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क्या रक्षा सौदों के दलाल संजय भंडारी से रिश्तों पर झूठ बोल रहे हैं वाड्रा?

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा शनिवार को एक बार फिर एनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टरेट यानी ईडी के सामने पेश हुए। इसके पहले बुधवार और गुरुवार को ईडी के अफ़सरों ने उनसे लगभग 11 घंटे तक पूछताछ की थी। ईडी का आरोप है कि वाड्रा ने हवाला के पैसों से लंदन में 19 करोड़ रुपये में फ़्लैट खरीदा। वाड्रा से इसी मुद्दे पर पूछताछ हो रही है। पूछताछ के दौरान ईडी का पूरा ध्यान हथियारों के कथित बिचौलिए संजय भंडारी और उनके लोगोें के साथ रॉबर्ट वाड्रा के रिश्तों का बारे में जानकारी इकट्ठी करना था। 
सूत्रों का कहना है कि वाड्रा ने संजय भंडारी से किसी तरह के रिश्ते से इनकार कर दिया। समझा जाता है कि इसके बाद  अफसरों ने रॉबर्ट वाड्रा को वह ई-मेल दिखाया जो वाड्रा ने चड्ढा को लिखा था। वाड्रा ने इस ई-मेल में कहा था, 'मैं यह मामला सुबह देखूँगा और मनोज से कहूँगा कि वह मामला सुलटा ले।' बुधवार को हुई पूछताछ के दौरान रॉबर्ट वाड्रा ने मनोज अरोड़ा को जानने की बात स्वीकार की थी। मनोज अरोड़ा पहले वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पीटैलिटी में काम करते थे। 
सवाल यह उठता है कि क्या वाड्रा संजय भंडारी के मामले में झूठ बोल रहे हैं? साल 2016 में जब ईडी ने हवाला कारोबार के शक में भंडारी के दिल्ली में डिफेन्स कॉलोनी स्थित फ़्लैट पर छापा मारा था तो  पाया था कि भंडारी ने वाड्रा को कई ई-मेल किए थे। भंडारी ने यह भी कहा था कि वह वाड्रा के क़रीब हैं। 

रॉबर्ट वाड्रा का ई-मेल

इंडियन एक्सप्रेस अख़बार की ख़बर के मुताबिक़, ईडी ने 2016 के अपने छापों के दौरान एक ऐसा ई-मेल भी पाया था, जिसे रॉबर्ट वाड्रा के ई-मेल आईडी से भेजा गया था। 4 अप्रैल, 2010 को भेजे गए इस ई-मेल में लंदन के फ़्लैट के आंतरिक साज-सज्जा में बदलाव करने की बात कही गई थी। संजय भंडारी के आईडी से भेजे गए ई-मेल से लगे एक अटैचमेंट कहा गया था भंडारी के रिश्तेदार सुमित चड्ढा ने आंतरिक सज्जा पर 28,000 पौंड खर्च करने का अनुमान लगाया था, पर वास्तव में 35,000 पौंड का खर्च बैठा। यह वही फ़्लैट है, जिसके बारे में ईडी का कहना है कि रॉबर्ट वाड्रा ने हवाले के पैसे से खरीदा था। 

वर्जिन आइलैंड से जुड़े तार

जिस फ़्लैट की आंतरिक सजावट की बात इस ई-मेल में कही गई थी, वह लंदन के 12, ब्रायन्सटन स्क्वैयर में स्थित है और वेस्टमिनस्टर सिटी कौंसिल में मेफ़ेयर प्रोपर्टीज़ के नाम से पंजीकृत है। मेफ़ेयर दुबई में रजिस्टर्ड कंपनी है। मेफ़ेयर ने यह फ़्लैट वर्टेक्स एफ़ज़ेडई नाम की कंपनी से 2009 में खरीदी थी। वर्टेक्स वर्जिन आइलैंड में रजिस्टर्ड कंपनी है। वर्जिन आइलैंड को 'टैक्स हैवन' माना जाता है, यानी वहां काला धन रखा जाता है कि क्योंकि उस देश में गोपनीयता बरती जाती है और बैंक किसी खाते के बारे में कोई जानकारी किसी को नहीं देते हैं। 

