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क्या रिया चक्रवर्ती का इंटरव्यू ग़ैर-क़ानूनी था? जानिए, क्या कहता है देश का क़ानून

एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी मौत को लेकर चल रहा मीडिया ट्रायल आए दिन नये विवाद पैदा कर रहा है। अब इसमें नया विवाद जुड़ गया है सुशांत की एक्स गर्ल फ़्रेंड रिया चक्रवर्ती के इंटरव्यू को लेकर। न्यूज़ चैनल आज तक ने सुशांत सिंह राजपूत केस में मीडिया, सीबीआई और जनता के बीच सबसे ज्यादा चर्चित रिया चक्रवर्ती का इंटरव्यू सबसे पहले दिखाया। रिया का ये इंटरव्यू वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने किया। लेकिन इंटरव्यू के ऑन एयर हो जाने के बाद से सोशल मीडिया में इंटरव्यू के ख़िलाफ़ कैंपेन शुरू हो गया। 

इंटरव्यू से लोग नाराज

हैशटैग #RheaDualFaceExposed ट्विटर पर तीसरे नंबर पर ट्रेंडिंग करता रहा और इसके साथ ही #shameonAajtak हैशटैग पर भी लोग ट्वीट करके इंटरव्यू को प्री प्लान बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिस शख्स पर सुशांत सिंह की मौत में किसी न किसी तरह से हाथ होने का आरोप है उसका इंटरव्यू क्यों किया गया?

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वकील ने भी उठाए सवाल!

सुशांत सिंह राजपूत के पिता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वाले सीनियर एडवोकेट और पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल विकास सिंह भी इंटरव्यू के तौर-तरीके पर सवाल उठा रहे हैं। आज तक के एक कार्यक्रम में उन्होंने यहां तक कह दिया कि क्या इसी तरह अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम का भी इंटरव्यू दिखाया जा सकता है। हालांकि इसी कार्यक्रम में वो आगे कहते हैं, ‘इंटरव्यू करने पर कोई रोक नहीं है लेकिन इंटरव्यू करने वाले पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने रिया चक्रवर्ती को ग्रिल (कड़े सवाल करना) नहीं किया जबकि राजदीप ने अपने शो में बुलाकर उन्हें ग्रिल किया था।’ 

क्या पत्रकार रिया का इंटरव्यू कर सकते हैं?

देश में क़ानून की बात की जाए तो हर आरोपी का अपना एक पक्ष होता है, आरोपी उस पक्ष को पुलिस, अदालत, मीडिया में रखने के लिए स्वतंत्र है। जहां तक मीडिया का सवाल है, मीडिया को सवाल पूछने और आरोपी की बात सामने रखने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 से मिला है। हालांकि यहां ये बताना ज़रूरी होगा कि जब तक अदालत आरोपी पर मीडिया से बातचीत के लिए कोई प्रतिबंध नहीं लगाती है तब तक आरोपी को बात करने से रोका नहीं जा सकता। 

आरोपी कब अपना पक्ष नहीं रख सकता!

इस सवाल पर फिलहाल कोई क़ानून मौजूद नहीं है। न ही कोई क़ानून मीडिया या आरोपी के बातचीत करने पर रोक लगाता है। जहां तक नैतिकता की बात है, उसे मानना या न मानना उस मीडिया संस्थान या आरोपी पर निर्भर करता है। 

रिया चक्रवर्ती की क़ानूनी स्थिति!

जहां तक रिया चक्रवर्ती का सवाल है, फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच सीबीआई को दी गयी है। हालांकि रिया चक्रवर्ती पर ईडी, सीबीआई और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने नामजद एफ़आईआर दर्ज की हुई है। लेकिन अभी तक किसी भी जांच एजेंसी ने रिया के ख़िलाफ़ कोई आरोपपत्र नहीं दाखिल किया है। 

Interview of rhea chakraborty on Sushant singh Rajput death case - Satya Hindi

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

मामला साल 1981 का है, जब हत्या के मामले में मृत्युदंड पा चुके रंगा-बिल्ला का जेल में इंटरव्यू करने की इजाजत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गया। हिन्दुस्तान टाइम्स अखबार की चीफ़ रिपोर्टर प्रभा दत्त ने सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 32 के तहत याचिका दाखिल की और मांग की कि तिहाड़ जेल प्रशासन को ये निर्देश दिया जाए कि उन्हें जेल में ही रंगा-बिल्ला का इंटरव्यू करने दें।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, “संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) द्वारा प्रदत्त भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संवैधानिक अधिकार, जिसमें प्रेस की स्वतंत्रता भी शामिल है, एक पूर्ण अधिकार नहीं है और न ही वास्तव में यह किसी भी अधिकार को प्रदान करता है। लेकिन इस मामले में, याचिकाकर्ता द्वारा दावा किया गया अधिकार, किसी विशेष दृष्टिकोण या राय को व्यक्त करने का अधिकार नहीं है, बल्कि मौत की सजा पाए दो कैदियों का साक्षात्कार सूचना के साधनों के माध्यम का प्रयोग करके है। हालांकि प्रेस द्वारा इस तरह के किसी भी अधिकार का दावा तब तक नहीं किया जा सकता है जब तक कि साक्षात्कार के लिए मांगे गए व्यक्ति की साक्षात्कार देने की इच्छा न हो।’’

जेल में इंटरव्यू की इजाजत दी 

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश वाई. वी. चन्द्रचूड़ आगे कहते हैं कि, “किसी ठोस कारण को छोड़कर ऐसी कोई वजह नहीं दिखती कि प्रेस के लोग जो कि समाज के मित्र हैं, उन्हें दोषी का इंटरव्यू करने से रोका जाए।” इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने न केवल हिन्दुस्तान टाइम्स बल्कि टाइम्स ऑफ़ इंडिया, इंडिया टुडे, पीटीआई और यूएनआई के पत्रकारों को भी जेल जाकर इंटरव्यू करने की इजाजत दी। 

तो फिर रिया पर विवाद क्यों?

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्त आदेश दो मौतों की सजा पाये हत्या के दोषियों के इंटरव्यू के लिए दिया था, लेकिन रिया के मामले में तो सभी जांच एजेंसियों की केवल जांच चल रही है, हांलाकि अगर उसे भविष्य में दोषी भी ठहरा दिया जाता है तो भी फिलहाल मौजूदा क़ानून कोई प्रावधान नहीं करता जिसमें आरोपी का इंटरव्यू न लिया जा सके। 
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विप्लव अवस्थी

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