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जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर लोकसभा में हंगामा

केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल को लोकसभा में पेश कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल को लोकसभा में रखा। कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने नियमों की धज्जियाँ उड़ा दीं हैं और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों को घर में क़ैद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी कहती है कि कश्मीर भारत का आंतरिक मसला है लेकिन 1948 से संयुक्त राष्ट्र इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है। इस पर अमित शाह ने कहा कि 1948 में कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र में भेजा गया था। शाह ने कहा कि जब वह जम्मू-कश्मीर की बात कर रहे हैं तो इसमें पीओके और अक्साई चीन भी शामिल है। अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इसके लिए हम जान भी देने के लिए तैयार हैं। गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर पर फ़ैसला करने के लिए संसद ही सर्वोच्च स्थान है। उन्होंने कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर वह विपक्ष के हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं। 

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने जम्मू-कश्मीर को बाँटना संवैधानिक त्रासदी है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का विलय और इसकी रक्षा नेहरू सरकार ने की थी और साथ ही हैदराबाद का भी भारत में विलय नेहरू सरकार ने कराया था। तिवारी ने कहा कि बिना राज्य की विधानसभा की मंजूरी के अनुच्छेद 370 नहीं हटना चाहिए। लोकसभा में बहस के दौरान ही एनडीए में सरकार की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड ने सदन से वॉक आउट कर दिया। जेडीयू ने कहा कि उनकी पार्टी अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन नहीं करती है। 

सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में पुनर्गठन बिल को पेश किया था जहाँ से यह पास हो गया था। बिल के पक्ष में 125 और विरोध में 61 वोट पड़े थे। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया की शुरुआत के प्रस्ताव पर बीजेपी को विपक्षी राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर अब अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गया है और लद्दाख को भी अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है।
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लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के पास अकेले दम पर स्पष्ट बहुमत है, इसलिए यह माना जा रहा है कि उसे इस बिल को पास कराने में कोई दिक़्क़त नहीं आएगी। बीजेपी को भी इस बात का भरोसा है कि जब उसने बहुमत न होने के बावजूद राज्यसभा में बिल को पास करा लिया तो लोकसभा में वह इसे आसानी से पास करा ही लेगी।
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543 सदस्यों वाले सदन में उसके अपने दम पर 303 सांसद हैं। फिर भी बीजेपी ने कमर कसी हुई है और सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है। लेकिन मुश्किल में कांग्रेस है क्योंकि राज्यसभा में वह इस मुद्दे पर पूरी तरह बँट गई है। पार्टी के ही नेता राज्यसभा में विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद के इस बिल के विरोध को लेकर सहमत नहीं हैं। राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ़ व्हिप भुवनेश्वर कालिता ने इस्तीफ़ा दे दिया है और पार्टी के पूर्व महासचिव जनार्दन द्विवेदी से लेकर कुछ दूसरे नेताओं ने अनुच्छेद 370 को हटाने के समर्थन में आवाज़ उठाई है। लेकिन फिर भी उसने अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है।
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हैरानी की बात यह है कि अधिकतर मुद्दों पर बीजेपी का विरोध करने वाली आम आम आदमी पार्टी ने भी अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया को शुरू करने के केंद्र सरकार के क़दम का समर्थन किया है। इसके अलावा बसपा, बीजू जनता दल, एआईएडीएमके, वाईएसआर कांग्रेस ने भी इसका समर्थन किया है। अनुच्छेद 370 के ख़त्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में देश के अन्य राज्यों के लोग भी ज़मीन ख़रीद सकेंगे। साथ ही अब कश्मीर का अब अलग झंडा नहीं होगा यानी कि पूरे भारत की तरह वहाँ भी अब तिरंगा लहराएगा। 

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क़मर वहीद नक़वी

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