वाड्रा के संपर्क में थे भंडारी

भंडारी सबसे पहले 2010 में जाँच ब्यूरो के रडार पर तब आए जब भारतीय वायु सेना ने पिलैटस से 75 बेसिक ट्रेनर एअरक्राफ़्ट खरीदे थे और इसके लिए ऑफ़सेट इंडिया सोल्यूशन्स (ओआईएस) ने लॉबीइंग की थी। ओआईएस संजय भंडारी की कंपनी है। भंडारी ने 2008 में एक लाख रुपये की पूंजी के साथ इस कंपनी की शुरुआत की थी। इंडिया टु़डे में छपी ख़बर के मुताबिक: 
जाँच ब्यूरो ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भंडारी रॉबर्ट वाड्रा के संपर्क में थे और वह 9811144**5 नंबर के मोबाइल फ़ोन से उनसे बात किया करते थे। वह 9810700**4 नंबर के मोबाइल पर फ़ोन किया करते थे, जो रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ब्लू ब्रिज़ ट्रेडिंग प्राइवेट कंपनी लिमिटेड के नाम से रजिस्टर्ड थी।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर कहा गया था कि ब्लू ब्रिज़ के निदेशक रॉबर्ट वाड्रा और उनकी माँ मॉरीन वाड्रा हैं। ब्लू ब्रिज़ वही कंपनी है, जिसका नाम गुड़गाँव के ज़मीन घोटाले में सामने आया था। 
जाँच ब्यूरो की रिपोर्ट में कहा गया कि संजय भंडारी मनमोहन सिंह सरकार में कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल के संपर्क में भी थे। वह कोयला मंत्री के 7 तीन मूर्ति पर बने सरकारी बंगले के लैंडलाइन फ़ोन पर बात किया करते थे। 
अब सवाल ये उठते हैं:
  • 1.आख़िर रॉबर्ट वाड्रा 4 अप्रैल 2010 को अपनी आईडी से भेजे गए ई-मेल से कैसे इनकार कर सकते हैं?
  • 2.यदि उन्होंने संजय भंडारी को ई-मेल किया था तो यह कैसे कह सकते हैं कि उनसे कोई रिश्ता नहीं है।
  • 3.यदि संजय भंडारी से कोई रिश्ता है ही नहीं तो उसने क्यों वाड्रा के फ़्लैट की आंतरिक सज्जा करवाई? इस पर क्यों उसने 35,000 पौंड खर्च कर दिए?
  • 4.ईडी का कहना है कि भंडारी ने 19 लाख पौंड में फ़्लैट खरीद कर उसी क़ीमत पर रॉबर्ट वाड्रा को बेच दिया और 35,000 पौंड अलग से खर्च भी कर दिया। सवाल उठता है कि भंडारी ने ऐसा क्यों किया?
  • 5.वाड्रा ने लंदन में फ्लैट खरीदने से साफ़ इनकार कर दिया है। फिर ई-मेल और उसमें साज-सज्जा पर खर्च करने का क्या मतलब है?

कहाँ रहते हैं भंडारी?

जाँच ब्यूरो ने 2016 में संजय भंडारी के घर पर छापा मारा था तो उसे कुछ अत्यंत गोपनीय और संवेदनशील काग़ज़ात मिले थे, जिसके आधार पर ऑफ़िशियल सीक्रेसी एक्ट के तहत उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद वह नेपाल होते हुए लंदन पहुँच गए। 
'द प्रिंट' में छपी ख़बर के मुताबिक़, भंडारी लंदन के महँगे बर्कले स्क्वैयर के एक फ़्लैट में रहते हैं। यूके लैंड रजिस्ट्री में जानकारी दी गई है कि वह जिस ग्रॉसवेनर हिल कोर्ट के फ़्लैट नंबर छह में रहते हैं, वह पनामा की कंपनी शमलैन ग्रॉस 1 इंक  के नाम रजिस्टर्ड है। ब्रिटेन की प्रोपर्टी वेबसाइट ज़ूपला के मुताबिक़, इस फ़्लैट की क़ीमत लगभग 21.7 करोड़ रुपये है। इसे सऊदी अरब एअर फ़ोर्स के पूर्व प्रमुख जनरल हाशिम सईद हाशिम से 8.6 करोड़ रुपये में खरीदा गया था। 
लेकिन मामला सिर्फ़ हवाले के पैसे से लंदन में फ़्लैट खरीदने तक सीमित नहीं है। भंडारी का नाम रफ़ाल विवाद में भी उछला और इस बहाने राहुल गाँधी पर भी निशाना साधा गया। 

क्या है रफ़ाल कनेक्शन?

केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने बीते दिनों यह आरोप लगाया कि राहुल गाँधी रफ़ाल सौदे को लेकर सरकार पर हमले इसलिए कर रहे हैं ताकि यह सौदा रद्द कर दिया जाए क्योंकि उनके बहनोई रॉबर्ट वाड्रा को इसमें कमीशन नहीं मिला था। 
ऑफ़सेट इंडिया सोल्यूशन्स ने रफ़ाल के भारतीय ऑफ़सेट पार्टनर बनने के लिए अर्जी दी थी। उस समय भारतीय कंपनी को विदेशी रक्षा कंपनी से क़रार करने पर साझा भारतीय कंपनी की कुल पूंजी का 30 प्रतिशत देना होता था। ओआईएस इसके लिए भी तैयार था। उसके पक्ष में ज़बरदस्त लॉबीइंग भी की गई थी।
लेकिन रफ़ाल ने कंपनी का मुआयना करने पर पाया कि वहां ज़रूरी ढाँचागत सुविधाएँ नहीं हैं। सच यह भी है कि उस समय तक सरकार बदल चुकी थी, नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन चुके थे। लिहाज़ा, रफ़ाल ने पार्टनर के रूप में मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज़ को चुना। लेकिन बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने इसमें दिलचस्पी नहीं ली और क़रार रद्द हो जाने दिया। इसके बाद रफ़ाल ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस एअरोस्ट्रक्चर से क़रार किया। 

क्या भंडारी को भारत लाएगा ईडी?

ईडी विजय माल्या को भारत लाने के लिए ब्रिटेन से गंभीरता से बात कर रही है और इसे इस दिशा में पहली कामयाबी मिल भी गई है। हालाँकि माल्या को भारत लाने में वह कामयाब होगा या नहीं, अभी कहना मुश्किल है। 
सरकार बोफ़ोर्स मामले में क्रिश्चियन मिशेल को भारत लाने में कामयाब रही है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या ईडी वाड्रा के बहाने प्रियंका और राहुल गाँधी पर दबाव डालने के लिए संजय भंडारी को भारत लाने की कोशिश करेगा?
रफ़ाल पर शुक्रवार को 'द हिन्दू' में ख़बर छपने और उस पर राजनीतिक भूचाल आने के बाद राहुल गाँधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार पर ज़ोरदार हमला बोला था। उस प्रेस कॉन्फ्रेंस में रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ा सवाल करने पर राहुल ने कहा था, 'सरकार को रॉबर्ट वाड्रा मामले की जाँच करनी चाहिए।' लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष से यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि रक्षा सौदों के बिचौलिए से उनके बहनोई का क्या रिश्ता है। क्या वाड्रा भंडारी से रिश्ते पर झूठ बोल रहे हैं? क्या रॉबर्ट वाड्रा ने हवाला के पैसों से लंदन में फ्लैट खरीदा है? प्रियंका गाँधी को भी इन सवालों के जवाब देने चाहिए क्योंकि वह कांग्रेस की महासचिव हैं। प्रियंका से यह सवाल पूछा जाना ज़रूरी इसलिए भी है कि वह रॉबर्ट वाड्रा को छोड़ने ईडी दफ़्तर तक गई थीं और कहा था कि वे अपने परिवार के साथ मजबूती से खड़ी हैं। प्रियंका जिस मजबूती से पति के साथ खड़ी हैं, उसी साफ़गोई के साथ उन्हें देश को इन सवालों के जवाब भी देने चाहिए।  
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क़मर वहीद नक़वी

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