ेसबुक और न ही हमारे क़ानून के रखवाले। हमारा सत्ता प्रतिष्ठान अफ़ीम खाकर पड़ा रहता है, कोई कार्रवाई नहीं करता। उल्टे ज़ुबैर जैसे लोगों पर पुलिस और दूसरी एजंसियों को लगाकर ऐसे लोगों को उत्साहित किया जाता है। 
हक़ीक़त यह है कि यह ज़ुबैर और ऑल्ट न्यूज़ पर ही हमला नहीं है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है, समूची पत्रकारिता पर हमला है, लोकतंत्र पर हमला है। यह भय और आतंक का ऐसा माहौल बना देने के लिए की गई कार्रवाई है, जिससे ऑल्ट न्यूज़ और इस तरह का काम करने वाले डरकर चुप बैठ जाएं और फ़ेक न्यूज़ का गोरखधंधा करने वाला अपने खेल खुलकर खेलते रहें।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें